Published On : Sat, Mar 25th, 2017

कमाओ और पढ़ो योजना के लाभार्थी तीन महीने से मानधन से वंचित

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Nagpur University

नागपुर: राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ (रातुमवि) द्वारा आर्थिक तौर पर कमजोर विद्यार्थियों के लिए शुरु कमाओ और पढ़ो योजना के लाभार्थी विद्यार्थी गत तीन महीने से मानधन से वंचित हैं। योजना की तहत लाभ लेने वाले विद्यार्थियों ने रातुमवि प्रशासन पर अपना मानधन रोकने का आरोप लगाया है, जबकि रातुमवि के उपकुलपति डॉ. सिद्धार्थ विनायक काणे का दावा है कि किसी भी विद्यार्थी का मानधन नहीं रोक गया है। आरोप और दावे की इस प्रतिस्पर्धा में एक बात स्पष्ट है और वह यह कि रातुमवि की कमाओ और पढ़ो योजना दम तोड़ रही है।

जानकारी के अनुसार वर्ष 2005 से रातुमवि में कमवा आणि शिका यानी कमाओ और पढ़ो योजना कमजोर आर्थिक तबके के उन विद्यार्थियों के लिए शुरु की गयी थी, जो स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक कारणों से नहीं ले पाते। इस योजना के तहत स्नातकोत्तर शिक्षा लेने वाले कमजोर आर्थिक तबके के विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय प्रशासन में यथायोग्य कार्य दिया जाता है। अंशकालीन स्वरुप के यानी प्रतिदिन तीन घंटे के काम के लिए विद्यार्थी को 150 रुपए दिया जाता है। हालाँकि जब यह योजना शुरु हुई थी, उस समय मानधन 120 रुपए प्रतिदिन था। यह योजना 2005 में शुरु हुई थी और इसकी अवधारणा और इसे लागू करने का श्रेय तत्कालीन उपकुलपति डॉ. एसएन पठान को है। यह योजना उनके दूरदर्शी नजरिए का ही परिणाम है।

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इस योजना की तहत लाभ पाने वाले विद्यार्थियों का दावा है कि गत तीन महीने से उनके बैंक खातों में मानधन जमा नहीं हुआ है। आखिरी बार दिसंबर 2016 में उनके खातों में मानधन जमा हुए थे।

कितने विद्यार्थी हैं कार्यरत
2016 में 115 विद्यार्थी विद्यापीठ के अधीन विभिन्न कार्यालय में काम कर रहे हैं। जिसमें से कुछ विद्यार्थी नागपुर जिले के हैं तो ज्यादातर विद्यार्थी अलग-अलग जिले से यहां पढ़ भी रहे है और काम भी कर रहे हैं। 2005 से हर वर्ष इनकी संख्या बढ़ रही है।

मानधन नहीं मिलने से विद्यार्थी मंगवा रहे घरों से पैसे
दिसम्बर 2016 में इन्हें मानधन मिला था। लेकिन जनवरी महीने से नागपुर विद्यापीठ की ओर से मानधन नहीं दिए जाने से विद्यार्थियों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विद्यार्थियों का कहना है की मानधन मिलने से मेस का खर्च और किताबों का खर्च निकल जाता था। लेकिन अब 3 महीने से पैसे नहीं मिलने से घर से पैसे मंगवाने की नौबत आ रही है।

क्यों रुका हुआ है विद्यार्थियों का मानधन
विद्यार्थी जिन विभागों में कार्यरत हैं, वहां से विद्यार्थियों की महीने की उपस्थिति की शीट विभाग प्रमुख द्वारा विद्यापीठ के फाइनेंस विभाग को भेजनी पड़ती है। जिसके बाद उसका ऑडिट होकर विद्यार्थियों के बैंक खातों में यह मानधन डाला जाता है। लेकिन विभागों की लापरवाही के कारण इन विद्यार्थियों की शीट अब तक विद्यापीठ में नहीं पहुंची है। जिसके कारण विद्यार्थियों का मानधन रुका हुआ है।

कमाओ और पढ़ो योजना में किस तरह से होता है चयन
ग्रीष्मकालीन परीक्षाएं समाप्त होने के बाद दूसरे सत्र की प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने पर अगस्त महीने में जरूरतमंद विद्यार्थियों को ऑफलाइन फॉर्म भरकर विद्यार्थी कल्याण विभाग में जमा करवाने पड़ते है। जिसके बाद गरीबी के आधार पर और रिजल्ट के परसेंटेज के आधार पर विद्यार्थियों का चयन किया जाता है। यह करार केवल 6 महीने का होता है। अक्टूबर महीने से लेकर मार्च महीने तक ही विद्यार्थी सम्बंधित विभाग में कार्य कर सकते है। जबकि पुणे के विद्यापीठ में इसी करार की अवधि 1 साल की होती है।

विद्यार्थियों का कहना विभाग है पूरी तरह से जिम्मेदार
3 महीने से बिना मानधन के कार्य कर रहे विद्यार्थियों का कहना है कि विभाग को यह पता है कि हर महीने विद्यार्थी की कार्योलय में उपस्थिति की शीट विद्यापीठ के फाइनेंस विभाग में देना जरुरी है। बावजूद इसके उनके ध्यान नहीं देने की वजह से विद्यार्थियों को परेशान होना पड़ रहा है।

विद्यापीठ कुलगुरु ने कहा कि नियमित मिल रहा मानधन
विद्यार्थियों की समस्या से जब रातुमवि के कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थ विनायक काणे को अवगत कराया गया और उनसे जानकारी मांगी गई तो उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसी कोई भी समस्या नहीं है विद्यार्थियों को नियमित रूप से मानधन दिया जा रहा है। ऑडिट विभाग की ओर से भी कोई परेशानी नहीं है।


—शमानंद तायडे

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