विधायक फडणवीस ने गोंड़पिपरी, पोभुर्णा और मूल के नागरिकों से कहा
चंद्रपुर
विधायक शोभाताई फडणवीस ने गोंड़पिपरी, पोभुर्णा और मूल के नागरिकों तथा किसानों से हाल में घोषित कन्हालगांव अभ्यारण्य का विरोध करने का आवाहन किया है. उन्होंने कहा है कि इस अभ्यारण्य से इन क्षेत्रों के नागरिकों तथा किसानों के अधिकारों का हनन होगा. लोग अपने मवेशियों को चरा नहीं सकेंगे, गांवों की सीमा के बाहर स्थित तालाबों से सिंचाई नहीं की जा सकेगी. और तो और, आने-जाने के रास्ते तक बंद हो जाएंगे.
किसान, आदिवासी आएंगे मुश्किल में
विधायक फडणवीस ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ताड़ोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के कोअर ज़ोन, बफर ज़ोन और इको ज़ोनके नाम पर सरकार 3000 कि.मी. के क्षेत्र पर कब्ज़ा करने की तैयारी में है तो दूसरी ओर कन्हालगांव अभ्यारण्य की घोषणा की गई है, जिसका क्षेत्रफल 26 हजार 501 हेक्टेयर होगा. इससे गोंड़पिपरी, पोभुर्णा और मूल परिसर के किसान और आदिवासी मुश्किल में आ जाएंगे.
20 गांवों पर होगा अभ्यारण्य का कब्ज़ा
इस अभ्यारण्य के दक्षिण क्षेत्र में गुजरी, देवई, नवेपड़सा, टेमटा, वामनपल्ली, पारडी, लाठी, पूर्व विभाग में केमारा, चकबेरडी, आक्सापुर, करंजी, चिवड़ा, चकनांदगांव, चकबापुर, पश्चिम विभाग में कोठारी, गणपुर, वट्टीडोंगरी, कन्हालगांव, वेजगांव और सरांडी आदि 20 गांव की सीमा के पूरे जंगल पर वन्यजीव अभ्यारण्य का कब्ज़ा हो जाएगा. इसलिए इन गांवों का पुनर्वास तो होगा ही, मगर इस अभ्यारण्य के तैयार होने के बाद कोठारी वन विभाग में मूल तालुका के भेजगांव से बेंबाल परिसर और पोभुर्णा तालुका के गांवों के वनों से जुड़े अनेक अधिकारों का हनन होगा. मवेशी चराई के लिए नहीं जा सकेंगे. गांवों के बाहर वन क्षेत्र में आनेवाले तालाबों का सिंचाई आदि के लिए उपयोग भी नहीं हो सकेगा.
आदिवासियों को गांवों से भगाने की नीति
शोभाताई फडणवीस ने कहा कि, लगता है सरकार की यही नीति बन गई है कि अभ्यारण्य घोषित करो और आदिवासियों को बाहर का रास्ता दिखाओ. उन्होंने इसका विरोध करते हुए किसानों और आदिवासियों से भी अभ्यारण्य का विरोध करने की अपील की, ताकि अपने अधिकारों की रक्षा की जा सके.