Published On : Tue, Oct 5th, 2021
By Nagpur Today Nagpur News

कोयला कामगारों को मिलेगा बोनस 72,500

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– दो लाख 84 हजार से ज्यादा कामगारों को इसका लाभ मिलेगा,11 अक्टूबर को कामगारों के खातों में बोनस की राशि पहुंच जाएगी।

नागपुर – सोमवार को कोयला कामगारों का सालाना बोनस पीएलआरएस सीआईएल प्रबंधन और जेबीसीसीआई मानकीकरण कमेटी की हुई बैठक में निर्धारित किया गया। इस साल कर्मचारियों को 72 हजार 500 रुपए बोनस के तौर पर मिलेंगे। कोल इंडिया एवं अनुषांगिक कंपनियों के दो लाख 84 हजार से ज्यादा कामगारों को इसका लाभ मिलेगा।

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15 May 2025
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एचएमएस के अनुसार प्रबंधन 72, 500 रुपए देने पर राजी हुआ है। अभा खदान मजदूर संघ के अनुसार प्रबंधन ने तो 65 हजार रुपए देने की बात कही, लेकिन यूनियन ने 92 हजार मांगा। लंबी चर्चा के बाद 72,500 रुपए देने पर सहमति बनी।

बताया गया है कि 11 अक्टूबर को कामगारों के खातों में बोनस की राशि पहुंच जाएगी।

बैठक में सीआईएल निदेशक (कार्मिक एवं औद्योगिक संबंध) विनय रंजन सहित अन्य अधिकारी तथा एचएमएस से नाथूलाल पांडेय, एसके पांडेय, बीएमएस से सुरेन्द्र कुमार पांडेय, सुधीर घुरडे, एटक से रामेन्द्र कुमार, सीटू से डीडी रामानंदन सम्मिलित हुए।

2020 में कोयला कामगारों को 68,500 रुपए बोनस के तौर पर दिए गए थे। यह रकम 2019 के मुकाबले 6.5 फीसदी अधिक थी। 2019 में 64,700 रुपए का बोनस मिला था।

एजेंडा दस्तावेज़ को अंतिम रूप दिया
यह एजेंडा 2024 तक एक बिलियन टन कोयला के उत्पादन सहित निर्धारित लक्ष्य को निश्चित रूप से हासिल करने की मुख्य क्षमता पर ध्यान केंद्रित करते हुए कोयला क्षेत्र को नई प्रौद्योगिकियों से लैस करने के उद्देश्य से इससे संबद्ध संपूर्ण क्षेत्र को शामिल करता है।

कोयला मंत्रालय ने वर्ष 2021- 22 के लिए एक एजेंडा दस्तावेज को अंतिम रूप दिया है, जो कि मोटे तौर पर निम्नलिखित चार पहलुओं पर केंद्रित है:

कोयला क्षेत्र में सुधार
कोयला क्षेत्र में परिवर्तन एवं निरंतरता
संस्थानों का निर्माण
भविष्य का एजेंडा

यह पहली बार है जब आगामी वर्ष के लिए एजेंडा दस्तावेज को एक संकलन के रूप में प्रस्तुत किया गया है और इसे उन सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों को प्रदान किया गया है जिन्हें नियमित निगरानी एवं मूल्यांकन के माध्यम से मोटे तौर पर उपरोक्त चार व्यापक पहलुओं के पूरे वर्ष संचालन की जिम्मेदारी दी गई है।

इस एजेंडे को, जिसकी समीक्षा सचिव (कोयला) द्वारा नियमित अंतराल पर मध्य-अवधि के निर्देशों / संरेखण के लिए की जानी है, निगरानी और समीक्षा की एक रूपरेखा से लैस कर तैयार किया गया है।

पिछले कुछ वर्षों में किए गए प्रमुख सुधार कोयला क्षेत्र को उन्नत बनाने और इस क्षेत्र से जुड़ी मौजूदा एवं उभरती चुनौतियों को कवर करने तथा उन चुनौतियों से निपटने के संबंध में दिशा-निर्देश भी देते हैं। साथ ही, ये सुधार उभरती प्रौद्योगिकियों और कोयला क्षेत्र के विविधीकरण पर जोर देने की प्रक्रिया के साथ खुद को अच्छी तरह से संबद्ध करते हैं।

यह एजेंडा 2024 तक एक बिलियन टन कोयला के उत्पादन सहित निर्धारित लक्ष्य को निश्चित रूप से हासिल करने की मुख्य क्षमता पर ध्यान केंद्रित करते हुए कोयला क्षेत्र को नई प्रौद्योगिकियों से लैस करने के उद्देश्य से इससे संबद्ध संपूर्ण क्षेत्र को शामिल करता है।

कोयला क्षेत्र से जुड़े सुधारों में वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए परियोजनाएं, झरिया मास्टर प्लान, नियामक सुधार (अन्वेषण), कोयला क्षेत्र के सज्जीकरण, कोयला खदानों में सुरक्षा, कोकिंग कोल से जुड़ी रणनीति, विपणन संबंधी सुधार, कोयला के मूल्य निर्धारण प्रक्रिया में सुधार, भूमि अधिग्रहण में सुधार, सौर ऊर्जा परियोजनाएं, कोयले की डिस्पैच और स्टॉकिंग, पड़ोसी देशों को कोयला निर्यात और नीलामी के जरिए आवंटित खदानों से कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने से जुड़ी रणनीतियां शामिल हैं।

साथ ही, कोयला क्षेत्र में परिवर्तन एवं निरंतरता इस परिवर्तन से जुड़े सामाजिक पहलुओं, विमुक्त-कोयला भूमि के मुद्रीकरण, खनन / ड्रोन और स्थिरता (निवल शून्य उत्सर्जन) से संबंधित डेटा के मामले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग से जुड़े पहलुओं को कवर करती है।

उपरोक्त एजेंडे के संस्थानों के निर्माण वाले खंड में कोयला नियंत्रक संगठन (सीसीओ) एवं कोयला खदान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफओ) में सुधार और कोयला परीक्षण प्रयोगशालाओं के उन्नयन तथा कर्मचारियों की गुणवत्ता एवं उनके प्रशिक्षण से जुड़े मुद्दे शामिल हैं।

भविष्य के एजेंडे में कोयला से रसायन की ओर (कोल टू केमिकल)- सिन गैस, हाइड्रोजन गैस, तरल ईंधन (लिक्विड फ्यूल), रसायन एवं उर्वरक, सीआईएल – इसके कारोबार में विविधता, इलेक्ट्रिक चार्जिंग पॉड्स, ईवी आदि जैसे उभरते उद्योगों में संभावनाओं की तलाश, उचित तत्परता के साथ इसी किस्म के या नए व्यवसायों का अधिग्रहण एवं विलय, मीडिया में अभियान और सीएसआर से जुड़ी गतिविधियों की कड़ी निगरानी शामिल हैं।

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