नागपुर – बल्लारपुर तहसील के नांदगांव में हुए हत्या के एक चर्चित मामले में पत्नी लक्ष्मी पोडे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। पति की हत्या के आरोप में जेल में बंद लक्ष्मी को सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है। इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका यह कहकर खारिज कर दी थी कि याचिका में पर्याप्त तथ्य नहीं हैं। इस आदेश को चुनौती देते हुए लक्ष्मी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई करते हुए लक्ष्मी को सशर्त जमानत प्रदान करने का आदेश दिया। याचिका में लक्ष्मी की ओर से अधिवक्ता मनन डागा और अधिवक्ता राजेन्द्र डागा ने पैरवी की।
अधिवक्ता की दलील – आत्मरक्षा में हुआ वार
अधिवक्ता मनन डागा ने कोर्ट को बताया कि लक्ष्मी के पति अमोल पोडे को शराब की बुरी लत थी और वह अक्सर नशे की हालत में लक्ष्मी के साथ मारपीट करता था। घटना की रात भी अमोल शराब पीकर घर लौटा और लक्ष्मी पर हमला कर दिया। आत्मरक्षा और परिवार की सुरक्षा के चलते लक्ष्मी ने गुस्से में आकर चाकू से वार किया, जिससे अमोल की मृत्यु हो गई।
डागा ने यह भी दलील दी कि लक्ष्मी पर यदि कोई अपराध बनता भी है, तो वह ‘सदोष मानव वध’ (Culpable Homicide Not Amounting to Murder) की श्रेणी में आता है, हत्या की नहीं। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि लक्ष्मी के दो छोटे बच्चे हैं और वह पिछले 10 महीनों से जेल में बंद है, जिससे बच्चों का भविष्य खतरे में है।
राज्य सरकार ने जताई आपत्ति, सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने लक्ष्मी की जमानत अर्जी का कड़ा विरोध किया। हालांकि दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह आवश्यक शर्तों के साथ लक्ष्मी को जमानत दे।
यह घटना 18 जुलाई 2023 को रात करीब 2 बजे हुई थी, जब अमोल मंगल पोडे की हत्या की गई। बताया गया कि उस रात भी अमोल शराब के नशे में था और उसने लक्ष्मी पर हमला किया। झगड़ा लंबे समय तक चलता रहा, इसी दौरान लक्ष्मी की मां और दोनों बेटे भी घर में ही सो रहे थे। गुस्से और आत्मरक्षा की स्थिति में लक्ष्मी ने अमोल का गला रेत दिया। खास बात यह रही कि घटना की जानकारी स्वयं लक्ष्मी ने पुलिस को दी थी।