नागपुर: पढाई के बोझ के साथ ही बच्चो के बस्ते का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। सरकार कम उम्र में भरी भरकम बोझ को कम करने का असफल प्रयास लंबे वक्त से करती आ रही है पर पूर्ण रूप से कामियाबी अब तक नहीं मिली। बच्चो के भविष्य की चिंता में उलझा अभिभावक कच्ची उम्र में बास्ते के बोझ से अपने लाड़लो पर पड़ने वाले बुरे असर को नजरअंदाज कर देता है। इन सब तकलीफो के बीच नागपुर के एक स्कूल बच्चो को बोझ मुक्त करने प्रयास किया और सफलता भी पाई।
शहर के लालगंज में स्थित राष्ट्रसेवा विद्यालय ने बच्चो के बस्ते का बोझ 90 प्रतिशत तक कम कर दिया है। इस स्कूल में बच्चे सिर्फ दो विषयों की किताबे लेकर घर से आते है क्योंकि उन्हें सिर्फ दो ही विषयोँ का होमवर्क देने का नियम यहाँ लागू है। ऐसा नहीं कि यहाँ बाकि विषयोँ की पढाई नहीं होती है। हर विषय का ज्ञान बच्चे लेते जरूर है पर घर जाते वक्त वह अपना बस्ता स्कूल में ही जमा कराते है।
राज्य सरकार ने बस्ता मुक्त अभियान की शुरुवात की, इसको लेकर अध्ययन किया गया। अध्ययन में यह पाया गया की पहली कक्षा में पढने वाले छात्र के बस्ते का बोझ करीब 3 किलो होता है जो छात्र के औसत से ज्यादा है। सरकार ने कई सुझाव स्कूलों को दिए पर उनपर अमल नहीं हुआ। लेकिन नागपुर की इस स्कूल ने इस उपक्रम के माध्यम से न सिर्फ सरकार के अभियान को सफल बनाया है बल्कि दूसरे स्कूलों के लिए एक रास्ता दिखाया है। राष्ट्रसेवा विद्यालय की ही तरह अन्य विद्यालय भी ऐसा ही उपक्रम चलाये तो छात्रों का जीवन और शिक्षा दोनों आसान हो जायेगे।