60 मरीजों के रक्त के नमूने जांच को भेजे
चंद्रपुर
खेती-किसानी के काम ख़त्म होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों के खेत मजदूर तेंदूपत्ता-संकलन के लिए विभिन्न भागों की तरफ भागने लगते हैं. चूंकि रोजगार गारंटी योजना की तुलना में तेंदूपत्ता-संकलन में मजदूरी ज्यादा मिलती है, इसलिए मजदूर रोगायो छोड़ तेंदूपत्ता- संकलन को ज्यादा तरजीह देते हैं. लेकिन वाढोना, सावरगांव, गिरगांव, चिखलगांव और मेंढा के खेत मजदूरों के लिए यही जान पर बन आई है. काम कर वापस आने के बाद ये मजदूर पीलिया एवं डेंगू की चपेट में आ गए हैं. देवदास खटूजी भानारकर नामक एक खेत मजदूर की मृत्यु होने से बाकी मजदूरों में भय व्याप्त है.
पीलिया, डेंगू ने घेरा
हमेशा की तरह वाढोना, सावरगांव, गिरगांव, चिखलगांव और मेंढा के सैकड़ों खेत मजदूर तेंदूपत्ता-संकलन के लिए गडचिरोली जिले के धानोरा के तहत आनेवाले घोडलवाही में एक ठेकेदार के पास गए थे. कई दिनों तक काम करने के बाद मजदूर अपने-अपने गांव लौट आए. यहां आते ही उनकी तबियत बिगड़ गई. कुछ को पीलिया तो कुछ को डेंगू ने घेर लिया. इसी बीच देवदास खटूजी भानारकर की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया. वहां से निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डेंगू ने देवदास की जान ले ली.
दूषित पानी बना बीमारियों का कारण
देवदास की तरह ही अनेक मजदूर इन्हीं बीमारियों से जूझ रहे हैं. अनेक मजदूरों को ब्रम्हपुरी के ख्रिस्तानंद अस्पताल में तो कुछ को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया है. मेडिकल अफसर अब तक 60 मरीजों के रक्त के नमूने जांच के लिए भेज चुके हैं. मेडिकल अफसरों ने कहा है कि दूषित पानी पीने से वे इन बीमारियों की चपेट में आए हैं.
आंदोलन करेगी युवाशक्ति संघटना
वाढोना, सावरगांव, गिरगांव, चिखलगांव और मेंढा क्षेत्र में पीलिया और डेंगू के मरीजों के पाए जाने के बाद युवाशक्ति संघटना के तालुकाध्यक्ष और वाढोना ग्राम पंचायत के सदस्य चोकेश्वर झोड़े ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जाकर मरीजों से पूछताछ की. केंद्र में दवाओं की बेहद कमी है और दवाओं के अभाव में, उचित उपचार नहीं होने के कारण दोनों बीमारियां घातक साबित हो रही हैं. युवाशक्ति संघटना ने जिला प्रशासन से इस तरफ ध्यान देकर दवाओं की कमी को दूर करने की मांग की है. ऐसा नहीं होने पर संघटना ने आंदोलन की चेतावनी दी है.
