Published On : Sat, Oct 20th, 2012

हृरूष्ट ने पेट्रोल पम्प किया सील म्हालगीनगर रोड पर कार्रवाइ – Nav Bharat

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नागपुर. मनपा के दस्ते ने सहायक आयुक्त डी.डी. पाटिल के नेतृˆव में म्हालगीनगर रोड स्थित महाकालकर सभागृह के समीप हिंदुस्तान पेट्रोलियम को अनधिकृत लेआउट के अंतर्गत सील कर दिया. पम्प को सील करने के साथ ही 2 एटीएम में भी दस्ते ने सील लगा दी. इनमें एक आईसीआईसीआई बैंक और दूसरा स्टेट बैंक का एटीएम है. अनधिकृत Œलाट होने का मामला वर्ष 2010 में भी उठा था और मनपा प्रशासन की ओर से पम्प को सील करने की पहल की गई थी. हिंदुस्तान पेट्रोलियम के हस्तक्षेप से कार्रवाई स्थगित कर दी गई थी. वर्ष 2003 में शुरू किया था हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने पम्प की शुरुआत वर्ष 2003 में की थी. बाद में इस पम्प को का‹ट्रे€ट पर महाकालकर को सौंप दिया था. आदिवासी कोटे में विनोद भलावे को एचपी कंपनी का पम्प मिला ‰ाा. कंपनी ने 24 फरवरी 2009 को महालक्ष्मी पेट्रोलियम के नाम पर इस पम्प को हस्तांतरित कर दिया. 2009 से विनोद भलावे द्वारा शुरू किये गये पम्प के कुछ माह बाद ही अनधिकृत Œलाट और निर्मा‡ा कार्य होने का मसला एकाएक उठ गया. 7 वर्ष तक खामोश €यों रहे आदिवासी विकास योजना मार्केटिंग Œलान 1996 के अंतर्गत केंद्र सरकार ने विनोद भलावे को पम्प आबंटित किया था. कंपनी ने पम्प के लिये भूमि सेल्स रूम रनवे मशीन और वर्किंग कैपिटल के लिये 10 लाख रुपये का लोन दिया था. उल्लेखनीय है कि जब Œलाट अधिकृत नहीं था तो कंपनी ने पम्प किस आधार पर शुरू किया. 7 वर्ष तक पम्प धड़ल्ले से चलता रहा. पहले कंपनी ने पम्प को चलाया बाद में ठेके पर महाकालकर को दे दिया. आदिवासी समाज के व्यक्ति को पम्प आवंटित होते ही अनधिकृत Œलाट का मुद्दा उजागर हुआ और पम्प संचालक पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा. रा…यपाल से मिलेंगे कंपनी और Œलाट मालिक के बीच 29 वर्ष की लीज का एग्रीमेंट हुआ है. यह जानकारी पम्प संचालक विनोद भलावे ने दी. उ‹होंने बताया कि कंपनी में कई बार पूछताछ की गई लेकिन सब कागजात ओके होने की जानकारी दी गई. भलावे ने कहा कि सीसी लिमिट बढ़ाने के लिये उ‹होंने अपना मकान एसबीआई में गिरवी रख दिया. अब Œलाट और कंपनी के बीच चल रहे विवाद में वे बिलावजह मुसीबत में फंस गये. रा…यपाल के नागपुर दौरे के दौरान वे उनसे भेंटकर आदिवासी समाज पर हो रहे अ‹याय से अवगत करायेंगे. दिया था रिवाइज Œलान कंपनी ने रिवाइज Œलान मनपा को दिया है लेकिन आज तक इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाये गये. अलबžाा हुआ यह कि 7 वर्ष तक खामोश रहने के बाद मनपा ने एकाएक नियम और कानून का डंडा बता दिया

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