Published On : Tue, Jul 8th, 2014

उमरखेड़ : टेम्भुरदरा परिसर में दोबारा बुआई की नौबत


फसलें नष्ट, न पीने को पानी और न मवेशियों को चारा


उमरखेड़

tembhurdara shetkari nivedan
तालुका के टेम्भुरदरा ग्राम में किसानों पर दोबारा बुआई की नौबत आ गई है. जून में किसानों ने जो बुआई की थी वह अब ख़राब होने लगी है. पहले से ही आर्थिक संकट के शिकार सैकड़ों किसानों ने इस संकट से उबारने के लिए आज 8 जुलाई को तहसीलदार सचिन शेजाल को एक ज्ञापन सौंपा है.

जल गए पौधे
टेम्भुरदरा ग्राम के किसानों की जमीन टेम्भुरदरा के अलावा वाड़ी और दत्तनगर परिसर में भी है. पिछले महीने दो बार बुआई योग्य बारिश होने के कारण इस क्षेत्र के 80 फीसदी किसानों ने कपास, सोयाबीन, तुअर, धान आदि फसलों की बुआई की. फसलें कुछ उगी भी, मगर बाद में बारिश के मुंह फेर लेने से फसलों पर संकट आ गया. सूरज का आग उगलना जारी रहने से पौधे जल गए. इसके चलते टेम्भुरदरा परिसर के किसानों पर दोबारा बुआई की नौबत आ गई है.

सैकड़ों किसान पहुंचे तहसीलदार के दरबार
इस परिसर के सैकड़ों किसानों ने आज तहसीलदार को ज्ञापन देकर आर्थिक संकट से उबारने की मांग की. मांग करनेवाले किसानों में टेम्भुरदरा ग्राम के सरपंच नरसिंह फकीरा जाधव, वाधु फोफसे, किसन राठोड, बजरंग जाधव, सुरेश जाधव, मधुकर जाधव, साहेबराव जाधव, लक्ष्मण मुड़े, गणपत राठोड, तुलसीराम चव्हाण, साहेबराव राठोड, खंडू फोले, विजय गडपेवार, विठाबाई बढ़े, नर्मदा जाधव, सुशीलाबाई खोकले, द्वारका ब्रम्हटेके, दादाराव मुकेवाड़, दरुबाई ब्रम्हटेके सहित अनेक पुरुष, महिला किसान उपस्थित थे.

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गांव में भीषण जलसंकट
टेम्भुरदरा ग्राम के किसानों ने तहसीलदार को बताया कि बारिश नहीं होने से गांव में भीषण जलसंकट व्याप्त है. पानी के लिए लोगों को दिन-रात भटकना पड़ता है. गांव के हर घर में मवेशी हैं. इससे गांव के 5000 मवेशियों पर चारे का संकट आन पड़ा है. मवेशियों को पानी पिलाने के लिए तीन कोस दूर अमड़ापुर बांध ले जाना पड़ रहा है. किसानों की समस्याएं सुन तहसीलदार ने भी चिंता जताई.

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