रक्षाबंधन केवल धागों का त्योहार नहीं बल्कि ये पर्व है वचन का और प्यार का, एक धागे के सहारे रिश्तों की गरिमा का वचन, जो कोई भी किसी को दे सकता है। आमतौर पर राखी के दिन बहनें अपने भाईयों को राखी बांधती हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि राखी केवल भाईयों को ही बांध सकते हैं।
राखी के त्योहार को पूरे भारत में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है, आपको जानकर हैरत होगी, राजस्थान में राखी भाईयों को ही नहीं बल्कि भाभियों को भी बांधा जाती है, जिसे ‘चूड़ा राखी’ या ‘लूूंबा राखी’ कहते हैं।
प्रेम के एक नए रिश्ते का अंकुर
इस धागे के जरिए नंदे अपने और भाभी के बीच में प्रेम के एक नए रिश्ते का अंकुर बोती हैं, जिसमें केवल स्नेह ही स्नेह होता है। भाई की पत्नी भाभी कहलाती है और वो अपने पति की अर्धांगिनी होती है इसलिए अगर बहन अपने भाई से रक्षा की वचन लेती है तो उस वचन में आधा हिस्सा भाभी को भी निभाना चाहिए इसलिए राजस्थान में ‘चूड़ा राखी’ या ‘लूंबा राखी’ का महत्व है।
‘कान्हा जी’ या ‘राम जी’
वैसे परंपराओं के इस भारत देश में कई जगह पंडित लोग भक्तों को रक्षा-सूत्र बांधते हैं तो कई लोग ‘कान्हा जी’ या ‘राम जी’ को राखी बांधते हैं। यही नहीं महाराष्ट्र राज्य में यह त्योहार नारियल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन मराठी लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं।
भोजली या भुजरियां
तो वहीं भारत के कई राज्यों में इस दिन बहनों की ओर से भाई के कान के ऊपर भोजली या भुजरियां लगाने की परंपरा है, जो कि भाईयों के लंबी उम्र के लिए किया जाता है।