बड़ी संख्या में मजदूर लौट रहे घर
सवांददाता / महेश पानसे
चंद्रपुर। विदर्भ समेत आंध्रप्रदेश, छत्तीसगड़, उड़ीसा में तेंदुपत्ता संकलन का कार्य जोरो पर शुरू है, इस वर्ष पुर्व विदर्भ में ठेकेदारों व्दारा उचित मजदूरी की कमी होनें से तेंदु पत्ता मजदूर बड़ी संख्या में तेंदुपत्ता संकलन के लिए बाहरी राज्यों में प्रस्थान कर चुके है. लेकिन बढती गर्मी तथा असुविधा के रहते बाहर गए मजदूरोें की मौत का सिलसिला जारी होने से घबराएं मजूदर बड़ी संख्या में घर लौट चुके है.
हाल ही में नागभीड़ तहसील के तीन मजदूरों की छत्तीसगड़, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा के जंगलो में आरोग्य असुविधा के कारण मौत हो चुकी है. कोर्धा निवासी मोरेश्वर पानसे (35) की सर्पदंश के कारण, पारडी निवासी दशरथ गेडाम (50) की मौत बढ़ती धुप तथा आरोग्य असुविधा के कारण हो चुकी है. दो दिन पूर्व नवेगाव पांडव निवासी देवराव रडके को मरनासन्ना स्थिति में आंध्रप्रदेश से नागपुर लाया गया है. तेंदुपत्ता संकलन के लिए बाहर राज्यों में गए मजदूरों का ठेकेदारों द्वारा ज्यादा मजदूरी का लालच देकर बड़ी मात्रा मे शोषण करने की बात उजागर होने से बड़ी संख्या में मजदूर घर लौट रहे है.
मौत के बाद उचित मुआवजा तो दूर कभी-कभी तो मृतक मजदूरों का अंतिम संस्कार भी परस्पर जंगलों में ही किया जा रहा है. पारडी स्थित दशरथ गेडाम की मौत के बाद-परस्पर उड़ीसा के जंगल में उसका अंतिम संस्कार किये जाने की खबर है.
महाराष्ट्र की तुलना में आंध्रप्रदेश, छत्तीगड़ तथा उड़ीसा में मजदूरों को ज्यादा पैसों का लालच देकर ठेकेदार बुलाते है. चार पैसे कमाने की आशा रखकर मजदूर तेंदुपत्ता संकलन के लिए बिना सोचे निकल पड़ते है. जहां ठेकेदारों व्दारा असुविधा व नजर अंदाज होने से कई मजदूरों को अपनी जान गवानी पड रही है. हर वर्ष 20-25 मजदूरों के शव ही उनके घरवालों को नसीब होते है. परिवार निराधार होते रहे है. कोर्धा निवासी मोरष्वर पानसे पारडी निवासी दशरथ गेडाम की मौत से घबराएं मजदूर बड़ी मात्रा में घर लौट रहे है.
जिले मे चार वनक्षेत्रों मे बडे पैमाने पर तेंदुपत्ता संकलन होता है, ठेकेदार करोडो कमाते है पर मजदूरों को मजदूरी देने मे कंजूसी करते है.नतिजा यह होता है कि जिले से बडी संख्या मजदूर बाहरी राज्यो मे जाकर विपरीत परिस्थितीओं में अपनी जान गवाते है.









