
गोंदिया। जिले के चार निकाय- गोंदिया नगर परिषद, तिरोडा नगर परिषद, सालेकसा नगर पंचायत और गोरेगांव नगर पंचायत के लिए मंगलवार 2 दिसंबर को मतदान संपन्न हुआ। सुबह 7:30 बजे शुरू होकर शाम 5:30 बजे तक वोटिंग चली और मतदाताओं ने भारी संख्या में लोकतंत्र का उत्सव मनाया।
सभी दलों के नगर परिषद अध्यक्ष पद के उम्मीदवार सचिन शेंडे ,कशिश जायसवाल , डॉ प्रशांत कटरे , डॉ.माधुरी नासरे , डॉ अजय पडोले , उमेश दमाहे ने जहां पोलिंग बूथ पहुंचकर मतदान में हिस्सा लिया वहीं सांसद प्रफुल्ल पटेल , वर्षा ताई पटेल , विधायक विनोद अग्रवाल , विजय रहांगडाले , पूर्व विधायक- राजेंद्र जैन , रमेश भाऊ कुथे , गोपालदास अग्रवाल ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
कुल मतदान 73.55% , ये वोट विकास के थे या दावत के ?
गोंदिया जिले के कुल 1, 65 ,081 मतदाताओं में से 73. 55% मतदाताओं ने बूथ पर पहुंचकर वोट डाला। बात नगर निहाय आंकड़ों की की जाए तो गोंदिया नगर परिषद के कुल 1,24 ,311 मतदाताओं में से 61.85% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। तिरोड़ा नगर परिषद में कुल मतदाताओं की संख्या 26,106 रही जिनमें से 65.62 प्रतिशत मतदाताओं ने बूथ पर पहुंचकर वोट डाला। सालेकसा नगर पंचायत चुनाव में रिकार्ड मतदान दर्ज किया गया यहां कुल मतदाताओं की संख्या 6810 थी जिनमें से 84.94% मतदाता घरों से निकले और उन्होंने बूथ पर पहुंचकर लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लिया। गोरेगांव नगर पंचायत में कुल मतदाताओं की संख्या 8, 854 थी जिनमें से 80.90 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
काउंटिंग में बड़ा बदलाव , 21 दिसंबर को खुलेगा पिटारा
छोटे कस्बों ने बड़े शहरों से ज्यादा जोश दिखाकर निकाय चुनाव को नया ट्रेंड दिया है , अब उम्मीदवारों का भाग्य मत मशीनों में बंद हो चुका है।
राज्य चुनाव आयोग के संशोधित कार्यक्रम अनुसार गोंदिया नगर परिषद के 44 वार्डों में से 41 सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है जबकि – प्रभाग क्रमांक 3 ( ब ) , 11 ( ब ) तथा 16 (अ) तथा तिरोड़ा के प्रभाग क्रमांक 10 ( अ) यहां मतदान 20 दिसंबर को कराया जाएगा वहीं हाई कोर्ट के निर्देश के बाद , प्रशासन के निर्णय अनुसार मतगणना , सभी वार्डों की एक साथ 21 दिसंबर को सुबह 10 बजे से शुरू होगी और तत्काल नतीजे घोषित किए जाएंगे।
EVM मैं बंद किस्मत , सट्टा बाजार में दांव का जलजला
वोटिंग प्रक्रिया खत्म होने के साथ उम्मीदवारों का भाग्य EVM में कैद हो चुका है और प्रत्याशी अब 20 दिसंबर की रात तक सिर्फ अनुमान, समीकरण और रणनीति के बल पर सांसें थामे बैठेंगे। अब सबकी नज़रें 21 दिसंबर पर टिकी है , कौन बनेगा विजेता और किसके सिर सजेगा ताज ? लेकिन इसी बीच नतीजों की देरी ने चुनावी सट्टा बाजार को गुलज़ार कर दिया है। नगराध्यक्ष पद का कौन उम्मीदवार जीतेगा?
किस वार्ड में किस नगर सेवक उम्मीदवार की गाड़ी दौड़ेगी ?
स्पष्ट बहुमत न आने पर किस पार्टी की कुर्सी डोलेगी ? क्या महायुति में चुनाव पक्षचात साझा गठबंधन होगा ? कौन सत्ता में आएगा, कौन बेदखल होगा ? इन्हीं सारे अफवाहों और कयासों को लेकर हर दिन नए भाव स्थानीय सटोरिए खोल रहे हैं , राजनीतिक दलों के कार्यालय में , प्रभाग वाइज चुनावी रिपोर्ट आने पर हर घंटे नई चर्चा हो रही है और हर दफ्तर में चुनावी गणित पर ही माथापच्ची चल रही है।
काउंटिंग की देरी ने सटोरियों की कमाई को चार गुना बढ़ा दिया है। सच यह है कि किस्मत EVM में बंद है… लेकिन दांव बाजार में खुलकर चल रहे हैं।
जहां जनता ने वोट डाला…वहीं नेताओं ने ‘लालच’ बांटा
प्रशासन आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को देखता भी है और अक्सर ना तो रोक पाता है ना कार्रवाई कर पाता है यही इस लोकतांत्रिक सिस्टम की सबसे बड़ी शोकांतिका है। इस बार के निकाय चुनावों में मतदान के बीच सबसे बड़ी हकीकत भी सामने आई । कहीं पैसा चला, कहीं गिफ्ट बंटे, कहीं दारू-मटन की पार्टियां हुईं। नेताओं ने मतदाताओं को लालची बनाकर चुनाव की गरिमा को तार-तार कर दिया , ऐसे में विकास की बात पीछे छूट गई…अब नई परिभाषा गढ़ी गई “पैसा लगाओ और चुनाव जितो।” ईमानदार, स्वच्छ छवि के साधारण उम्मीदवार का चुनाव लड़ना अब लगभग असंभव सा हो चला है और मतदाता भी आदत डाल चुके हैं रात की पार्टी, बोतल, मटन और लिफाफे की। अनुमान लगाया जा रहा था कि गोंदिया नगर परिषद के लिए वोटिंग 75% से अधिक होगी लेकिन, कम मतदान लोकतांत्रिक सिस्टम पर भी बड़े सवाल खड़े कर गया।
रवि आर्य











