गोंदिया
तहसील अंतर्गत ई-ग्राम पंचायत प्रणाली में काम क्ररने वाले बोडगांव/सुरबन, दिनकरनगर, सिरोली/ महागांव, देवलगांव ग्राम पंचायतों में कार्य करने वाले कंप्यूटर ऑपरेटरों को दस माह बीत जाने के बावजूद उन्हें अब तक मानधन नहीं दिया गया.
इस संदर्भ में पूछताछ करने पर पंचायत समिति के अधिकारी एवं महाऑनलाइन कंपनी के अधिकारी कंप्यूटर परिचालकोंको कार्य न करने पर कार्यमुक्त करने की चेतावनी दे रहे हैं. उन पर हो रहे अन्याय से मुक्त होने के लिए कंप्यूटर परिचालकों ने मु य कार्यकारी अधिकारी व खंडविकास अधिकारी को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा है.
गौरतलब है कि राज्य मेंसभी ग्राम पंचायत ई-ग्राम पंचायत सेवा के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार ने नवंबर 2011 से लेकर राज्य की संपूर्ण ग्राम पंचायतों को कंप्यूटरीकृत करने का निर्णय लिया है. प्रत्येक ग्राम पंचायत में कंप्यूटर चलाने के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर का पद अस्तित्व में लाया गया.
कंप्यूटर चालकों को ग्राम पंचायत के 13 वें वित्त आयोग से प्रतिमाह 8824 रु.मानधन देने का प्रावधान किया गया. इससे 5 से 8 हजार तक की नौकरियां छोडकर अपने ही ग्राम में रोजगार करने की आस से अनेक कंप्यूटर परिचालकों ने यह कार्य स्वीकार किया. इसके लिए 13 वें वित्त आयोग से कंप्यूटर परिचालक के 8824 रु.मानधन निकालकर 12 वीं पास चालकों को 3800 रु. तथा स्नातक को 4100 रु. दिए जाते है.
वहीं शेष राशि ठेका दिए गए कंपनी के साथ सांठगांठ कर कंप्यूटर परिचालकों के भरोसे पर राज करने का कार्य सरकार तथा सरकार के अधिकारियों और महा ऑनलाइन कंपनी ने शुरू किया है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है.
अर्जुनी मोरगांव तहसील के बोंडगांव/सुरबन,दिनकरनगर, सिरोली/महागांव एवं देवलगांव इन चार ग्राम पंचायत के कंप्यूटर ऑपरेटरों के गत दस माह से वेतन नहीं होने से उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मानधन के संदर्भ में पूछताछ की गई तो काम से निकालने की चेतावनी दी जाती है. इससे इन दिनों कंप्यूटर ऑपरेटर मानसिक रूप से काफी परेशान नजर आ रहे हैं. देश में बढ़ रही बेरोजगारी में उच्च शिक्षा अजिर्त करने वालोंको भी काम मिलना कठिन हो गया है. इससे उन्हें अल्प मानधन में कार्य करना पड रहा है, लेकिन गत दस माह से कार्य करने वाले कंप्यूटर परिचालकों पर अन्याय किया जा रहा है.
किसी भी संदर्भ में पूछताछ करने पर समिति एवं महा ऑनलाइन के अधिकारी उनसे ठीक तरीके से पेश नहीं आते. इससे उन्हें यह समस्या निर्माणहुई है. आखिरकार करें तो क्या? उन्होंने अपनी ही ग्राम में रोजगार की आस में 5 से 7 हजार रु.तक की नौकरियां छोडकर अपने गृह ग्राम में रोजगार की आस में वे इन समस्याओं का शिकार हो गए. इससे उन्हें अब दस माह से वेतन के बगैर दिन काटने पड़ रहे हैं. वेतन रुका होने से वे नौकरी भी नही छोड सकते इससे उन्हें मजबूरन कार्य करना पड़ रहा है.
वर्तमान स्थिति मेंग्राम पंचायत अंतर्गत रोजगार गारंटी योजना के कार्य उसी तरह कार्यालयीन कायरें का बोझ काफी है. अनेक स्थानों पर इंटरनेट कनेक्शन नहीं है.ऐसा होने के बावजूद कंप्यूटर ऑपरेटर से कार्य सही तरीके से करवाया जाता है, लेकिन उन्हें दिए जाने वाले मानधन के संदर्भ मेंउन पर अन्याय किया जा रहा है.
इससे उन्हें आर्थिक संकटों का सामना करना पड रहा है, जिससे उन पर हो रहे अन्याय को दूर करने के लिए उन्होंने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व खंडविकास अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया है. अब इस पर वरिष्ठ अधिकारी क्या निर्णय लेते हैं, इस ओर सभी की निगाहें टिकी है.