
गोंदिया। सरकारी कुर्सी पर बैठकर जनता से वसूली की कोशिश लेकिन एसीबी के जाल में खुद फंस गया ” भ्रष्टाचार का मछुआरा “।गोंदिया जिले के सरकारी दफ्तरों में किस हद तक रिश्वतखोरी ने पैर पसार लिए हैं इसका जीता जागता उदाहरण डीडीआर ऑफिस में सामने आया हैं , जहां ” काम के बदले नोट ” की मांग ने सहायक निबंधक को एसीबी के शिकंजे में ला खड़ा किया। 1 लाख की रिश्वत मांगने का यह केस साबित करता है कि अब रिश्वतखोरी की मछली चाहे कितनी गहरी तेरे , कानून का जाल उससे भी गहरा है और वह उसे सलाखों के पीछे पहुंचा देगा।
न्याय की जगह , भ्रष्टाचार का बाज़ार देखने को मिला
दरअसल मामला कुछ यूं है कि..शिकायतकर्ता मत्स्य व्यवसाय से जुड़ा हुआ है , उसने ईटियाडोह जलाशय मत्स्य व्यवसाय सहकारी संस्था मर्या., रामनगर (रजिस्ट्रेशन नं. 668) के साथ उत्पादित मछलियों की खरीद-बिक्री का 2023 से 2027 तक का अनुबंध ( करारनामा ) किया था। लेकिन, संस्था ने अनुबंध की अवधि पूरी होने से पहले ही करारनामा रद्द कर दिया।
इस अन्याय के खिलाफ शिकायतकर्ता ने सहायक निबंधक, सहकारी संस्था (दुग्ध व मत्स्य), भंडारा के पास शिकायत दर्ज की।
लेकिन न्याय की उम्मीद लिए पहुंचे इस व्यापारी को न्याय की जगह भ्रष्टाचार का बाजार देखने को मिला- क्योंकि जांच अधिकारी सुदाम लक्ष्मण रोकड़े (सहायक निबंधक श्रेणी-2, सहकारी संस्था गोंदिया) ने शिकायत निपटाने के एवज में 1,00,000 ( 1 लाख रुपए ) की मोटी रिश्वत मांग डाली।
शिकायतकर्ता ने ACB के दरवाजे पर दी दस्तक
शिकायतकर्ता ने तुरंत एसीबी नागपुर के दरवाजे पर दस्तक दी। इसके बाद एसीबी टीम ने 9, 16 और 27 अक्टूबर को तीन चरणों में गुप्त जांच व खास डिवाइस पर कॉल रिकॉर्डिंग की। इस दौरान आरोपी अधिकारी ने खुद 25,000 की पहली किश्त में से 22,000 स्वीकार करने की तैयारी भी दिखा दी।
लेकिन 28 अक्टूबर को जैसे ही एसीबी टीम ने गोंदिया के प्रशासकीय इमारत स्थित DDR दफ्तर में जाल बिछाया, आरोपी को भनक लग गई और उसने रकम लेने से इंकार कर दिया। फिर भी एसीबी ने डील को लेकर आपस में हुई बातचीत के पक्के सबूतों के आधार पर उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) के तहत मामला दर्ज कर लिया।
अभियान की अगुवाई ,
यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक डॉ. दिगंबर प्रधान, अपर पुलिस अधीक्षक माधुरी बाविस्कर, तथा विजय माहुलकर के मार्गदर्शन में पुलिस उपअधीक्षक अनिल जिट्टावर, पुलिस निरीक्षक जितेंद्र वैरागड़े, राजकिरण येवले, महिला पो.ह. अश्मिता भगत, हेमराज गांजरे, होमेश्वर वाइलकर, प्रफुल भातुलकर, और राजेंद्र जांभुळकर की टीम ने अंजाम दी।
रवि आर्य









