
उमरखेड़ (यवतमाल) : इतिहास समाज की स्मरण शक्ति होती है। इंसान तब तक जिंदा होता है जब तक उसकी स्मरण शक्ति जिन्दा है. यह शक्ति खत्म होने के बाद अपने माँ बाप को भी पहचानती नही है. जो समाज अपना इतिहास भूलता है, तब वो खुद की पहचान भी भूलता है. ऐसा प्रतिपादन प्रख्यात इस्लामी विचारशील मौलाना ईलीयास फलाई औरंगाबाद ने किया है. यह जमाते इस्लामी हिंद स्थानिक शाखा की ओर से ली गयी जाहिर सभा में मक्का मज्जीद में व्यक्त कर रहे थे.
ईलीयास फलाई ने आगे कहा की, दुनिया में कोई भी समाज का इतिहास इतना उज्वल और प्रकाशमान नही जितना मुसलमानों का है. दुनिया में सत्य और न्याय का झंडा फैरानेवाला इस्लामी इतिहास है. फलाही ने इस अवसर पर बदर के संघर्षमय इतिहास के बारे में जानकारी दी. शिक्षा के माध्यमों का लाभ ले, शिक्षा पूर्णता हासिल करे. पूर्व काल में सिर्फ 17 लोग शिक्षित थे. 23 वर्ष के बदलाव वादी काल में 23 चौरस मीटर जमीन के भीतर रहनेवाले लोगों में एक भी व्यक्ति अनपढ़ नही था. यह बताते हुए युवकों को शिक्षा में रूचि निर्माण करने का आवाहन किया।
सामूहिक जीवन के सख्त अनुशासन सीखे, स्वार्थ का त्याग करे। मसीहा बन जीवन व्यतीत करे. महापरुषों ने कभी भी अन्याय नही किया। उन्होंने कट्टर लोगों को भी माफ़ कर जीवन दान दिया था. आप भी उनकी तरह जीने का प्रयास करे. समाज के लिए जिना सीखे ऐसी बहुमूल्यवान सोच उन्होंने जाहिर की.
कार्यक्रम की शुरवात कारी साहब के कुरान पढ़कर की गई. ईश्वर स्तवन मुदस्सिर खान ने प्रस्तुत किया। सूत्रसंचलन खालिद ईस्माइल और अब्दुल रऊफ नदवी ने आभार प्रदर्शन किया। इस दौरान सेकड़ो महिला पुरुषों ने प्रबोधन का लाभ लिया।
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