नागपुर– कोविड़-19 (Covid-19) के इस महामारी में रोजगार, पैसो की किल्लत के कारण नागरिक काफी परेशान है. लेकिन निजी स्कूलों (Private Schools) की फ़ीस (Fees) की मांग ऐसे समय में भी कम नहीं हो रही है. कई दिनों से शहर में कई निजी स्कूलों (Private School) की ओर से स्कुल बंद होने के बावजूद भी ऑनलाइन क्लासेस (Online Classes) के नाम पर फ़ीस (Fees) वसूलने के मामले बढ़ रहे है तो वही इसके साथ ही बिना क्लासेस के भी फ़ीस वसूलने के मामले सामने आ रहे है. ऐसा ही एक मामला अजनी रोड के माउंट कार्मेल स्कुल (Mount Carmel School) में सामने आया है. यहां पर परिजनों ने स्कुल में फ़ीस मांगने, फ़ीस कम नहीं करने और स्कुल ड्रेस खरीदने की जबरदस्ती को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान बच्चों के परिजन स्कुल परिसर में ही खड़े रहे और अपनी नाराजगी व्यक्त की.
एक महिला का कहना है की स्कुल में जिन्होंने फ़ीस भरी है, उन्हें ऑनलाइन क्लासेस दी गई है. लेकिन जिन्होंने फ़ीस नहीं भरी है. उन्हें कोई भी सुविधा नहीं दी गई है. ऑफलाइन (Offline) और ऑनलाइन (Online) दोनों तरह की शिक्षा से विद्यार्थियों को वंचित रखा जा रहा है.
एक महिला परिजन ने बताया की उनकी बेटी इस स्कुल में केजी-2 ( Kg-2 ) में पढ़ती है, 25 हजार 800 रुपए पहले दिए गए थे. उस दौरान स्कुल ने बताया नहीं कि फ़ीस किस किस प्रयोजन के लिए भरनी है. लेकिन अब हम कोविड़-19 (Covid-19) की इस महामारी में 25 हजार 800 रुपए नहीं भर सकते. क्योंकि अब हमारी आर्थिक स्थिति (Financial Condition) अच्छी नहीं है. महिला का कहना है की हमने फ़ीस नहीं भरेंगे ऐसा नहीं कहा, हमनें केवल फ़ीस कम करने के लिए कहा है. लेकिन फ़ोन करने के बावजूद भी किसी भी तरह का कोई भी प्रतिसाद स्कुल की ओर से नहीं दिया जा रहा है. हमें फ़ीस भरने के लिए लिंक भेजी जा रही है. पहली इंस्टॉलमेंट ही 10 हजार रुपए की है, उससे कम नहीं है. केजी-1 (Kg-1) में पढ़नेवाले बच्चों के परिजनों ने जब फ़ीस के लिए आंदोलन किया तो उनकी फ़ीस कम की गई, लेकिन केजी-2 (Kg-2) में पढ़नेवाले बच्चों की फ़ीस कम नहीं की जा रही है.
ध्यान रहे की राज्य सरकार ने सभी निजी स्कूलों ( Private Schools ) के लिए जीआर भी निकाला है. जिसमें कहा गया है की फ़ीस भरने की तिथि को बढ़ाया जाए, इसके साथ ही इन्सटॉलमेंट की व्यवस्था भी की जाए, फ़ीस को लेकर सख्ती न की जाए, इसके साथ ही किसी भी तरह से फ़ीस में बढ़ोत्तरी न की जाए. इसके साथ और भी कई नियम है, लेकिन निजी स्कूलों ( Private Schools ) की ओर से हर साल ऐसे नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती है.