
गोंदिया। स्वच्छता की बातें रोज़, लेकिन ज़मीनी तस्वीर बिल्कुल उलट , शहर के 44 वार्डों का कचरा उठता तो है, पर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचता नहीं , यही है गोंदिया की असली, कड़वी और दमघोंटू सच्चाई! गोंदिया नगर परिषद हर साल कचरा प्रबंधन पर 1 करोड़ रुपये खर्च करती है, निजी ठेकेदार प्रति टन कचरे उठाई का 900 रुपए बिल वसूलता है… लेकिन काम जीरो !
कचरा प्लांट की जगह पहुंच रहा है मोक्षधाम के पास, आसाराम आश्रम के पीछे, उजाड़ मैदानों में बने अवैध डंपिंग यार्ड तक और फिर ? शाम ढलते ही कुछ नशेड़ी हाथों में थमा दी जाती है शराब की बोतल और माचिस की डिबिया और वो कचरे को आग के हवाले कर देते हैं।
मेडिकल वेस्ट तक जल रहा और धुआं बनकर हवा में घुल रहा है जहर , यह सिलसिला गत एक सप्ताह से मोक्ष धाम परिसर निकट जारी है।
इलाका बना गैस चेंबर , लोगों की सांसें अटकी
गुरुवार 11 दिसंबर को शरारत की आग के चलते 3 किलोमीटर का दायरा धुएं के काले बादल में बदल गया , सड़कों पर सामने चल रही बाइक भी नहीं दिख रही थी… लोग मास्क और मुंह पर रुमाल लगाकर घरों से बाहर निकले… कई घरों ने दरवाजे-खिड़कियां बंद कर लीं।
स्टेट बैंक कॉलोनी, सर्कस मैदान, घाट रोड, गणेश नगर, सेल टैक्स कॉलोनी, बजरंग नगर, जय स्तंभ चौक , मनोहर चौक , गौशाला वार्ड , बर्फ फैक्ट्री इलाका , सुबोध चौक , अशोका कॉलोनी , सहयोग कॉलोनी, बजरंग नगर , गौरी नगर तक का पूरा बेल्ट गैस चैंबर में बदल गया लोग त्राहि-त्राहि करने लगे।
ये सांस है या ज़हर ? हमारा कसूर क्या है?
सोशल मीडिया पर दर्जनों कमेंट आना शुरू हो गए ये सांस है या जहर.. हमारा कसूर क्या है ? शिकायत पहुँची जनप्रतिनिधि राकेश ठाकुर और क्रांति जायसवाल तक उन्होंने गोंदिया दमकल विभाग को सूचित किया दो फायर ब्रिगेड गाड़ियां मौके पर पहुंची घंटों मशक्कत के बाद जाकर आग पर काबू पाया गया।
जब नगर परिषद पैसे दे रही है तो ट्रीटमेंट प्लांट तक कचरा जा क्यों नहीं रहा ?
लेकिन सवाल अब भी वहीं है…
जब नगर परिषद पैसे दे रही है, तो ट्रीटमेंट प्लांट तक कचरा जा क्यों नहीं रहा?
प्रतिदिन शहर में 44 वार्डो से 12 ट्रैक्टर और 45 घंटा गाड़ियां कचरा उठा रही है , निजी ठेकेदार द्वारा 900 से 950 रुपए प्रति टन दर से पैसे वसूले जा रहे हैं…ठेका भी है…
निजी ट्रीटमेंट प्लांट भी है… और प्लांट का संचालक इस कचरे का खाद बनाने के लिए प्रति टन 900 से 950 रुपए नगर परिषद से वसूलता है तब फिर मोक्षधाम और आश्रम के पीछे कचरे के पहाड़ कैसे खड़े हो गए ?
ये सीधा सवाल है: नगर परिषद स्वास्थ्य विभाग से , मुख्य अधिकारी से और उस निजी ठेकेदार तथा संयंत्र संचालक से
लोगों का आरोप है कि यह सब मिलीभगत का खेल है… और जनता इस खेल में दम घुटा रही है।
जहरीला धुआं, 20 सिगरेट पीने जितना खतरनाक
मेडिकल वेस्ट , पॉलिथीन और हवा में जहर ,विशेषज्ञों की मानें तो इस ज़हरीले धुएं में लगातार सांस लेना, रोज़ 20 सिगरेट पीने जितना खतरनाक है।
बच्चे सांस लेने में परेशान हैं, बुजुर्गों में अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं, लोगों को आंखों में जलन, सिरदर्द और जी मचलने जैसी शिकायतें हो रही है।
कचरा जलाने वाले, आग लगवाने वालों पर हो FIR
इलाके के बाशिंदों का साफ कहना है कि- शरारती तत्वों को पकड़ा जाए, आग लगवाने वालों पर आपराधिक धाराओं में मामला दर्ज हो।
NGT के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के कड़े नियमों के तहत खुले में कचरा जलाना पूरी तरह प्रतिबंधित है उल्लंघन पर ठेकेदार , संयंत्र संचालक और जिम्मेदारों पर 10 करोड़ का जुर्माना तथा 3 साल जेल का प्रावधान है।
लेकिन गोंदिया में , कानून किताबों में और कचरा सीधा डंपिंग यार्ड की खुली आग में जल रहा है।
ऐसे में गोंदिया पूछ रहा है ये आग कौन लगवा रहा है ?
किसके इशारे पर कचरा प्लांट की बजाय मोक्षधाम भेजा जा रहा है ? नगर परिषद कब जागेगी ? और जनता कब तक खांसती रहेगी ?
रवि आर्य











