चंद्रपुर मनपा के कानों में नहीं रेंग रही जूं
नागरिकों का सवाल- किस दुर्घटना का इंतजार कर रही है मनपा
(प्रशांत विघ्नेश्वर)
चंद्रपुर
शहर के तेजी से फ़ैलने के साथ ही वाहनों की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी हो रही है. इसके चलते यातायात व्यवस्था पर अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. दुर्घटनाओं की संख्या में भी वृद्धि की आशंका जताई जा रही है. दूसरी ओर, महानगरपालिका द्वारा मुख्य रास्ते की उपेक्षा बदस्तूर जारी है. बार-बार मांग करने के बावजूद मनपा का इस तरफ ध्यान नहीं है. ऐसे में नागरिकों के मन में बार-बार यह सवाल उठ खड़ा होता है कि आखिर मनपा को किस दुर्घटना का इंतजार है? केवल दो मुख्य रास्तों वाला यह शहर रास्ता दुभाजक (रोड डिवाइडर) के लिए पिछले चार साल से तरस रहा है. वरिष्ठ अधिकारियों के इस संबंध में लिखित शिकायत करने के बाद भी मनपा के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है.
शहर का पंचशताब्दी वर्ष
चंद्रपुर नगरपालिका के महानगरपालिका में रूपांतरण के बाद नागरिकों को लगा था कि अब शहर का विकास तेजी से हो सकेगा. इसी के बाद मनपा शासकों ने शहर का पंचशताब्दी वर्ष मनाने का फैसला किया. नागरिकों को फिर एक बार लगा कि इसके चलते शहर के रास्ते सुंदर-स्वच्छ होंगे. राज्य के मुख्यमंत्री ने चुनाव के दौरान अनेक घोषणाएं भी की. पंचशताब्दी वर्ष के मौके पर कुछ निधि भी मंजूर की. इसी निधि से अनेक काम हाथ में लिए गए. कुछ काम अभी भी जारी हैं.
बाढ़ की विभीषिका
अभी शहर के विभिन्न वार्डों का विकास चल ही रहा था कि पिछले साल चंद्रपुर शहर को बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ा. पूरा शहर जलमग्न हो गया. जिला परिषद के सामने का हिस्सा भी इससे अछूता नहीं रहा. भारी बारिश और अंडरग्राउंड ड्रैनेज प्रणाली का काम जारी होने के कारण एक भी रास्ता चलने के काबिल नहीं बचा था. मनपा प्रशासन ने इन रास्तों का सुधार कर शहर को एक नया ‘लुक’ देने का भरसक प्रयास किया.
चार महत्वपूर्ण रास्ते
इन सबके बावजूद मनपा ने शहर में प्रवेश करनेवाले मुख्य रास्ते की उपेक्षा ही की. शहर में प्रवेश करने के लिए बल्लारपुर की दिशा से आनेवाला, बंगाली कैंप से आनेवाला, नागपुर की दिशा से आनेवाला और दाताला की दिशा से आनेवाला रास्ता महत्वपूर्ण माना जाता है. इन चारों रास्तों पर आज भी अनेक समस्याओं का डेरा है. उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले जिला परिषद के सामने रास्ता दुभाजक का निर्माण कर यातायात को दोहरा कर दिया गया था. उस वक्त रास्ता दुभाजक की ऊंचाई बहुत कम थी. इस ऊंचाई को बढ़ाने की मांग वर्ष 2010 में इको-प्रो नामक संस्था ने की थी. मगर दुर्भाग्य, इस मांग पर आज तक विचार नहीं किया गया.
सड़क के डामरीकरण से दुभाजक गायब
इस बीच, मनपा ने सड़क के डामरीकरण का काम हाथ में लिया. इसका परिणाम यह हुआ कि सड़क की ऊंचाई तो बढ़ गई, मगर दुभाजक गायब हो गया. इसके चलते इस सड़क पर स्थित सपना टाकीज़ चौक पर दुर्घटनाओं का प्रमाण बढ़ने की आशंका बढ़ गई है. शहर का यह चौक रेलवे स्टेशन की ओर से आनेवाले भारी वाहनों और शहर में प्रवेश करने वाले यातायात के कारण महत्वपूर्ण समझा जाता है. इस चौक पर ट्रैफिक सिग्नल नहीं होने के कारण पुलिस कर्मियों को यातायात को नियंत्रित करने में भारी मशक्कत करनी पड़ती है. कई बार तो इस चौक पर मौजूद ट्रैवल्स की गाड़ियां सारे नियम-कानून को ताक पर रख सड़क पर अतिक्रमण किए रहती हैं. अब तो उनकी देखा-देखी दूसरी गाड़ियां भी ऐसा ही करने लगी हैं. इको-प्रो. संगठन, जिलाधिकारी कार्यालय और यातायात नियंत्रण कार्यालय ने मनपा का ध्यान इस तरफ खींचा भी, मगर आज तक मनपा इस मामले को लेकर कभी गंभीर नहीं दिखाई दी.
चैम्बर बना यमराज
कुछ ऐसा ही नजारा दाताला रोड पर भी दिखाई देता है. इस रोड पर अंडरग्राउंड ड्रैनेज सिस्टम की सफाई के लिए ठेकेदारों ने चैम्बर बना दिए. लेकिन ये चैम्बर बार-बार विफल साबित हो रहे हैं. कृषि उत्पन्न बाजार समिति के सामने स्थित चैम्बर एक-दो बार नहीं, बल्कि कम से कम पांच बार बेकार साबित हो चुका है. इस रोड से भारी वाहनों का यातायात होने के कारण चैम्बर की स्थिति दयनीय हो गई है. इसके उपाय के रूप में ठेकेदार ने कुछ दिन पहले ही इस चैम्बर की ऊंचाई एक फुट बढ़ाकर नया चैम्बर बना दिया. सड़क के बीच में स्थित यह चैम्बर अब लोगों के लिए यमराज साबित हो रहा है. इसी रास्ते से मनपा के सत्ता में बैठे और विपक्ष के नेताओं का आना-जाना लगा रहता है. ताज्जुब तो यही है कि इसके बावजूद इसकी उपेक्षा की जा रही है.
अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
शहर के बढ़ते यातायात को ध्यान में रखते हुए जिला परिषद से रसराज होटल तक के रास्ते पर स्थित रास्ता दुभाजक की ऊंचाई बढ़ाने की मांग 2010 में इको-प्रो ने की थी. इसके बाद मामले की गंभीरता को समझते हुए जिला रास्ता सुरक्षा समिति की बैठक में जिला प्रशासन का ध्यानाकर्षण किया गया. इको-प्रो ने रास्ता दुभाजक की ऊंचाई बढ़ाने के लिए आंदोलन भी किया. परंतु मनपा प्रशासन की आंख खुलनी नहीं थी, सो नहीं खुली. इसके बाद पुलिस अधीक्षक राजीव जैन ने अप्रैल 2014 को एक पत्र भेजकर संबंधित लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की, ताकि कानून- व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने न पाए. लेकिन मनपा की ओर से लगातार जारी उपेक्षा लगता है अब अंगद का पैर बन चुकी है.