Published On : Wed, Oct 31st, 2018

संदिग्ध लॉकरों की जांच अधूरा छोड़ उलटे पांव लौटा आयकर विभाग

फरार लॉकर धारकों की मेहनत रंग लाई

नागपुर : गत सप्ताह मुखबिरों से मिली जानकारी के आधार पर हैदराबाद भेजे जा रहे १० करोड़ रुपए पकड़े गए थे. चालक के बयान पर विभाग ने प्रकाश वाधवानी को दबोचा, जांच आगे बढ़ी तो वाधवानी का मस्कासाथ स्थित लॉकर व्यवसाय की जांच शुरू हुई. सप्ताह भर में १०% लॉकर की जांच हो पाई थी कि सोमवार दोपहर 3 बजे तैनात अधिकारियों को वरिष्ठ अधिकारियों से आदेश मिला कि लॉकर सील कर लौट आओ. आसपास के इलाके का माहौल खराब और भयावन हो रहा है. तैनात अधिकारियों ने लॉकर सील कर लौट गए. उधर दूसरी ओर वाधवानी लॉकर धारकों को लॉकर का दुरुपयोग करने की बात कह कर धमकाने पर उतारू है.

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ज्ञात हो कि सुपारी की कालाबाजारी में प्रकाश वाधवानी के साथ शहर के दर्जनभर व्यापारी शामिल हैं. यह व्यापार पूरे तौर पर कच्चे याने बिना बिल किया जाता है. इंडोनेशिया से शार्क देशों के मार्फत देश में सुपारी का कारोबार फलफूल रहा है. देश में सुपारी आयात के लिए 108% ड्यूटी लगती है. इससे बचने के लिए सुपारी माफिया शार्क देश जैसे बांग्लादेश,श्रीलंका आदि में पहले इंडोनेशिया से सुपारी भेजते हैं. फिर बांग्लादेश और श्रीलंका में कागजात बदल कर वहां का लोकल सुपारी दर्शाकर कोलकात्ता सड़क और आंध्रप्रदेश के विवादित समुद्री तट के मार्ग से दलालों के मार्फत नागपुर सुपारी आती है.

इतवारी के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार वाधवानी की सुपारी का बड़ा व्यवसाय है. क्यूंकि सुपारी का धंधा कच्चे का है, इसलिए उक्त पकड़ी गई राशि सुपारी के दलाल/ व्यापारी को देने हेतु सड़क मार्ग से भेजी जा रही थी. वाधवानी के करीबी की गुप्त सूचना के आधार पर उक्त 10 करोड़ की राशि आयकर विभाग ने पकड़ी. पूछताछ में अधिकारियों को जानकारी मिली कि उक्त राशि प्रकाश वाधवानी की है.

इसके बाद आयकर विभाग ने वाधवानी की कोल्ड स्टोरेज. कार्यालय और घरों पर दबिश दी. शीतगृह में सुपारी का स्टॉक सह अन्य सामग्री मिली. कार्यालय से पता चला कि इनका खुद का मस्कसाथ में लॉकर व्यवसाय है. विभाग लॉकर तक पहुंचती कि वाधवानी ने लॉकर पर आयकर विभाग की कारवाई के एक दिन पूर्व शाम 7 बजे ही लॉकर बंद कर दिया. जबकि लॉकर रोजाना 10 बजे रात तक खुला रहता था. इस लॉकर में स्थानीय सुपारी और अन्य व्यवसायियों के 75% लॉकर हैं,इनके लॉकर में लाखों में नगदी और काले/अवैध कारनामों के कागजात रखे होने की जानकारी मिली है.

आयकर विभाग और वाधवानी में संभवतः समझौता हो गया था, इसलिए जब लॉकर में छापा मरा गया तब से वाधवानी बिंदास दिखाई दिया. विभाग के अधिकारियों ने भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच लॉकर पर छापा मारा. इस लॉकर में जिनके लॉकर थे, उन्हें बुलाया गया. इनमें से सप्ताह भर में मात्र 10% लॉकर धारक पेशी में सामने आए हैं. इनमें से कुछ ने लॉकर में जमा काला धन खुद का होना स्वीकार कर आयकर भरने हेतु सरेंडर किया. इस क्रम में 2 लॉकर धारक सामने आए हैं, शेष 90% बड़ी मछलियां फ़रार हैं.

विभाग ने उनके प्रतिष्ठानों पर दबिश दी, लॉकर स्थल पर पुलिस की छावनी का रूप ले चुका था. इसी बीच भागे भागे फिर रहे लॉकर धारकों ने आयकर विभाग पर बड़े जुगाड के तहत दबाव बनवाया और सोमवार को अचानक जांच पड़ताल के मध्य उपस्थित अधिकारियों को जांच बीच में छोड़ लौटने का आदेश दिया गया. यह भी निर्देश दिया गया कि बाज़ार और लॉकर परिसर का माहौल बिगड़ता जा रहा इसलिए जांच को अधूरा छोड़ लौट आए,आगे की जांच शेष लॉकर धारकों को आयकर विभाग में बुलाकर करें.

इसके बाद आयकर विभाग के तैनात अधिकारियों ने जांच अधूरा छोड़ शेष लॉकर को सील कर लौट गए. सवाल यह है कि आखिर आयकर विभाग ने किसके इशारे पर जांच में बाधा डाली? जबकि शेष लॉकर में करोड़ों में नगदी और संदिग्ध कागजात होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता. नागपुर में रोज सुपारी का कारोबार करोड़ों का और कच्चे का नगदी का धंधा है. संबंधित विभाग संबंधित व्यापारियों से मिलीभगत कर इस अवैध धंधे को बढ़ावा दे रहा है. इससे नागपुर का खर्रा आदि अन्य संबंधित व्यवसाय नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है.

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