Published On : Mon, Mar 30th, 2015

सफाई कामगार महामण्डल का मुखिया बनने को लालायित सफेलकर

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– बावनकुले समर्थन में तो देशमुख-फडणवीस विरोध में
– देशमुख के खिलाफ और ठाकरे के समर्थन में चुनाव में कार्य करना महंगा पड़ा

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नागपुर टुडे : राजनीति में सीधा पंग्गा लेना दुश्मनी से भी ज्यादा खतरनाक होता है,दुश्मन से दुशमनी का बदला लेना शुकुन देता है.वहीं राजनैतिक पंग्गा घुट-घुट कर जीने पर मजबूर कर देता है और कुछ कर भी नहीं सकते है.राजनीति में गोरिल्ला वॉर सबसे उच्च कोटी का हथियार रहा है. सांप भी मर जाता है और लाठी भी नहीं टूटती है. ऐसा ही कुछ आलम है जिले के भाजपा नेताओ के मध्य।पालकमंत्री जिसे(रणजीत) सफाई कामगार महामण्डल का मुखिया बनाना चाह रहे,उसे मुख्यमंत्री के खासमखास भाजपा विधायक पुरजोर विरोध कर रहे है.वजह साफ है कि इस विधायक के विरोध में रणजीत खुलकर काम किया था.

विगत विधानसभा चुनाव में पश्चिम नागपुर से भाजपा ने वर्त्तमान मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने अपने करीबी सुधाकर देशमुख को पुनः उम्मीदवारी दी.इनके विरुद्ध कांग्रेस ने विकास ठाकरे को उम्मीदवार बनाया था.कामठी निवासी भाजपा नगरसेवक रणजीत सफेलकर के भाजपा में नेता ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले है.सफेलकर की भाजपा की राजनीति कामठी से शुरू होती है और बावनकुले के पास ख़त्म होती है.इसलिए सफेलकर ने विधानसभा चुनाव में बावनकुले का काम ईमानदारी से किया।
नागपुर शहर में सफेलकर खुलकर अपने साथी-मित्र कांग्रेस उम्मीदवार विकास ठाकरे के लिए काम किया।भाजपा उम्मीदवार देशमुख को इसकी भनक लगी तो उन्होंने देवेन्द्र फडणवीस के माध्यम से सफेलकर को बावनकुले के मार्फ़त से समझाकर पश्चिम नागपुर हटने का निर्देश दिलवाया।लेकिन ठाकरे मोह में सफेलकर ने देशमुख का काम करने से मना कर दिया।चुनाव वक़्त तक बावनकुले भी फडणवीस का खुलकर विरोध करते पाये जाते थे.ऐसी सूरत में देशमुख-फडणवीस ने सफेलकर के पीछे माथा दुखाने की बजाय खुन्नस पाल लिया।

आज जब भाजपा सत्ता में आई तो बावनकुले आज मुख्यमंत्री फडणवीस के सबसे बड़े समर्थक बन गए ,उनकी बड़ाई में में न जाने क्या-क्या कह गए.राजनीत सिद्दांत पर चलते हुए फडणवीस भी बावनकुले को गले लगाकर चल रहे है.
विगत माह रणजीत सफेलकर अपने सलाहकारों के सलाह पर मुंबई में बावनकुले के संसर्ग में सप्ताहभर रहे.वजह यह थी कि सफेलकर राज्य सफाई कामगार महामण्डल का मुखिया बनना चाह लिए बावनकुले के मार्फ़त जुगत लगा थे.यह पद राज्यमंत्री के कद होता है.

जब इस हलचल की जानकारी पश्चिम नागपुर के विधायक सुधाकर देशमुख को लगी तो उन्होंने समय गवाय मुख्यमंत्री फडणवीस के कान में विरोध दर्शाया।फडणवीस ने भी देशमुख के विरोध का समर्थन कर बावनकुले को प्रत्यक्ष मना करने की बजाय अकोला निवासी भाजपा समर्थक का नाम सामने कर दिए है.इस घटना से छुब्ध होकर निराश मन से सफेलकर नागपुर लौट आये.

महामण्डल नियुक्ति का अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री फडणवीस ही लेने वाले है.वही सफेलकर को उनकी मनचाही महामण्डल पर नियुक्ति करवाने हेतु पालकमंत्री बावनकुले कितनी प्रतिष्ठा झोंकते है ,यह तो ही बताएगा।अगर बावनकुले ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया और नितिन गडकरी को हस्तक्षेप करने के लिए आग्रह किया तो ही सफेलकर को पिली बत्ती का शौक पूरा हो सकता है.या फिर मुख्यमंत्री-पालकमंत्री के मध्य किसी भी प्रकार राजनैतिक समझौता हुआ तो भी मुमकिन है.रंजीत विरोधी कामठी निवासियों ने सुधाकर देशमुख को हवा दे रहे है.अगर विसचुनाव में सुधाकर देशमुख का विरोध गोरिल्ला वॉर(पीठ पीछे से ) किये होते और सम्पूर्ण चुनाव साथ-साथ नज़र आते तो यह हालात पैदा ही नहीं होता।