उमरखेड़
उमरखेड़-पुसद रोड पर दद्रागांव के निपट 27 अप्रैल की शाम 7 बजे हुई. दुर्घटना में मृत यवतमाल जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष रमेश चव्हाण के बेटे अमोल के मामले की जांच दुर्घटना के 25 दिन बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है. किसी अज्ञात वाहन की टक्कर से अमोल की मौत हो गई थी. इससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठने लगे हैं. 21 वर्षीय अमोल दुर्घटना वाले मनहूस दिन अपने भतीजे के साथ पोफाली के रास्ते अपने गांव जनुना जा रहा था. तभी किसी अज्ञात ट्रक की टक्कर लगने से वह घायल हो गया था. उसके सिर और हाथ-पैर में जोरदार चोटें आर्इं थी.घायल अमोल को पहले उमरखेड़ के अस्पताल में भरती किया गया. बाद में हालत बिगड़ने पर उसे नांदेड़ भेजा गया, मगर रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया था.
मामला उमरखेड़ पुलिस के पास पहुंचा, मगर 25 दिन होने के बाद भी न तो पुलिस उस यमदूत ट्रक को खोज पाई है और न ही दुर्घटना के समय उस रास्ते से अवैध रूप से यात्री ढोने वाले वाहनों से ही पूछताछ कर पाई है. अमोल के पिता जनुना से जिला परिषद के सदस्य हैं, जबकि उसकी मां विमलताई चव्हाण जिला परिषद में पोफाली का प्रतिनिधित्व करती हैं. जब राजनीतिक क्षेत्रों में रसूख रखने वाले लोगों के साथ पुलिस का यह व्यवहार है तो आम जनता के साथ कैसा व्यवहार होता होगा, आसानी से समझा जा सकता है.