Published On : Thu, Sep 18th, 2014

चुनावी चीयर्स पर कड़ी नजर ; कितनी बिकी शराब, ‘व्हॉट्स-ऐप’ पर हो रहा हिसाब

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नागपुर: विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र नागपुर विभागीय आबकारी विभाग के फरमान से विदेशी शराब के अधिकृत  विक्रेता चुनावी मौसम में होने वाले धंधे को डूबता देख सकते में आ गए है. पिछले १०-११ दिन से इन्हें रोजाना प्रत्येक लाइसेंस अंतर्गत दुकान, बार आदि का हिसाब देना पड़ रहा है. चुनाव के दौरान यदि रोजाना सामान्य बिक्री से ३ गुणा से अधिक का धंधा हुआ, तो कार्रवाई करने का नोटिस सभी अधिकृत विक्रेताओं को थमाया गया है। अब चुनावी मौसमी में शराब विक्रेता कमाई की नई-नई स्कीम ईजाद करने में जुट गए हैं।

पीने वाले उतने ही, खपत 10 गुणा!
जिले के शराब विक्रेता ने बताया कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव ५-५ साल बाद आता है। इन चुनावों में पीने वाले उतने ही रहते हैं पर शराब की खपत अचानक ८-१० गुणा बढ़ जाती है। पिछले कुछ चुनाव से मुख्य चुनाव आयोग ने चुनाव में शराब की महत्ता को ख़त्म करने के लिए आबकारी विभागों पर सख्ती  बरतनी शुरू कर दी है। वह इसलिए कि चुनाव में शराब के चलन से आर्थिक के साथ सामाजिक नुकसान हो रहा था। अपराध भी कई गुणा बढ़ रहे थे। इस पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से चुनाव आयोग ने आबकारी विभाग को कड़क निर्देश दिए, जिसका पालन करते हुए आबकारी विभाग ने जिले के सभी अधिकृत शराब विक्रेताओं को निर्देश दिया कि वे रोजाना ‘व्हॉट्स-ऐप’ पर रोज के ओपनिंग स्टॉक, सेल और क्लोजिंग बैलेंस का हिसाब दें।

3 गुणा से ज्यादा बिकी तो होगी कार्रवाई
आबकारी विभाग के इस आदेश को सभी ने स्वीकार कर निर्देशो का पालन शुरू कर दिया है। आबकारी विभाग का यह भी कहना है कि चुनाव के दौरान ज्यादा से ज्यादा ३ गुणा धंधा को विभाग की स्वीकारोक्ति रहेगी।लेकिन इससे बढ़ गया तो यह समझा जायेगा कि चुनावों में इच्छुक उम्मीदवारी को शराब पूर्ति की गई है, इसका भी हिसाब देना होगा।यानी बेचने वाले और खरीदने वाले पर आफत तय है। फ़िलहाल इसी फतवे पर शराब के अधिकृत विक्रेता चल रहे है.

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चुनावी कमाई का नया फंडा 
दक्षिण नागपुर के एक शराब विक्रेता के अनुसार उक्त आदेश के आते ही चुनावों में अच्छा-खासा धंधे करने के उद्देश्य से जिले के मामूली अधिकृत धंधे वालो से लेकर बड़े-बड़े विक्रेताओ से २-३ गुना शराब की बिक्री दिखानी शुरू कर दी गई है। दिखाई गई शराब की पेटी हटाकर अलग जगह पर स्टॉक करना शुरू हो चूका है। शराब की डिमांड चुनाव के अंतिम सप्ताह में होनी है। उम्मीदवारों को आबकारी का आदेश दिखाकर बड़ी कमाई का उद्देश्य है। इस योजना में आबकारी विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारी भी सहयोग कर रहे हैं।

विभाग के दबाव में भिंगरी हुई सस्ती 
आबकारी विभाग की शह पर जिले के शत-प्रतिशत देशी शराब विक्रेता भिंगरी नामक शराब प्रति निप (पौआ यानि १८० एमएल ) अधिकतम बिक्री की कीमत (एमआरपी ) ३८ रूपए के बजाय ७ रूपए अधिक ४५ रूपए में बेच रहे थे। जिले के बाहर देशी शराब की शत-प्रतिशत खपत से क्षुब्ध नागपुर शहर के देशी शराब निर्माता/बॉटलिंग प्लांट वालों ने जिला आबकारी विभाग पर दबाव बनाकर उनके द्वारा दिए गए आदेश को पीछे लेने के लिए राजी कर लिया है। अब पिछले कुछ माह से भिंगरी ४५ रूपए निप (पौआ यानि १८० एमएल ) की बजाय मात्र ४० रूपए में बिक रही है।विभाग ने आदेश जारी किया है कि इससे ज्यादा में बिक्री करते पकड़ाये तो कानूनन करवाई होगी।

एम आर पी से अधिक मूल्य पर बेचना अपराध
उल्लेखनीय यह है कि अधिकतम बिक्री की कीमत (एमआरपी ) से ज्यादा पर शराब बेचना देश में अपराध की श्रेणी में आता है। फिर भी आबकारी विभाग का ३८ के बजाय ४० में बिकवाने का आदेश जारी करना भी जुर्म की श्रेणी में है। क्या जिला प्रशासन आबकारी विभाग की उक्त नीति पर कड़क कदम उठाएगी?

द्वारा:-राजीव रंजन कुशवाहा

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