नागपुर: ट्रांसफार्मर की पुरानी तकनीकी के कारण आग लगने से होनेवाले नुकसान को बचाने के लिए नई विकसित तकनीकी का उपयोग करने को लेकर पद्मकुमार जैन की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई.
याचिका पर सुनवाई के दौरान महाजेनको और महाजनरेशन की ओर से किसी तरह का हलफनामा दायर नहीं किए जाने और सुनवाई में अदालत का सहयोग नहीं किए जाने को गंभीरता से लेते हुए न्यायाधीश भूषण धर्माधिकारी और न्यायाधीश झका हक ने इस तरह की कार्यप्रणाली के लिए दोनों कम्पनियों के सीएमडी के खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए? इसे लेकर जवाब दायर करने के आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. श्रीरंग भांडारकर, केंद्र सरकार की ओर से असि. सालिसिटर जनरल औरंगाबादकर, सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एस.ए. आशीरगडे ने पैरवी की.
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी एथारिटी भी दे जवाब
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पैरवी कर रहे अधि. औरंगाबादकर ने अदालत को बताया कि वर्तमान में आधुनिक तकनीकी के ही ट्रांसफार्मर लगाए जा रहे हैं, जिससे आग लगने से पहले ही इसकी सूचना मिल जाती है. इस संदर्भ में विस्तार से जानकारी नहीं रखे जाने पर अदालत ने असंतोष जताते हुए विस्तृत जानकारी के साथ हलफनामा देने के आदेश सीईए को दिए.
औरंगाबादकर का मानना था कि एक स्थान से दूसरे स्थान तक बिजली का वहन करने में ट्रांसफार्मर की भूमिका अहम होती है. कई बार बिजली के उच्चदाब और उष्णता के चलते ट्रांसफार्मर में आग लगने या उनका ब्लास्ट होने की घटनाएं होती हैं, जिसके चलते जनहानि और वित्तहानि भी होती है. लेकिन अब आग की घटनाओं को रोकने तथा ब्लास्ट को टालने के उद्देश्य से पर्यावरणपूरक तकनीकी विकसित हुई है, जिसके अनुसार ट्रांसफार्मर लगाए जा रहे हैं.
याचिका पर हो अंतिम सुनवाई
अन्य प्रतिवादी की ओर से पैरवी कर रहे अधि. देवेन चौहान का मानना था कि वर्तमान में प्रत्येक ट्रांसफार्मर अत्याधुनिक तकनीकी के साथ ही आ रहे हैं.
जो आग की घटना के रोकथाम की क्षमता के साथ होते हैं. यहां तक कि किसी तरह का नुकसान न हो, इसकी तकनीकी भी इन ट्रांसफार्मर में होती है. याचिकाकर्ता का इस संदर्भ में कन्फ्यूजन होने के कारण याचिका पर अंतिम सुनवाई करने की मांग उन्होंने की.











