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बुलढाणा-शेगाव : गण गणांत बोते को गुनगुनाते हुए अपनी चरणधूलि इस भूमि पर रखी, वह दिन था माघ बदी 7 शके 1800, 23 फरवरी 1878 का. उनके द्वारा किए गए अनेक चमत्कार देख लोग दंग रह गए. उन्हीं चमत्कारी अजानबाहु व्यक्ति को आज समूचा देश ही नहीं अपितु विश्व के कई देशों में उनकी ख्याति पहुंच चुकी है. उन्हीं संत श्री गजानन महाराज का ( २२ फरवरी ) 136 वां प्रगट दिन भक्तिमय वातावरण में मनाया गया.करीब ७ दिन पूर्व से ही श्री की प्रगट दिन के धार्मिक कार्यक्रमों की शुरवात होती हे. २२ फरवरी के दिन उत्सव का मुख्य दिन , करीब २- ३ लाख भाविकको ने करीब ६-७ घणटो तक गण गण गणात बोते का जाप करते हुये श्री का दर्शन लिये . मंदिर में संस्थान के हजारों सेवाधारी युवा संचालक नीलकंठदादा पाटिल के मार्गदर्शन में चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था बनाए हुए थे.
दिन भर श्री के प्रगत दिन के उप्लश मे पुरे शहर मे गण गण गणात बोतेय के मंत्र सुनाई पड रहा था . इस प्रगत दिन मे शामिल होने के लिय करीबन ९००-१००० दिंडी शेगाव शहर मे दाखील हुई थी.
पालखी की नगर परिक्रमा :मुख्य आकर्षण
दोपहर 2 बजे पालकी में ‘श्री’ की रजत प्रतिमा स्थापित कर .वारकरी मंडली,हाथी, घोडे के साथ भजन मंडली, हिन्दू संस्कृति का प्रतीक केसरिया ध्वज शेगाव शहर के नगर परिक्रमा को निकल जीस्मेय संस्थान के संचालक मंडल शामिल हुए. पालकी मंदिर से निकलकर पुरे शेगाव शहर के मुक्य मार्ग से होते हुए शाम 7 बजे मंदिर पहुंची, जहां. परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना कर कार्यक्रम सम्पन्न हुआ. 23 फरवरी जगन्नाथबुवा म्हस्के का गोपाल काला का कीर्तन होकर 15 फरवरी से चल रहे श्री के प्रकट दिन महोत्सव का समापन आज २३ रविवार को फरवरी को हो गया.
:: अमोल सराफ . बुलढाणा- खामगाव