Published On : Fri, Sep 5th, 2014

कांग्रेसी टिकट की बाधा-दौड़ का अंतिम चरण दिल्ली में, ठाकरे, गुड़धे पाटिल का नाम भेजा केंद्रीय समिति को

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Vikas-Thakre-1नागपुर टुडे.

विधानसभा चुनाव हेतु कांग्रेसी दावेदारों को तीन चरणों वाली चयन प्रक्रिया से गुजरना होता है. शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पश्चिम नागपुर से कांग्रेस की टिकट के प्रबल दावेदार विकास ठाकरे और दक्षिण-पश्चिम नागपुर से प्रफुल्ल गुडधे पाटिल ने आज दूसरे चरण की बाधा भी पार कर ली. अब अगर नई दिल्ली में होने वाली केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कोई रुकावट नहीं डाली तो विकास ठाकरे और गुड़धे पाटिल की टिकट पक्की हो जाएगी.

समर्थकों का हौसला बुलंद
विकास ठाकरे और प्रफुल्ल गुड़धे पाटिल के दूसरे चरण की बाधा भी पार करने की खबर के नागपुर पहुंचते ही दोनों के समर्थकों का हौसला बुलंद हो गया है. अंतिम चरण की चयन प्रक्रिया दिल्ली में होगी, जहां अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की अंतिम मुहर लगेगी. ज्ञात हो, राज्य विधानसभा का चुनाव अक्तूबर माह में होने जा रहा है.

दूध का जला….
विगत लोकसभा चुनाव में बुरी तरह पराजय का सामना करने के बाद कांग्रेस ‘दूध का जला छाछ भी फूंक़-फूंक कर पीता है’, वाली स्थिति में है. इसीलिए पार्टी विधानसभा चुनाव में जिताऊ उम्मीदवारों के चयन के लिए कड़ी मशक्कत कर रही है. बारीक से बारीक मुद्दे पर भी ध्यान दिया जा रहा है. इसीलिए, राज्य कांग्रेस के संसदीय मंडल ने नागपुर शहर समेत राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों से इच्छुक उम्मीदवारों के आवेदन मंगवाने के साथ ही उनके साक्षात्कार भी लिए. इच्छुक उम्मीदवारों की भारी भीड़ ने कांग्रेस में नई जान फूंक दी.

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दोनों सीटें हाई-प्रोफाइल
इसी क्रम में कांग्रेस की हाई-प्रोफाइल सीट पश्चिम नागपुर और दक्षिण-पश्चिम नागपुर पुन: चर्चा में आ गर्इं. दोनों सीटें वर्तमान में भाजपा के कब्जे में हैं. पूरा जोर इसी बात पर है कि कांग्रेस ये दोनों सीटें भाजपा से कैसे और किसके भरोसे छीन सकती है. पश्चिम नागपुर से कांग्रेस के नगरसेवक व पूर्व महापौर विकास ठाकरे और राज्य मंत्रिमंडल में ऊर्जा राज्यमंत्री राजेंद्र मुलक ने दावेदारी पेश की थी. ठाकरे पिछले तीन विधानसभा चुनाव से इस सीट के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, मगर कांग्रेस हर बार किसी बाहरी कांग्रेसी नेता को उम्मीदवार बनाकर पेश कर देती है. परिणाम, उसे हर बार यह सीट गंवानी पड़ती है. जबकि यह सीट कभी कांग्रेस का गढ़ रही है. दूसरी ओर, राजेंद्र मुलक ने भी विधानसभा चुनाव लड़ने के इरादे से दो वर्षो से इस क्षेत्र में अपनी सारी ताकत झोंक रखी है.

किसी ने नहीं की हिम्मत
दक्षिण-पश्चिम नागपुर से नगरसेवक प्रफुल्ल गुडधे पाटिल के अलावा किसी और सक्षम कांग्रेसी नेता ने टिकट की मांग नहीं की है. यह क्षेत्र अब तक भाजपा का गढ़ माना जाता है. भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष देवेंद्र फड़णवीस यहां से वर्तमान विधायक हैं. भाजपा के इस गढ़ को ढहाने और फड़णवीस के खिलाफ उतरने की हिम्मत कोई कांग्रेसी नेता नहीं कर रहा है.

सकारात्मक रुख
विगत सप्ताह कांग्रेस के राज्य संसदीय मंडल की बैठक में गहन विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से पश्चिम नागपुर से विकास ठाकरे और दक्षिण-पश्चिम नागपुर से प्रफुल्ल गुड़धे पाटिल का नाम तय कर कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी को भेजा गया. मजे की बात यह कि बैठक में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की सिफारिश को कोई तवज्जो नहीं दी गई. संसदीय मंडल के अधिकांश सदस्यों के चव्हाण के विरोध में होने के कारण ही राजेंद्र मुलक का नाम स्क्रीनिंग कमेटी के पास नहीं भेजा जा सका.  आज 4 सितंबर को मुंबई में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में ठाकरे और गुड़धे पाटिल के नामों पर सकारात्मक मुहर लगाते हुए दोनों नाम अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की केंद्रीय चयन समिति को भेज दिए गए.

अगर, मगर के बीच अंतिम बाधा
अब, बस आखरी बाधा पार करना शेष है. कांग्रेस की केंद्रीय समिति की अंतिम मुहर लगने के बाद दोनों की उम्मीदवारी की घोषणा हो सकती है. अड़चन केवल एक ही है, और वह यह कि इस समिति में राज्य के मुख्यमंत्री चव्हाण भी एक अहम सदस्य हैं. उनकी बात का वजन भी होता है. मुख्यमंत्री की सिफारिश पर गौर करने की कांग्रेस की परंपरा भी रही है. अगर मुख्यमंत्री ने कोई नया नाम यानी मुलक के नाम की सिफारिश पश्चिम नागपुर के लिए नहीं की, तो विकास
ठाकरे की उम्मीदवारी पक्की. वैसे, इससे पूर्व कई चुनावों में यही देखा गया है कि कांग्रेस जिसका नाम घोषित करती है उसके बजाय कोई और ही ‘बी फॉर्म’ लेकर आ जाता है.

द्वारा:-राजीव रंजन कुशवाहा

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