नागपुर: आरटीई (शिक्षा का अधिकार) कानून को बनाने के पीछे का उद्देश्य था कि कमजोर तबके के बच्चों को भी बेहतर शिक्षा के मौके मिलें। 2017 के लिए पिछले महीने से आरटीई के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। जिसके बाद ड्रा भी निकाले गए और अभिभावकों को मोबाइल एसएमएस द्वारा 20 मार्च से पहले स्कूलों में एडमिशन करने के संकेत दिए गए थे। किसी कारणवश एडमिशन नहीं करानेवाले अभिभावकों को दूसरे राउंड में प्रवेश नहीं दिए जाने के संकेत भी दिए गए थे। बावजूद इसके कई लोगों ने अपने बच्चों के एडमिशन स्कूलों में कराए। पहला ड्रा निकालने के बाद शहर के लगभग 6 हजार लोगों को मोबाइल पर एसएमएस भेजे गए। उनमे से केवल 3 हजार ही एडमिशन हो पाए हैं।
आरटीई के तहत किराए के घरों में रहनेवाले लोगों के बच्चों को स्कूलों में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। स्कूल प्रशासन की और से अभिभावकों को 2 साल का रूम रेंट एग्रीमेंट और रजिस्ट्री लाने को कहा जा रहा है। ऐसे में आरटीई के तहत एडमिशन कराने की राह देख रहे अभिभावकों को एक और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।