
गोंदिया। देश की नंबर वन पंचायत आज अविश्वास, आरोप और अव्यवस्था के भंवर में फंसी है जो पंचायत कभी देश के लिए उदाहरण थी, अब सवालों का मैदान बन चुकी है , इनाम मिला..लेकिन ईमान पर दाग लग गया। जिस पंचायत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद “देश की अव्वल ग्राम पंचायत” का तमगा देकर एक करोड़ रुपये का सम्मान धनादेश सौंपा था आज वही डव्वा पंचायत सुर्खियों में है, लेकिन इस बार कामयाबी के नहीं बल्कि कलह और अविश्वास के लिए। गोंदिया जिले के सड़क अर्जुनी तहसील की डव्वा ग्राम पंचायत इन दिनों सियासी अखाड़ा बन चुकी है।
आठ ग्राम पंचायत सदस्यों ने महिला सरपंच योगेश्वरी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सीधे-सीधे उनके तानाशाही रवैये और भ्रष्टाचार के खेल पर सवाल उठा दिए हैं ?
अविश्वास प्रस्ताव के बीच मारपीट और हंगामा
08 अक्टूबर 2025 को 11 में से 9 पंचायत सदस्य तहसीलदार कार्यालय पहुंचे और सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का पत्र सौंपा। लेकिन 14 अक्टूबर को जब अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हेतु विशेष सभा बुलाई गई, तब हालात बेकाबू हो गए। सभा स्थल पर पहले से जुटी भीड़ ने ग्राम पंचायत सदस्यों पर हमला कर दिया खींचतान, मारपीट और पत्थरबाजी तक की नौबत आ गई , कई सदस्य और पुलिसकर्मी घायल हो गए।
अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाली एक महिला सदस्य को तो जबरदस्ती गाड़ी में बैठाकर बाहर ले जाया गया। सवाल ये है.. क्या “ग्राम सभा” के नाम पर भीड़ जुटाई गई थी या विरोधियों को सबक सिखाने की साजिश रची गई थी ? 03 नवंबर सोमवार को आयोजित पत्र परिषद में 6 ग्राम पंचायत सदस्यों ने मीडिया से बात करते हुए कहा- सभा में सरपंच खुद मौजूद नहीं थीं। मौजूद आठों सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया , किसी ने विरोध नहीं किया क्योंकि विरोध करने वाला था ही नहीं
हमने कोई पैसा नहीं मांगा , हम विकास चाहते हैं
लेकिन इसके बाद शुरू हुई आरोप-प्रत्यारोप की जंग…
महिला सरपंच की ओर से आरोप लगाया गया कि बागी  सदस्यों ने एक करोड़ के इनाम राशि में से पैसे मांगे थे  और न देने पर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया।
 प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित ग्राम पंचायत सदस्यों ने इसे पूरी तरह झूठा और सरपंच द्वारा रची गई साजिश बताया। उन्होंने कहा-अगर सरपंच के पास सबूत हैं, तो सार्वजनिक करें ,  झूठे आरोप लगाकर हमारी छवि खराब की जा रही है।
हमने कोई पैसा नहीं मांगा ,
हम विकास चाहते हैं , धमकियां नहीं ?
सरपंच हमेशा मनमानी करती हैं और हर अच्छे काम का श्रेय खुद लेती है यही वजह है कि अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा।
एक करोड़ की इनामी रकम पर उठे सवाल , कहा-चयन प्रक्रिया बोगस ? यह वही डव्वा ग्राम पंचायत है जिसे 24 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस पर देश की अव्वल ग्राम पंचायत घोषित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद एक करोड़ रुपये की सम्मान राशि और ट्रॉफी बिहार के मधुबनी के मंच से डव्वा ग्राम पंचायत की महिला सरपंच चौधरी को सौंपी थी। और अब, उसी पुरस्कार को लेकर पंचायत के भीतर से ही उठी है “बोगस चयन प्रक्रिया” की आवाज़।
देश की अव्वल पंचायत में सियासी संग्राम , कहा फिर करो सर्वे , देखो हकीकत
सदस्यों ने आरोप लगाया कि पुरस्कार की प्रक्रिया में धांधली हुई है और एक करोड़ की राशि के वितरण पर पारदर्शिता नहीं है। जब दिल्ली से सर्वे टीम पहुंची और जिस पवन चक्की को दिखाया गया था , वह एक दिन के लिए उधार में मंगाई गई थी। गांव के 21 घरों में कोई सोलर सिस्टम नहीं लगा हुआ है वह ठेकेदार ने रकम न मिलने पर हटा दिया है , 480 रूपए प्रति वृक्ष दर से खरीद बताते 24 लाख रुपए की निधि खर्च की गई दिखाया गया है जबकि स्वयंसेवी संस्थाओं के आर्थिक सहयोग से वृक्ष बुलाए गए थे और जितनी वृक्ष की संख्या बताई जा रही है उसके 15% भी मौके पर वृक्ष नहीं है।
पत्र परिषद में उपस्थित ग्राम डव्वा के उपसरपंच सुनील घासले , सदस्य-मुनेश्वर चौधरी , मधुकर गावराने , मोरेश्वर वाघाड़े , मंगला कुरसुंगे , संगीता घासले आदि ने , चयन समिति से फिर मांग की है कि वह आकर प्रत्यक्ष सर्वे करे और जमीनी हकीकत जानें , दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा ?
कुल मिलाकर देश की नंबर वन पंचायत आज अविश्वास, आरोप और अव्यवस्था के भंवर में फंसी है जो पंचायत कभी उदाहरण थी, अब सवालों का मैदान बन चुकी है , इनाम मिला, लेकिन ईमान पर दाग लग गया।
रवि आर्य
			





    
    




			
			