आंदोलन को अनुमति नहीं देने का प्रहार ने किया विरोध
चंद्रपुर
मानसून की बेरुखी के चलते जिले में अकाल सदृश्य स्थिति निर्माण हो गई है. जिले को अकालग्रस्त घोषित करने तथा किसानो की विभिन्न मांगों को लेकर सोमवार को जिले भर में प्रहार संगठन की और से जिला बंद आंदोलन किया जाने वाला था. किंतु पुलिस ने इसकी अनुमति नहीं देने से आंदोलन रद्द करना पड़ा. पुलिस की इस भूमिका के विरोध में सोमवार को प्रहार संगठन ने सोमवार को अर्धनग्र होकर भीख मांगो आंदोलन किया.
अकालग्रस्त घोषित करे
संघटन ने जिले को अकालग्रस्त घोषित करने, किसानो का कर्ज व बिजली बिल माफ़ करने, निःशुल्क बीज देने, फसलों को भाव देने, मामा तालाब की मरम्मत कर गहराईकरण करने आदि मांगे की. संगठन ने कहा कि जिला बंद आंदोलन को पुलिस ने तहसीलों ने अनुमति नहीं दी. लेकिन चंद्रपुर के रामनगर व शहर पुलिस ने अनुमति प्रदान की थी. आंदोलन के 1 दिन पहले पुलिस ने आंदोलनकारियों को नॉइस भेजकर आंदोलन को रद्द करने का आदेश दिया इसके विरोध में संगठन के जिलाध्यक्ष पप्पू देशमुख के नेतृत्व में भीख मांगों आंदोलन किया गया.
पुलिस को दिया चकमा
राज्य सरकार का निषेध करने के उद्देश से पुलिस को चकमा देकर प्रहार संग़ठन ने मुख्य रास्ते से मुहं को काली फीता बांधकर व अर्धनग्र होकर भीख मांगों आंदोलन किया. इसमें जमा राशि को राज्य सरकार को भेजा गया. आंदोलन में प्रहार के जिला संगठक फ़िरोज़ खान पठान, सतीश खोब्रागड़े, नजीर खान, आशुतोष सातपुते, नीलेश पाझारे, दुषंत लाटेलवार, गोलू दखने आदि ने हिस्सा लिया.
कड़ा पहरा
आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस विभाग ने शहर के चप्पे-चप्पे पर कड़ा फार लगाया था. पुलिस प्रहार संगठन के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के लिए तलाश रही थी. पप्पू देशमुख जनता महाविद्यालय के पास होने की जानकारी मिलने ही पुलिस वहां पहुंची. परंतु वहां कोई नहीं था. आंदोलन के दौरान प्रहार कार्यकर्ताओं ने जिला बंद की टोपिया पहनकर आंदोलन किया. सोमवार दोपहर जटपुरा गेट की गांधी प्रतिमा के पास सरकार की तानाशाही के विरोध में किसान व प्रहार कार्यकर्ताओं ने निषेध किया. इस दौरान पुलिस ने सामग्री जब्त की. पश्चात शहर के कुछ पेट्रोल पंपों को बंद कर दिया गया. कुछ स्कूल व महाविद्यालय को छुट्टी दे दी गई.
