नागपुर: इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (आईआईटी ) में बेहतर जेंडर बैलेंस (लैंगिक अनुपात) के लिए जुलाई 2018 से शुरू होने वाले बैच में कम से कम 550 सीटें बढ़ाई जाएंगी. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में देश के सभी 23 आईआईटी केंद्रों को एक सर्कुलर भेजकर कहा था कि उन्हें इस वर्ष शुरू होने वाले नए बैच में कम से कम 14 पर्सेंट सीटें महिला उम्मीदवारों के लिए सुनिश्चित करना चाहिए और इससे अन्य छात्रों के लिए उपलब्ध मौजूदा सीटों पर असर नहीं पड़ना चाहिए. आईआईटी दिल्ली के चेयरमैन जेईई (अडवांस्ड), आदित्य मित्तल के अनुसार, पिछले वर्ष आईआईटी में लगभग 10 पर्सेंट महिला छात्रों के अनुमान के अनुसार 2018 में इस संख्या को बढ़ाकर 14 पर्सेंट करने के लिए लगभग 550 अतिरिक्त सीटों की जरूरत होगी.
देश में आईआईटी के साथ ही अन्य इंजिनियरिंग इंस्टिट्यूट में भी छात्राओं की संख्या काफी कम है. पिछले वर्ष आईआईटी में 10,000 से अधिक छात्रों ने दाखिला लिया था और इनमें महिलाओं की संख्या केवल 10 पर्सेंट की थी. कुछ टॉप आईआईटी में महिलाओं की संख्या पिछले वर्ष 10 पर्सेंट से भी कम रही थी. उदाहरण के लिए, आईआईटी कानपुर में ऐडमिशन लेने वाले कुल 826 छात्रों में से महिलाओं की संख्या केवल 54 (6.5 पर्सेंट) थी. आईआईटी गुवाहाटी में कुल 643 छात्रों में से केवल 6 पर्सेंट महिलाएं थी, जबकि आईआईटी खड़गपुर में 1,332 छात्रों में से केवल 110 महिलाएं (8 पर्सेंट) थी.
देश के सभी आईआईटी अब 2018 के बैच के लिए सीटों की संख्या पर दोबारा काम कर रहे हैं जिससे विभिन्न वर्गों (आरक्षित वर्ग) के लिए सीटों के पर्सेंटेज पर असर न पड़े. गैर-महिला वर्गों के लिए 2017 में आवंटित की गई सीटों में कोई कमी नहीं की जाएगी.
जेईई अडवांस्ड ऑर्गनाइजिंग के चेयरमैन, शलभ के अनुसार सीटें बढ़ाने के प्रपोजल की समीक्षा विधि मंत्रालय भी समीक्षा कर चुका है. अब आईआईटी इसे लागू करने पर काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष ऐडमिशन के लिए सीटों की सटीक संख्या की पुष्टि अप्रैल तक की जाएगी. पिछले वर्ष आईआईटी में दाखिले में तीन दिन की देरी हुई थी. इसका कारण सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्टे लगाना था. सुप्रीम कोर्ट ने ज्वाइंट एंट्रेस एग्जामिनेशन (जेईई ) अडवांस्ड 2017 में सभी उम्मीदवारों को बोनस अंक देने के फैसले पर सवाल किया था.