सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग वरोरा का कारनामा
वरोरा
गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) आने वाले ग्राम मोहबाला के विजय तात्याजी काले ने वरोरा में सार्वजनिक निर्माणकार्य उपविभाग से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी है, जिसके लिए विभाग के जनसंपर्क अधिकारी तथा उपविभागीय अभियंता एस. पी. गावंडे ने उन्हें 37 हजार 500 रुपए जमा करने को कहा है. इससे साफ पता चलता है कि उक्त अधिकारी जानकारी देने में टालमटोल कर रहा है.
यह जानकारी मांगी थी
मोहबाला के विजय काले ने सार्वजनिक निर्माणकार्य उपविभाग वरोरा से मोहबाल दहेगांव – डोंगरगांव के संबंध में कुछ जानकारी चाही थी. उन्होंने पूछा था कि, इस सड़क का काम कब हुआ और 2013-14 में इस सड़क का उद्घाटन कब हुआ. सूचना के अधिकार के तहत की गई अर्जी के साथ श्री काले ने ग्राम पंचायत मोहबाला का बीपीएल का प्रमाणपत्र भी जोडा था.
नियम का उल्लंघन
नियमानुसार बीपीएल में आनेवाले लोगों को मुफ्त जानकारी देना आवश्यक है, लेकिन यहां के जनसंपर्क अधिकारी ने जानकारी देने के लिए आवश्यक कागजात और प्रमाणपत्रों की सत्य प्रति के लिए 37 हजार 500 रुपए कार्यालय में जमा कराने का पत्र विजय काले को दे दिया. पत्र पाकर वे चौंक गए. उन्होंने फोन द्वारा पूछताछ की तो कहा गया कि रकम तो भरनी ही पड़ेगी. यह भी बताया गया कि सात दिन के अंदर रकम नहीं भरी गई तो जानकारी नहीं दी जाएगी तथा अर्जी रद्द की जाएगी. जाहिर है कि बीपीएल में आनेवाले विजय काले न तो इतना पैसा जमा करा सकते हैं और अधिकारी के अनुसार न ही उन्हें यह जानकारी दी जा सकती है.
दो जिले के ठेकेदार
दरअसल विजय काले ने अख़बारों में पढ़ा था कि सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग ने केवल कागज पर ही काम किया है. इसीलिए उन्होंने इस संबंध में जानकारी मांगी थी.
वर्ष 2011 – 12 की कालावधि में दहेगांव – डोंगरगांव रास्ते के खड़ीकरण के लिए 51 लाख 35 हजार की रकम दिखाई गई. इस संबंध में मोहबाला के रास्ते पर एक फलक भी लगाया गया. उस कालावधि में सिर्फ वरोरा-मोहबाला रास्ते का काम नहीं किया गया। उस फलक पर दो जिले के ठेकेदार दिखाए गए.
सरपंच ने जिलाधिकारी से की थी शिकायत
सरपंच जयंत टेमुर्डे ने 10 मार्च को जिलाधिकारी को इस संबंध में शिकायत की थी. जयंत टेमुर्डे ने उपविभाग कार्यालय में भी शिकायत की थी, लेकिन अभी तक उस रास्ते की जांच नहीं हुई है. रास्ता निर्माण का पूरा कार्य केवल कागज पर ही दिखाया गया. काले ने यही सब जानकारी मांगी थी. इस बारे में उपअभियंता गावंडे से संपर्क करने का प्रयत्न किया गया, लेकिन उसने संपर्क नहीं हो सका.