– शहर के निर्मित या निर्माण हो रहे सीमेंट सड़क में खामियों का अम्बार
नागपुर: नागपुर में डामर की सड़क जल्द ख़राब होने से सभी सड़कों को सीमेंट सड़क में तब्दील का क्रम जारी हैं.लेकिन सीमेंट सड़क निर्माण में इंडियन रोड कांग्रेस के मानक का पालन न करने से सड़क निम्न के कुछ माह बाद सड़कों की पोल खुलना शुरू हो गई.जिसकी जिम्मेदारी न सम्बंधित विभाग ले रही और न ही सरकार।इस चक्कर में जनता से संकलित निधि/कर का दुरुपयोग हो रहा ? आइआरसी के सचिव ने भी स्पष्ट किया कि मानक तैयार करना उनकी जिम्मेदारी लेकिन उसका पालन करने के लिए आइआरसी को दबाव बनाने का अधिकार नहीं,अर्थात आइआरसी के महत्त्व को केंद्र और राज्य सरकार तिलांजलि देने के लिए स्वतंत्र हैं.
नागपुर मनपा की आर्थिक स्थिति दयनीय होने के बावजूद लगभग ४०० करोड़ खर्च सिर्फ सीमेंट सड़क निर्माण के लिए किये जा रहे हैं.इसकी गुणवत्ता को जाँचने के लिए मनपा के पास कोई व्यवस्था नहीं हैं.ग्रेट नाग रोड का इस चक्कर में बारह बज चूका हैं.इस मार्ग पर सूक्षम मुआयना करने पर अनगिनत जगह सीमेंट सड़क पर दरार दिख जायेंगे।इस मामले के गर्माते ही मनपा ने सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टिट्यूट को जाँच करने का जिम्मा दिया।इस संस्था के विशेषज्ञो ने जाँच जरूर की लेकिन निष्कर्ष आज तक कुछ सार्वजानिक नहीं किया गया.जाँच के बाद उक्त संस्थान ने जहाँ जहाँ दरार आई,वहां वहां मरम्मत करने का निर्देश दिया।जब इसका खर्च आँका गया तो निर्माणकार्य से ज्यादा खर्च मरम्मत का आंकलन किया गया था.
शहर में अमूमन जितने भी सीमेंट सड़क का निर्माण हुआ या जारी हैं,सभी की दशा लगभग एक जैसी हैं.साथ ही शहर के दोनों आउटर रिंग रोड का निर्माणकार्य जारी हैं,इन सड़कों को भी सीमेंट सड़क के रूप में तैयार किया जा रहा.
याद रहे कि ‘आइआरसी एसपी ०६२’ के अनुसार सीमेंट सड़क का डिज़ाइन और निर्माण के सम्बन्ध में मापदंड उल्लेखित हैं.सड़क निर्माण में सीमेंट,पानी,गिट्टी,रेत और तापमान का प्रतिशत तय किया गया हैं,लेकिन आइआरसी की उक्त मानक का नागपुर जैसे हर प्रकार से गर्म शहर में उपयोग के बजाय नज़रअंदाज किया जा रहा.ऐसे कृतों के लिए सक्षम व स्वतंत्र जाँच एजेंसी की सख्त आवश्यकता हैं.
उल्लेखनीय यह हैं कि नागपुर की सीमेंट सड़कों के गुणवत्ता को देख निजी कंपनियां दर्जेदार काम करती हैं,यह भ्रम दूर हो गया हैं.
लोकनिर्माण विभाग की कथनी-करनी में फर्क
अधिवेशन में भाग लेने हेतु आने वाले प्रतिनिधियों की व्यवस्था करने के लिए सिविल लाइन्स स्थित विधायक निवास को स्मार्ट बनाने में १५ करोड़ खर्च किये गए,जो कई मामलों में विवादों में घिर गया हैं.विधायक निवास के पहले विंग के लिए २ करोड़ ३५ लाख रूपए,विंग २ के लिए १ करोड़ ७० लाख रूपए और विंग ३ के लिए १ करोड़ ८० लाख रूपए का निविदा जारी किया गया.उक्त निविदा शर्तो के अनुसार समाचार लिखे जाने तक काम पूरा नहीं हो पाया।सवाल यह हैं कि क्या उक्त खर्च आइआरसी अधिवेशन के लिए करने की क्या जरुरत थी ? ऊपर से नागपुर विभाग के मुख्य अभियंता प्रत्येक मामले में केंद्रीय मंत्री का हस्तक्षेप होने की जानकारी देकर खुद का पल्ला झाड़ ले रहे हैं.