…..प्रवेश,दसवें वर्ष में!

२ अक्टूबर’ २०१२ !

तब,सुधी पाठकों और लोकतंत्र को समर्पित सजग नागरिकों की मांग पर ‘नागपुर टुडे’ ने आकार ग्रहण किया था।लोकतंत्र के हित में एक पाठकीय मंच का उदय हुआ था।

२अक्टूबर’ २०२१!

आज, आपका प्रिय ‘ नागपुर टुडे’ आपकी आशा, आपकी आकंक्षा की सफलतापूर्वक पूर्ति करता हुआ,लोकतंत्र और पाठकीय मूल्य-पथ पर कदमताल करता हुआ १०वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है।श्रेय आप सभी पाठकों, शुभचिंतकों व विज्ञापनदाताओं को! आप सभी द्वारा प्रदत्त मूल्यवान समर्थन-सहयोग से ही आपके प्रिय ‘नागपुर टुडे’ इस महत्वपूर्ण मुकाम पर पहुंच पाया है।

आपका अभिनंदन, बधाई, साधुवाद!

२अक्टूबर कौ ही विश्व धरा पर आवतरित अतुलनीय महामानव, युगपुरुष महात्मा गांधी ने मीडिया के लिए दिशा-निर्धारण करते हुए कहा था कि ‘उसे लोगों की भावनाओं और संवेदनाओं के साथ जुड़ना चाहिए और ऐसी जरुरी बातें भी उनके सामने प्रस्तुत करनी चाहिए जो उनके हितों में जरुरी हों! ‘

‘नागपुर टुडे’ ने गांधी के शब्दों को प्रेरक-मंत्र के रुप में स्वीकार कर अनुकरण किया।यही नहीं, हमने इसे सिर्फ घटना, प्रसंग या व्यवहार से उत्पन्न बातों या जानकारियों का मंच न बनाते हुए लोकतंत्र की आड़ में स्वार्थी तत्वों द्वारा वृहत् लोकहित को चोट पहुंचाने वालों के कदमों में बेडि़यां डाल विकास के पक्ष में उसे रोकने का काम किया।हमने इसे सिर्फ जानकारियों का मंच नहीं, अपितु सामाजिक-क्रांति का मंच बनाया।

आज जबकि पूरा विश्व एक बौद्धिक समाज में बदल रहा है, बौद्धिक अर्थ-व्यवस्था बनाने के लिए असीम अवसर है।लेकिन यह पर्याप्त नहीं! बौद्धिक अर्थ-व्यवस्था के साथ ही एक मजबूत, ईमानदार, निडर वैश्विक सूचना-मंच के निर्माण की जरुरत चिन्हित हो रही है।विश्व-स्तर पर मीडिया घरानों को इसकी जिम्मेदारी उठानी होगी।ईमानदारी और निडरता चिन्हित इसलिए कि वैश्विक मीडिया घरानों की उपस्थिति तो दर्ज हैं, किंतु घोर व्यावसायिकता के बोझ तले दबी हुईं।पत्रकारीय मूल्यों व आदर्शों को आहत करती हुईं।इस कारण देश-समाज अपेक्षित सुपरिणाम से वंचित है।कारण के रुप में हम पाएंगे कि बौद्धिक समाज-निर्माण के मूल तत्वों की सही पहचान से समाज का बडा़ वर्ग अभी भी वंचित है।दु:खद ये भी कि पत्रकारीय मूल्य व दायित्व से भी अधिकांश मीडिया घराने अभी भी दूर हैं।संभवत: जानबूझ कर-वृहत् राष्ट्रीय हित से इतर स्व-हित के पक्ष में! यह कड़वा है, किंतु सच है।’नागपुर टु डे’ इनसे पृथक, पत्रकारीय मूल्यों व आदर्शों को आत्मसात कर , राष्ट्र और समाजहित में निडरतापूर्वक कदमताल करता हुआ आगे बढ़ रहा है।

इस काल-खंड में हमने अनेक विषम परिस्थतियों का सामना निडरतापूर्वक किया।दबाव-प्रलोभन से दूर, ‘नागपुर टु डे’ सामाजिक परिवर्तन के पक्ष में पूर्णत: समर्पित है।विचारकों का मानना है कि बौद्धिक समाज का उद्देश्य सामाजिक परिवर्तन और धन उत्पत्ति के रुप में द्वि-आयामी होता है।परंतु, यदि भारत को एक बौद्धिक महाशक्ति के रुप में रुपांतरित होना है, तो एक तीसरे आयाम को विकसित करना होगा।तीसरा आयाम होगा- ज्ञान की सुरक्षा!

आज दसवीं वर्षगांठ पर ‘नागपुर टु डे’ संकल्प लेता है कि सभी अवरोधकों को दूर करता हुए हम न केवल सूचना के प्रसार, बल्कि वृहत्तर ज्ञान-प्रसार व ज्ञान-सुरक्षा सनिश्चित करेंगे।और हां, इस प्रक्रिया में पत्रकारीय मूल्य व आदर्श से कोई समझौता नहीं।इसके लिए चाहे जो भी कुर्बानी देनी पडे़, हम तत्पर रहेंगे, अडिग रहेंगे!

नीलाभ कुमार विनोद