नागपुर: आरएसएस के रजिस्ट्रेशन को लेकर उठाये जा रहे सवालों के बीच संघप्रमुख डॉ मोहन भागवत ने जवाब दिया है।देश की राजधानी में आयोजित संघ के कार्यक्रम भविष्य का भारत और संघ दृष्टीकोण इस विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में उन्होंने संघ की चुप्पी को तोड़ते हुए बोला। उन्होंने कहाँ संघ की स्थापना सन 1925 में हुई थी। उस समय देश में ब्रिटिश शाषन था। उस दौर में संस्थाओं के पंजीकरण का कोई कानून नहीं था इसलिए संघ का पंजीयन भी नहीं हुआ।
संघ प्रमुख ने संस्था के वित्तीय व्यवहार का लेखा जोखा भी दिया और बताया की स्वतंत्रता के बाद देश में ऐसा कोई नियम नहीं था जिससे की हर संस्था अपना पंजीयन कराये,बावजुद इसके संघ नियम के साथ चलने वाली संस्था है। बॉडी ऑफ़ इंडिविजुअल का दर्जा रखने वाले संघ का काम उसी के मातहत होता है।
संस्थाओं में इस तरह का दर्जा होने की वजह से संघ पर किसी तरह का कर नहीं लगता इसलिए सरकार भी हमसे वित्तीय हिसाब नहीं मांगती है। फिर भी कोई किसी भी तरह का आरोप हम पर न लगाए इसका ध्यान रखते हुए हमने खुद बीते 10 वर्षो से ऑडिट किया जा रहा है। हर आर्थिक व्यवहार का ऑडिट चार्टर्ड अकउंटेंट के माध्यम से किया जाता है। बैंको के माध्यम से संघ के आर्थिक व्यवहार होते है। यह बात संवेदनशील है अगर सरकार की तरफ से हमसे हिसाब माँगा गया तो उसे तुरंत प्रस्तुत किया जायेगा।
संघ के पंजीयन को लेकर संघ भूमि के ही सवाल उठाये गए थे। बाकायदा धर्मादाय आयुक्त कार्यालय में इस बाबत शिकायत करते हुए आरएसएस के नाम से पंजीयन का आवेदन भी दिया गया था।









