Published On : Mon, Oct 21st, 2019

…..मी पुन्हा येईन !! वरिष्ठ पत्रकार एस.एन विनोद की कलम से

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शत प्रतिशत सही !
कोई सवाल नहीं,कोई चुनौती नहीं!
आत्म विश्वास से भरपूर,महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणावीस के इस दावे के सामने खड़े होने को कोई सोच भी नहीं सकता!

हाँ,

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देवेन्द्र पुन: आ रहे हैं!
देवेन्द्र की भाजपा,सहयोगी शिव सेना के साथ पुन:आ रही है!
देवेन्द्र पुन: मुख्यमंत्री बनेंगे!
टूटे-बिखरे, नेतृत्व विहीन विपक्ष ने भाजपा-शिव सेना युति के लिए मार्ग प्रशस्त कर रखा है।कोई अवरोधक नहीं।चाहे तो नंगे पांव भी भाजपा-सेना आराम से टहलते हुए सत्ता-सिंहासन तक पहुंच सकती है।2014 के विपरीत,इस बार मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस-राकांपा बिलकुल पस्त नजर आ रहे हैं।हाँ, मराठा क्षत्रप शरद पवार के कारण कांग्रेस के मुकाबले राकांपा अवश्य बेहतर स्थिति में है।सतारा,पुणे, सांगली,कोल्हापुर व सोलापुर सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में भाजपा को कांग्रेस-राकांपा से अगर कड़ी चुनौती मिल रही है,तो शरद पवार के नेतृत्व के कारण।कांग्रेस की विडंबना है कि, राज्य में राष्ट्रीय स्तर का तो छोड़िये,प्रदेश स्तर का भी कोई मान्य नेता मौजूद नहीं है।अशोक चव्हाण,पृथ्वीराज चौहान, सुशील कुमार शिंदे आदि के प्रभाव उनके क्षेत्र तक ही सीमित हैं।जबकि,राकांपा के शरद पवार राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित हैं।
भाजपा नेतृत्व के मामले में अत्यंत ही आरामदायक स्थिति में है ।नरेंद्र मोदी के रूप में जहां उनके पास करिशमाई प्रधानमंत्री हैं, वहीं खुद को एक सफल मुख्यमंत्री के रूप में प्रमाणित कर चुके, तेज-तर्रार,युवा देवेंद्र फडणावीस हैं।और साथ ही मौजूद हैं,राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित हो चुके केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी।इनके प्रभाव क्षेत्र में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन असहाय की स्थिति में है। इस परिवेश में, राजनीति का अदना खिलाड़ी भी ,भाजपा के पक्ष में ,चुनाव परिणाम की भविष्यवाणी, बग़ैर कोई जोखिम उठाए, कर सकता है ।
अर्थात, महाराष्ट्र में भाजपा-शिव सेना की सरकार पुन: आ रही है,देवेन्द्र फडणावीस पुनः मुख्यमंत्री बन रहे हैं।
लेकिन, उसके बाद?

यह ‘लेकिन ‘ अकारण
नहीं है।

कारण मौजूद हैं।
पूरे चुनाव अभियान के दौरान फुसफुसाहट रही कि नितिन गडकरी को हाशिये पर रखा जा रहा है।पहले तो गडकरी के समर्थकों के टिकट काटे गए, फिर प्रधानमंत्री सहित अन्य महत्वपूर्ण चुनावी सभाओं से इन्हें दूर रखा गया।स्वयं गडकरी तो ऐसी किसी उपेक्षा से इनकार करते हैं, किन्तु समर्थक नेताओं/कार्यकर्ताओं में इसे लेकर असंतोष व्याप्त है।आम लोगों के बीच मौजूद, गडकरी समर्थकों/प्रशंसकों की विशाल संख्या भी असहज है।बल्कि, अपने नेता की कथित अवमानना से क्रोधित है यह वर्ग।
असहज स्वयं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणावीस भी हैं।गडकरी-फडणावीस के बीच अत्यंत ही मजबूत पारिवारिक संबंध हैं।सच तो यह है कि जहां गडकरी को मजबूत राजनीतिक जमीन देवेंद्र के पिता स्व.गंगाधरराव फडणावीस ने उपलब्ध कराई थी,देवेन्द्र फडणावीस को आरंभ में ऐसी जमीन नितिन गडकरी के कारण उपलब्ध हो पाईं थी।गडकरी-फडणावीस दोनों,तद्हेतु एक -दूसरे के प्रति कृतज्ञ हैं।यह पारिवारिक-गांठ अत्यंत ही मजबूत है।ऐसे में, इनके सबंध के बीच कोई दरार उत्पन्न कर पायेगा, संभव नहीं दिखता!दिल्ली में बैठे भाजपा के रणनीतिकार इस सच्चाई को नजरअंदाज करने की भूल न करें।लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी यशवंत सिन्हा से इतर नितिन गडकरी को महाराष्ट्र में एक सम्मानजनक विशिष्ट स्थान प्राप्त है।
वैसे, राजनीति के खेल निराले ही होते आए हैं।सत्ता और संगठन, दोनों स्तर पर एकमेव कब्जे को बेचैन केंद्रीय नेतृत्व किसी भी प्रदेश में, किसी ” मठाधीश” को अवतरित होने देना नहीं चाहेगा।सुविधानुसार, प्रदेश-स्तर पर सत्ता व संगठन में परिवर्तन,केंद्रीय नेतृत्व की नीति रहेगी ।
महाराष्ट्र अपवाद नहीं रह सकता!

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