शाला बाह्य बच्चों का सर्वेक्षण सेविकाओं के पास
कन्हान (नागपुर)। स्कूल बाह्य बच्चों के सर्वेक्षण के लिए सरकार ने ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है. ये बच्चे आंगणवाडी सेविकाओं के सेवा के बाहर से होकर भी उनकी जानकारी के लिए सेविकाओं को ही काम दिया जा रहा है. पहले ही कम वेतन में काम करनेवाली सेविकाओं के पीछे सरकार ने अधिक काम का बोझ बढ़ा दिया है. इसमें से 0 से 6 उम्र के बच्चे, नव विवाहित युवक-युवतियां, गर्भवती, स्तनदा माता, किशोरी, आधार कार्ड, सर्वेक्षण, शौचालय सर्वेक्षण, संदर्भ सेवा, कुपोषित बच्चों को आवश्यक सेवा, टीकाकरण आदि सेवाएं आंगनवाडी सेविका जीतोड़ मेहनत करके करती है. लेकिन उनको मिलता है कम मानधन.
शिक्षकों को इनके हिसाब से दस गुना अधिक वेतन मिलता है. स्कूल बाह्य 6 से 14 वर्ष के बच्चों के सर्वेक्षण की जिम्मेदारी शिक्षकों की है. लेकिन इस काम के पीछे सेविकाओं को लगा रखा है. लेकिन सेविका इतनी सभी जिम्मेदारी के काम संभाल रही है तो उनके मानधन में सौतेला व्यवहार क्यों? ऐसा सेविकाएंं प्रश्न कर रही है. आज आंगनवाडी मददनिस को 2000 रूपये मानधन सरकार दे रही है. उसी में अगर महिला विधवा होंगी और उसके 2 बच्चे होंगे तो परिवार की उपजीविका कैसे चलेगी? ऐसा प्रश्न उपस्थित हो रहा है.
सरकारी खाते से एक बार वेतन या मानधन बढ़ा तो बढ़ता जाता है. लेकिन सरकार का आंगनवाडी सेविकाओं की ओर देखने का नजरिया सिर्फ बनवा मजदुर जैसा दिख रहा है. सेविकाओं को हर 2 महीनों में 0 से 3 उर्श उम्र के बच्चे, गर्भवती, स्तनदा माता और किशोरीयों के टी.एच.आर. वितरित करना पड़ता है. उसमे भी उपर से आये आदेशानुसार दवाईयां, सोयाबीन दूध, अंडे, केले, चिक्की, किताबें भी समय-समय पर वितरित करनी पड़ती है. कभी-कभी माल की वैधता तारीख ख़त्म होने के 15 दिन पहले सेविकाओं के पास माल पहुचता है. उसे समय पर वितरित नही किया गया तो जवाब देने के लिए सेविकाओं को आगे किया जाता है.
सेविकाओं की मुख्य समस्या है कि, आंगनवाडी योग्य तरीके से नही है, सुख-सुविधा न होना, शासन से मिले आहार को जमा रखने की सुविधा नही, टेबल, खुर्सियां, रेकॉर्ड रखने के लिए अलमारी नही जिससे सेवकाएं नाराज है. इतना होकर भी 18 रजिस्टर भरने पड़ते है. जिसके लिए समय ही नही है. घर जाकर वो रिकॉर्ड पूर्ण करना पड़ता है. सरकार इन समस्याओं की ओर ध्यान दे. ऐसी मांग सेविकाओं ने की है.