Published On : Thu, May 8th, 2014

गोंदिया : तीन सालों से बंद पड़ी है महत्वाकांक्षी काटी सिंचाई परियोजना

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लागत भी बढ़ी, किसानों ने जमीन देने से किया मना


गोंदिया

Sinchai Pariyojna
कभी जनप्रतिनिधियों के अतिउत्साह, तो कभी धन के अभाव में पिछले तीन सालों से तालुके की सबसे मह्त्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी काटी उपसा सिंचाई परियोजना का काम बंद पड़ा है. नदी तट पर एक भवन के अलावा और कुछ नहीं हो पाया है. विधायक का ध्यान भी इस योजना को पूरा करने की तरफ़ कम, श्रेय लेने की तरफ़ अधिक है. सावरी और रावणवाड़ी के किसानों ने पाइप लाइन के लिए जमीन देने से मना कर दिया है. इसके चलते पाइप लाइन का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है. अब जिला प्रशासन जबरदस्ती जमीन पर कब्जा कर पाइप लाइन का काम शुरू करने की कोशिश कर रहा है. पंप हाउस के लिए पावर हाउस बना लिया गया है. वहां भी वायरिंग का काम अधूरा छोड़ दिया गया है.

वर्ष 2007 में काटी उपसा सिंचाई परियोजना का काम प्रारंभ किया गया था. काटी और गर्रा जिला परिषद क्षेत्र के 43 गांवों को इस योजना का लाभ मिलने वाला था. नहर बनाने के लिए किसानों से ज़मीन भी ले ली गई. मगर योजना अब तक साकार नहीं हो पाई है. योजना के भूमिपूजन के मौके पर कहा गया था कि 2011 तक पानी खेतों तक पहुंच जाएगा, लेकिन योजना ही अधूरी पडी है तो पानी कहां से आएगा.

37 हेक्टेयर जमीन हस्तांतरित
परियोजना का काम अब तक 60 फीसदी ही हो पाया है. खेतों से 15 से 18 फुट नहर बना ली गई है. इसके चलते दो भागों में बंट चुके खेतों में जाने के लिए भी रास्ता नहीं बचा है. नहर बनाने के लिए धिवारी, चंगेरा, रजेगांव, मुरपार, रावणवाड़ी, बघोली, शिरपुर और चारगांव आदि गांवों की 37 हेक्टेयर जमीन हस्तांतरित की जा चुकी है. शिरपुर और बघोली पाइप लाइन का काम पूरा हो गया है. कार्यकारी अभियंता गेडाम का कहना है कि इससे 700 से 800 हेक्टेयर जमीन सिंचित सकती है.

Sinchai Pariyojna

लागत तीन गुना से अधिक बढ़ी
मध्यम सिंचाई विभाग के अनुसार 30 सितंबर 1999 को योजना को मंजूरी मिली थी. उस समय परियोजना की लागत 23 करोड़ 38 लाख थी, जो 31 मार्च 2011 तक बढ़कर 87 करोड़ 43 लाख चुकी है. जून 2012 तक 600 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई क्षेत्र के अन्तर्गत लाने का लक्ष्य रखा गया था, जो पूरा नहीं हो पाया
है. सवाल यह है कि अगर विभाग के मुताबिक जलसंग्रह ही नहीं किया गया है तो उसका उपयोग कैसे हो पाएगा. ठीक यही हाल तेवढा शिवणी उपसा सिंचन योजना का है. इसका तो केवल करारनामा ही किया जा सका है. जैकवेल और पंप हाउस का काम शत-प्रतिशत हो गया है, जबकि राइज़िंग 80 प्रतिशत और स्विचयार्ड का का सिर्फ़ 5 फीसदी ही हो पाया है. 4 में से सिर्फ 2 पाइप लाइन का ही काम हुआ है और वह भी आधा ही.

बाजार-भाव से मुआवजा देने को तैयार ; गेडाम
किसानों द्वारा दो पाइप लाइनों के विरोध के चलते काटी उपसा सिंचाई परियोजना का काम लटका हुआ है. कार्यकारी अभियंता गेडाम का कहना है कि सरकार किसानों को बाजार भाव के अनुसार मुआवजा देने को तैयार है. जमीन मिलने में विलंब के लिए उन्होंने भूअर्जन विभाग को दोषी ठहराते हुए कहा कि दो साल तक योजना पूरी नहीं हो सकती.