क्यों किया ‘कनक’ ने हाथ खड़े !

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Kanak Resource Management

Representational Pic

नागपुर: मनपा प्रशासन की लापरवाही व सत्तापक्ष के शह के कारण मनपा स्वास्थ्य विभाग को ग्रहण लगता दिखाई पड़ रहा है. इससे बचने के लिए प्रशासन व पदाधिकारियों ने मिलकर शहर के कचरा संकलन करने के लिए ‘ कनक ‘ की नियुक्ति की थी. लेकिन उनके साथ किए गए करार पर खरा न उतरने के कारण ‘कनक’ ने करोड़ों में नुकसान को झेलते हुए काम कर रही है. कम्पनी का नाम कहीं ख़राब ना हो जाए इसलिए कार्य निरंतर शुरू है. बावजूद इसके प्रशासन व पदाधिकारी आए दिन ‘कनक’ पर कहर बरपाने से बाज नहीं आ रही है. मनपा की ऐसी ही कूटनीति रही तो भविष्य में कोई भी नई ठेकेदार कंपनी इस काम को हाथ में लेने से कतराएगी.

‘कनक रिसोर्स मैनेजमेंट लिमिटेड’ देश की नामचीन ‘सर्विस बेस्ड’ कंपनी है.यह कंपनी नागपुर मनपा में शहर का कचरा संकलन कर भांडेवाडी डंपिंग यार्ड तक कचरा पहंचाने के लिए नियुक्त की गई. ‘कनक’ ने वर्ष २००८ में सर्वप्रथम शहर के घर-घर का सर्वे कर उनसे ३२ प्रश्नों के जवाब रिपोर्ट के माध्यम से देने के लिए कहा था. तब तैयार रिपोर्ट में लगभग साढ़े ४ लाख घर ( यूनिट ) पंजीकृत किए गए थे. मनपा और ‘कनक’ के बीच हुए करार में यह भी अंकित था कि डीजल-पेट्रोल के भाव के अनुसार आरबीआई के वेतन मान के नियमानुसार प्रति टन कचरा संकलन का दर बढ़ाया जाएगा.

गत वर्ष मार्च २०१६ में मनपा के पूर्व आयुक्त श्रावण हर्डीकर ने केंद्र सरकार का परिपत्रक दिखाकर ‘कनक’ को आदेश दिया कि उनके कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन देना ही पड़ेगा. इसके बदले में ‘कनक’ द्वारा प्रमाण प्रस्तुत करने पर मनपा ‘कनक’ को मूल मासिक में अतिरिक्त निधि जोड़कर देगी। प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने के बाद प्रशासन ने ठेकेदार को अंगूठा दिखा दिया।

जब दो माह पूर्व ‘कनक’ ने मनपा प्रशासन की कूटनीति से त्रस्त होकर काम करने से हाथ खड़े कर दिए तब मनपा प्रशासन व पदाधिकारी की सांस रुक गई और आनन-फानन में सलाहकारों से ‘कनक’ की मांग पर पुनःविचार किया गया। फिर दोनों मांगों पर संयुक्त रूप से निर्णय लेते हुए प्रशासन ने डीजल-पेट्रोल की दर वृद्धि को मंजूरी दी। पहले १०७० रूपए प्रति टन दिया जाता था और अब १६७० रूपए किया गया. लेकिन बढ़ाये गए दर के हिसाब से मासिक भुगतान देने में आनाकानी करने लगे. फिर केंद्र, राज्य व मनपा के क़ानूनी सलाहकार से अभिप्राय जानने के बाद यह निर्णय लिया गया कि बढ़ाई गई राशि का आधा मनपा तो आधा ‘कनक’ ( बढ़ाई गई राशि ६०० रूपए में से ३०० रूपए मनपा एवं ३०० रूपए कनक,जिसमें २३ से ३३ रूपए मनपा के दायरे में आनेवाली हुडकेश्वर-नरसाला क्षेत्र ३३ रूपए का समाहित कर ) वहन करेगी। मनपा प्रशासन ने बड़ी चालाकी से ‘कनक’ के हिस्से में कचरा संकलन हेतु हुडकेश्वर- नरसाला व आसपास का क्षेत्र भी जोड़ दिया.
बावजूद इसके मनपा के निर्देशों का पालन व बढ़ती महंगाई के कारण ‘कनक’ को सेवा देना भारी पड़ रहा है, क्योंकि उनकी अपनी साख है इसलिए कम्पनी तय करार के अनुसार सेवा देने पर मजबूर है.

गीला-सूखा ने ले ली जान
केंद्र सरकार की गीला-सूखा कचरा संकलन योजना को नागपुर मनपा ने बिना पूर्व व्यवस्था किए ही लागु कर दिया। मनपा अधिकारी दांडेकर ने ‘कनक’ को ऐसा आदेश दिया कि गीला,सूखा व ग्रीन(पेड़,टहनिया आदि ) कचरा अलग-अलग गाड़ियों में संकलन कर भांडेवाडी लाया जाए। तीनों श्रेणी के कचरे में सूखा व ग्रीन कचरा कम मात्रा में जमा होता है। इस कम कचरे को अलग-अलग कचरा वाहक गाड़ी से भांडेवाडी तक ले जाते हैं जो काफी खर्चीली साबित हो रही है. जबकि एनएमसी ने सभी नगरसेवकों के वार्ड फंड से २-२ लाख रूपए काट लिए. इस राशि से गीला-सूखा कचरा संकलन के लिए डब्बा खरीदी की योजना प्रचारित की गई. हक़ीक़त तो यह है कि केंद्र सरकार की पहल पर यह योजना नागपुर में पूर्णतः असफल हो गई है. लेकिन प्रशासन ने कागजों पर सफलता की कहानी रच केंद्र को भेजने की तैयारी कर ली है।

एमआरपी पर १०% ब्याज देने को मजबूर
‘कनक’ कड़की में है। इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगभग १७०० कर्मियों के वेतन देने के बाद रोजाना सेवा देनेवाले वाहनों के कलपुर्जे खरीदने के लिए ‘कनक’ के पास पैसे नहीं हैं। ऐसे में टेंडर धर्म निभाने के लिए उन्हें कलपुर्जे की आपूर्तिकर्ताओं से पुर्जे उधार में लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। क्योंकि उधार की राशि २ माह में लौटाई जाएगी. इसलिए उन्हें आपूर्तिकर्ता की मांग पर ‘एमआरपी’ के साथ १०% अतिरिक्त देना पड़ रहा है. इतना ही नहीं पेट्रोल-डीजल की तो साल भर से अधिक समय की राशि चुकाई नहीं गई। इसलिए रोजाना ‘कनक’ के आपूर्तिकर्ता रोज भुगतान को लेकर गुहार लगाने पर विवश हैं.

– राजीव रंजन कुशवाहा