सरकार कुपोषण रोकने में नाकाम
खामगांव.
बालकुपोषण निर्मूलन के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं शुरू की है। फिर भी कुपोषण रोकने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। कुपोषण के कई मामले सामने आ रहे है। बुलढाणा जिले के लोनार तहसिल में एक नहीं, दो नहीं बल्की 31 कुपोषित बालकों के सामने आने से लोणार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों में हडकंप मचा हुआ है और एक नई चुनौती उनके सामने खड़ी हो गई है।
महिला एकात्मिक बालविकास परियोजना के अंतर्गत लोणार तहसील की आंगनवाड़ी में पोषक आहार वितरित किया जाता है। कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए सरकार कई कदम भी उठा रही है। कुपोषण को खत्म करने के लिए और बच्चों के पुरी तरह से विकास के लिए सरकार ने ५ वर्ष तक बालको को फल, अंडे, दुध के साथ पोषण आहार देने की योजना शुरू की है फिर भी बाल कुपोषण रोकने में प्रशासन नाकाम नजर आने लगा है। लोणार तहसील के बालको में कुपोषण की गंभीर बात सामने आई है। इस तहसील में लगभग ३१ कुपोषित बालकों के सामने आने से महिला एकात्मिक बालविकास परियोजना के कामकाज पर सवाल उठने लगे है।
क्या बालको को आंगनवाडी में पोषक आहार नहीं मिलता ?
बालको को दिया जानेवाला आहार कितनी मात्रा में अच्छा रहता है ? ऐसे कई प्रश्न खड़े होने लगे है।
चोरप्रांगा में 5 बालक कुपोषित
इस तहसील के एक छोटे से गांव चोरप्रांगा मे 5 बालक कुपोषित होने की गंभीर बात सामने आई है। जिसके कारण आज भी ग्रामीण इलाको में चिकित्सा सेवा का आभाव दिखाई दे रहा है। किशोरी लडकी, गर्भवती माताओं को लोहयुक्त गोलियों की आपुर्ती नहीं होती। इसके अलावा छोटे बच्चों को दी जानेवाली दवाईया भी समय पर नहीं मिलती ऐसी जानकारी मिली है।
इन सबसे ये तो साफ़ है की सरकार को कुपोषण के प्रति और गंभीर होने की ज़रूरत है और ज़रूरत है की इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए प्रशासन और बेहतर उपाय और योजना तैयार करे।