गोंदिया जिला सूखाग्रस्त करने के लिए अशोक (गप्पू) गुप्ता के नेतृत्व में सड़कों पर बैठे हजारों समर्थक
टायर जलाए, नारे लगाए, आंदोलन को उग्ररूप लेता देख तहसीलदार पहूंचे घटनास्थल पर
गोंदिया
बारिश के समय पर न आने से क्षेत्र के किसानों पर दोबारा बुआई के संकट से जुझ रहे किसानों की ज्वलंत समस्या को ताक पर रखते हुए आज जनचेतना पदयात्रा मुहिम के दौरान ग्राम रावनवाड़ी में बड़ी संख्या में उपस्थित किसानों ने अशोक (गप्पू)गुप्ता के नेतृत्व में गोंदिया- बालाघाट सड़क पर धरना देकर गोंदिया जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने का मुद्दा उठाया. श्री गुप्ता के नेतृत्व में उनके समर्थकों ने इस धरने के दौरान एक ज्ञापन मुख्यमंत्री श्री पृथ्वीराज चव्हाण महाराष्ट्र सरकार तथा उपमुख्यमंत्री अजीत पवार एवं कृषिमंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील को जिलाधिकारी के मार्फत एक निवेदन प्रस्तूत कर तत्काल किसानों को राहत देने की मांग करते हुए गोंदिया जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की है.
अषोक (गप्पू)गुप्ता के नेृतत्व में किया गया यह धरना आंदोलन करीब डेढ़ घंटा तक रास्ते पर चक्काजाम कर डटा रहा तथासरकार के विरोध में मोर्चाबंदी करते हुए जमकर नारे लगाए. उनकी मांगों में, गोंदिया जिला सूखाग्रस्त घोषित किया जाए, किसानों के कृषि बिजली बिल माफ कर उन्हें मुफ्त में बिजली आपूर्ती की जाए तथा वर्ष 2013 में भीषण बाढ़ग्रस्त से बर्बाद हुई फसल का तत्काल मुआवजा प्रदान किया जाए तथा रबी फसल जो ओलावृष्टी से तबाह हो गई उसका भी मुआवजा प्रदान किया जाए एवं किसानों को खरीफ फसल 2014 के लिए मिलने वाला कर्ज उनके खातों में तत्काल जमा कराने की मुख्य मांगे रखी गई थी.
रावनवाड़ी चैराहे पर हजारों समर्थकों के साथ आंदोलन कर रहे अशोक (गप्पू)गुप्ता के मोर्चाबंदी की खबर जिलाधिकारी गोंदिया श्री अमित सैनी को लगते ही उन्होंने तत्काल इसका संज्ञान लेते हुए अपने एक प्रतिनिधी मंडल को आंदोलन स्थल पर भेजा. प्रतिनिधी के रूप में तहसीदार गोंदिया संजय पवार ने आंदोलनकारियों को भेंट देकर उक्त मांगों का ज्ञापन स्वीकार किया. तहसीलदार संजय पवार ने अशोक गप्पु गुप्ता को आश्वासन देते हुए कहा कि, किसानों से संबंधित मांगे यह जायज है तथा किसानों से संबंधित इस मांगपत्र को तत्काल ही सरकार तक पहुंचाने कार्य किया जाएगा. तहसीलदार के आश्वासन मिलने के बाद ही अषोक (गप्पू) गुप्ता के नेतृत्व में आंदोलन कर रहे समर्थकों ने रास्ता से आंदोलन पीछे लिया और पदयात्रा का दौर अपने कारंवा के साथ आगे बढ़ा.
आंदोलन में मुख्य रूप रूप से उपस्थित मनोज लिल्हारे, योगी भेलावे, हंसराज हट्टेवार, ओसकुमार श्यामकुंवर, रवि शेन्द्रे, गोपाल अजनीकर, कुलदीप रिनाईत, गंगाराम कापसे, मनोज दहीकर, भाउ अग्रवाल, ललीत तावाडे, बाबा बहेकार पप्पु पटले, विनायक खैरे, करण टेकाम, चुनेश पटले, अंचन गिरी, आनंद जतपेले, नाजुक शेंडे, उमाप्रसाद लिल्हारे, देवचंद बिसेन, संतोष लिल्हारे, सुखदेव हत्तीमारे, प्रकाश देवाधारी, आनंद नागपुरे, सचिन मेश्राम, क्रांति बिसेन,संजु नेवारे, महेश पाचे, गंगाराम मानकर, कुंदन डहाट, तेजलाल सहारे, गुनेष रहांगडाले, दिनेष रहांगडाले, चमरू बोपचे, रविन्द्र मेश्राम, छ्रगन माने, तुकाराम पटले, धर्मराज रहांगडाले, प्रफुल वरेकर, सुजीत येवले, नरेन्द्र मेश्राम, शैलेष टांक, गणेष बिसेन, रवि ठाकरे, केवल रहांगडाले, सनम कोल्हटकर,मनोज कटकवार, आनंद नागपुरे, पुना प्रसाद लिल्हारे, श्रीराम नाइक, योगराज लिल्हारे, धुरन सुलाखे, अजय नागपुरे, प्रकाश बुडेकर,ज्ञानेष चिखलोंडे, राजेष नागपुरे, महेन्द्र गायधने, योगेवर मस्करे, संजय हलमारे, प्रदीप पतेह, गणेष बुझाडे, गणेश धांडे, नरेन्द्र चिखलोंडे, नरेश कावळे, सहित हजारों की संख्या में समर्थक एवं किसान भाई उपस्थित थे.