
पटना में मुख्यमंत्री आवास के पास बड़े-बड़े होर्डिंग्स पर लिखा नारा— “बिहार का मतलब नीतीश कुमार”—चुनावी माहौल में तेजी से चर्चा में आ गया है। दूसरी ओर, चुनाव आयोग के ताज़ा रुझानों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बहुमत का आंकड़ा 122 पार कर लिया है और बढ़त लगातार मजबूत हो रही है।
238 सीटों के रुझानों में NDA 187 सीटों पर आगे चल रहा है। ( Update till 12:00 pm )
भारतीय जनता पार्टी (BJP) 81 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) [JDU] 80 सीटों पर आगे है। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) [LJP(RV)] 22 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
विपक्षी महागठबंधन की स्थिति कमजोर दिख रही है और वह सिर्फ 44 सीटों पर आगे है। तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) 33 सीटों पर बढ़त में है, जबकि उसके सहयोगी दलों का प्रदर्शन शुरुआती रुझानों में फीका रहा। कांग्रेस 5 सीटों पर और CPI(ML) लिबरेशन 6 सीटों पर आगे है। यह सभी आंकड़े सुबह 11:10 बजे तक के हैं।
2025 बिहार विधानसभा चुनाव को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी परीक्षा माना जा रहा था, लेकिन एक बार फिर उन्होंने साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति अब भी उनके इर्द-गिर्द ही घूमती है। बीते 20 वर्षों में लगभग हर चुनाव में नीतीश कुमार ने अपनी स्थिति को मजबूती से कायम रखा है।
विपक्ष द्वारा अक्सर ‘पलटू राम’ कहकर निशाना बनाए जाने के बावजूद, नीतीश कुमार का वोट बैंक लगातार स्थिर रहा है। उनकी लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह है— ठोस विकास कार्य, ग्रामीण ढांचे में सुधार, और सीधे जनता तक आर्थिक सहायता पहुंचाने की उनकी नीतियाँ।
लोगों को उनके काम याद हैं—वही काम जो वादों के बजाय जमीनी हकीकत में दिखाई देते हैं। बिहार के सामाजिक-आर्थिक ढांचे में लंबे समय से मौजूद खाइयों को पाटने में नीतीश कुमार की व्यावहारिक और समावेशी राजनीति ने अहम भूमिका निभाई है।
लगातार दो दशकों से सत्ता में रहते हुए भी उनकी प्रासंगिकता बरकरार है—और 2025 के रुझान बताते हैं कि बिहार में उनका राजनीतिक प्रभाव आज भी उतना ही मजबूत है।










