मलेरियाग्रस्त होकर लौटे, मेहनताना तक नहीं दिया
गडचिरोली
तेलंगाना राज्य में गए तेंदूपत्ता मजदूरों के मलेरिया की चपेट में आने के बावजूद ठेकेदार द्वारा उनका उपचार कराना तो दूर, उन्हें जबरदस्ती काम में जुटे रहने को मजबूर किया जाता रहा. हालत बहुत अधिक बिगड़ने पर सोमवार को 60 से अधिक मलेरियाग्रस्त तेंदूपत्ता मजदूरों को स्थानीय जिला अस्पताल में दाखिल किया गया है. ठेकेदार ने इन मजदूरों की मेहनत की कमाई तक उन्हें नहीं दी है, जिससे उनके पास इलाज के लिए भी पैसा नहीं है.
मजदूरों का जबरदस्त शोषण
गडचिरोली जिले में रोजगार के कोई साधन उपलब्ध नहीं हैं. खेती के काम खत्म होने के बाद रोजगार की तलाश में सैकड़ों मजदूर तेंदूपत्ता के मौसम में गडचिरोली के अलावा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना राज्य में जाते हैं. दूसरे राज्यों के ठेकेदार भारी संख्या में यहां के मजदूरों को ले जाते हैं. उनका जबरदस्त शोषण किया जाता है. यह हर साल की कहानी होती है.
मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम
गडचिरोली जिले के ग्राम चांभारडा के 50 से अधिक मजदूरों को मो. फारुद्दीन नामक ठेकेदार तेलंगाना राज्य के वारंगल लेकर गया था. ठेकेदार ने उन्हें मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम रखा और उन्हें खुले में सोने तथा नदी-नालों का पानी पीकर गुजर-बसर करने पर मजबूर किया. कुछ दिन काम करने के बाद इन 50 से अधिक तेंदूपत्ता मजदूरों की हालत बिगड़ गई. इन्हें इलाज के लिए पास के दवाखानों में ले जाया गया. खून की जांच में सभी मजदूर मलेरिया के मरीज निकले. लेकिन उनका इलाज कराने की बजाय मलेरिया की गोलियां देकर उनसे काम कराया जाता रहा. काम के पैसे भी नहीं दिए गए. इससे उनकी हालत बिगड़ती गई. जब लगातार पैसों की मांग की गई तो सबको 1000 रुपए देकर भगा दिया गया. चांभारडा के मजदूर किसी तरह गांव पहुंचे. आखिर सोमवार को उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती किया गया.
डॉक्टरों की हड़ताल
गडचिरोली के जिला अस्पताल के हर वार्ड में मरीजों की भीड़ लगी है. 2 जून से डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से मरीजों के और बुरे हाल हो रहे हैं.