गोंदिया: मोक्षधाम आए बिना सत्य को नहीं समझा जा सकता
लोह स्ट्रक्चर है टूटे-फूटे , दाह संस्कार विधि में खासी दिक्कत
गोंदिया: जीवन के अंतिम पड़ाव वाली जगह मोक्षधाम में कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता जब यहां कोई चिता नहीं जलती हो , औसतन 4 से 5 शवों का अंतिम संस्कार यहां हर दिन गोबरी और जलाऊ लकड़ियों का उपयोग कर संपन्न किया जाता है।
अंतिम संस्कार के बाद राख ठंडी होने पर अगले दिन अस्थियां ( फूल ) जुटाई जाती है तथा इन अस्थियों को मटकी ( अस्थि कलश ) में भरकर उन्हें नदी- सरोवर जैसे पवित्र स्थानों पर जल प्रवाहित कर मृत आत्माओं की शांति एवं मोक्ष प्राप्ति हेतु प्रार्थना की जाती है।
अस्थियां अपने संस्कार पूर्ण होने की राह देख रही थी ?
दरअसल गोंदिया शहर के मोक्षधाम का बाहरी और भीतरी स्वरूप तो काफी साफ सुथरा और हरा भरा है लेकिन जहां दाह संस्कार की विधि संपन्न होती है उसकी उचित देखभाल नगर परिषद प्रशासन द्वारा नहीं किए जाने की वजह से लोह ( बीर ) की जालियां जगह-जगह से टूट फूट गई है तथा जहां चिता की राख गिरती है उन स्थानों पर बड़े-बड़े गड्ढे निर्मित हो जाने से मृत शरीर की अस्थियों को पूर्ण रूप से इकट्ठा करने में खासी दिक्कतें निर्माण हो रही थी लिहाज़ा अस्थियां अपने संस्कार पूर्ण होने की राह देख रही थी जिसका संज्ञान लेते हुए इस दिशा में नगर पालिका परिषद का ध्यानाकर्षण किया गया लेकिन प्रशासन कुंभकर्णी नींद से नही जागा , जिसके बाद समाजसेवी विजय अग्रवाल ,नरेश लालवानी , राकेश वलेचा , जितेश आडवानी , विशाल (बॉबी) जैन , दम्मू खंडेलवाल , बृजेश गजभिये , आशीष खंडेलवाल ने आपसी सहयोग राशि एकत्र कर दाह संस्कार जगह पर पड़े चुके गड्ढों को दुरुस्त करने का निर्णय लिया और गिट्टी- सीमेंट- रेती जैसा आवश्यक मटेरियल इकट्ठा कर , कार्य मिस्त्री बुलाकर 21 नवंबर से शुरू किया गया यह निर्माण कार्य 2 दिसंबर तक चला और अंतिम संस्कार विधि की 9 जगहों के गड्ढों को पाटकर सीमेंट प्लास्टर द्वारा दुरुस्त कर लिया गया, अब राख को समेटने में न फावड़े का उपयोग होगा और ना ही अस्थियों को झाड़ू- खराटे से समेटाना पड़ेगा।
जीवन में स्फूर्ति लाती है योग- भक्ति की साधना
दुनिया में जो आया है उसे एक न एक दिन जाना ही है और
मोक्षधाम वह जगह है जहां जीवन के अंतिम सत्य से ही नहीं बल्कि हर सत्य से साक्षात्कार होता है।
गोंदिया शहर के मोक्षधाम में पहले लोग आने से डरते थे लेकिन सर्व समाज सेवा समिति ने बहुत अच्छा श्रमदान का सेवा कार्य करते हुए इसे एक सुंदर हरा-भरा और व्यापक रूप प्रदान कर दिया है ।
अब यहां लोग सुबह सुबह आते हैं कपालभाति- भस्त्रिका व अन्य योग मुद्राओं का आनंद लेते हैं , राम नाम का जप करते हुए दिखाई पड़ते हैं तथा भक्ति गीतों की गूंज सुनाई पड़ती है।
ऐसी हरियाली और स्वच्छ आबोहवा भरे वातावरण की देखभाल बेहद ज़रूरी है।
सर्व समाज मोक्षधाम सेवा समिति के पदाधिकारी तो अपना कर्तव्य बखूबी निभा रहे है लेकिन आवश्यकता इस बात की है कि गोंदिया नगर परिषद में बैठे आला अधिकारी और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि भी अपने कर्तव्य को समझें और 2 साल से अटके पड़े लोह (बीर स्ट्रक्चर ) जालियों के दिए आर्डर (एडवांस राशि) के सामान आपूर्ति का अब तक क्या हुआ ? इस बात का संज्ञान लें और इस दिशा में जल्द व्यवस्था को दुरुस्त कर टूटी-फूटी जालियों की जगह नहीं जालियां स्थापित करें।
– रवि आर्य