Published On : Sun, Jan 22nd, 2017

मनपा के ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया में ‘मैन्युअल’ गड़बड़ी का आरोप

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नागपुर :
 केंद्र में, राज्य में और नागपुर महानगर पालिका में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और भाजपा की इतनी मजबूत सत्ता तंत्र के होते यदि नागपुर मनपा के ‘ऑनलाइन’ टेंडर जैसी अत्यंत पारदर्शी प्रक्रिया में भी मनमर्जी तरीके से गड़बड़ी की जा रही है तो फिर यह सवाल उठाना लाजमी है कि क्या भ्रष्टाचार मुक्त एवं पारदर्शी सरकार का सपना जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को दिखाया वह झूठा है? पिछले छह महीने से ‘मैन्युअल’ गड़बड़ी करने का यह खेल बड़े मजे से खेला जा रहा है और शिकायत करने के बावजूद न शासन न प्रशासन, किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।

लेकिन इनदिनों इस गड़बड़ी को अंजाम देने वाले अधिकारियों की हालात एक ठेकेदार ने ख़राब कर रखी है। नागपुर टुडे को मिली जानकारी के अनुसार, फ़िलहाल तो इस ठेकेदार ने सिर्फ नोटिस मनपा प्रशासन को थमाया है और साफ़ कहा है कि यदि उसकी मांगें नहीं मानी गयीं तो वह जनहित याचिका दायर कर ‘मनपा की इस मैन्युअल गड़बड़ी’ का पर्दाफाश करेगा। तय है, मामले के अदालत में जाने से स्थानीय स्तर से लेकर केंद्रीय स्तर के भाजपा नेतृत्व और सरकार की किरकिरी होगी। मनपा टेंडर की ऑनलाइन प्रक्रिया में मैन्युअल गड़बड़ी होने का मामला मनपा के ही एक ठेकेदार एल.के.सिंह ने उठाया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, इ-टेंडरिंग प्रणाली में मनपा के ठेकेदार संगठन पर प्रत्येक टेंडर में सौदेबाजी करने का आरोप लगा तो प्रशासन ने हर तरह की धांधली रोकने के लिए ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया शुरु की। लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों ने ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया में भी भ्रष्टाचार की घुन लगा दी। ठेकेदार सिंह के अनुसार भ्रष्ट अधिकारी ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के दस्तावेजों और परफॉरमेंस सिक्यूरिटी में हेराफेरी कर रहे हैं।

ऐसे होती है हेराफेरी
ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के चलते जिस भी ठेकेदार को काम मिला है, स्वाभाविक तौर पर उसके दस्तावेज पहले ही तय मानक के अनुसार ही होते हैं। नियमानुसार ठेका पाने वाले ठेकेदार को पांच कार्यालयीन दिनों के भीतर ऑनलाइन सभी दस्तावेजों का एक सेट सम्बंधित विभाग के कार्यकारी अभियंता के कार्यालय में अनिवार्यतः जमा करना होता है। अधिकारी बस इसी मौके का फायदा उठाते हैं। वे अपने चहेते ठेकेदार को वही ठेका आवंटित कर देते हैं और जिस भी ठेकेदार को ऑनलाइन प्रक्रिया से ठेका मिला है, उसके दस्तावेजों में खामियां निकालकर उसके ठेके को रद्द कर देते हैं। मजेदार बात है कि ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया में जिस ठेकेदार को ‘नो एडमिट’ का रिमार्क मिला होता है, मनपा के अधिकारी हेराफेरी कर उसे ही ठेका आवंटित कर देते हैं। नागपुर टुडे के पास इस तथ्य के प्रमाण हैं।

इसके अलावा ऐसे भी मामले उजागर हुए हैं, जहाँ न्यूनतम निविदा भरने वाले ठेकेदार को ऑनलाइन प्रक्रिया से ठेका आवंटित हुआ, लेकिन यदि ठेकेदार ने सम्बंधित अधिकारियों की मनमानी मांग के आगे सिर नहीं झुकाया तो अधिकारियों ने उक्त ठेके की न्यूनतम राशि में ही हेराफेरी कर दी और अपने चहेते ठेकेदार को वह काम दे दिया।

उदाहरणार्थ
प्रकरण १- प्रभाग १६ ब अन्तर्गत शांतिनगर व करुणानगर में ४५८५२५९ रूपए की सीमेंट सड़क का निर्माणकार्य
कुल ठेकेदार – ६
तकनीकी मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ५
आर्थिक दृष्टि से मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ५
प्रथम न्यूनतम – आर्यमा इंफ्रास्ट्रक्चर(१०.८०% कम)
लेकिन ठेका दिया गया – हितेश कंस्ट्रक्शन (१०.०९% कम)
प्रशासन को नुकसान- ३२५५६ रूपए
वजह- प्रथम न्यूनतम ठेकेदार ने समय पर डी.डी. और परफॉर्मेन्स सिक्योरिटी जमा नहीं करवाया इसलिए दूसरे न्यूनतम ठेकेदार को वर्कऑर्डर दिया गया।

प्रकरण २ – प्रभाग २ अ अन्तर्गत रमाई नगर में ९९९९९७ रूपए का महेंद्र किराना से यादव के घर तक सीमेंट-कांक्रेट सड़क का निर्माणकार्य
कुल ठेकेदार – ५
तकनीकी मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ५
आर्थिक दृष्टि से मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ३
प्रथम न्यूनतम – आर.बी.यादव (२१% कम)
लेकिन ठेका दिया गया – हितेश कंस्ट्रक्शन (०.९९ % कम)
प्रशासन को नुकसान- २००००८ रूपए
वजह- प्रथम न्यूनतम ठेकेदार यादव ने समय पर डी.डी. और परफॉर्मेन्स सिक्योरिटी जमा नहीं कराया इसलिए दूसरे न्यूनतम ठेकेदार मेसर्स हितेश कंस्ट्रक्शन को वर्कऑर्डर दिया गया।

प्रकरण ३ – प्रभाग ३ अ अन्तर्गत गरीब नवाज नगर, शिवाजी नगर में एम.एस. रोलिंग व यशोधरा नगर,पवन नगर,हामिद नगर में साइन बोर्ड लगाने हेतु ४९९९९३ रूपए का ठेका
कुल ठेकेदार – ६
तकनीकी मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ३
आर्थिक दृष्टि से मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ३
प्रथम न्यूनतम – कैलाश सूर्यवंशी (२१% कम)
लेकिन ठेका दिया गया – मेसर्स दीक्षांत गजभिये (०.९९९ % कम)
प्रशासन को नुकसान- १००००४ रूपए
वजह- प्रथम न्यूनतम ठेकेदार कैलाश सूर्यवंशी ने समय पर डी.डी. और परफॉर्मेन्स सिक्योरिटी जमा नहीं कराया इसलिए दूसरे न्यूनतम ठेकेदार मेसर्स दीक्षांत गजभिये को वर्कऑर्डर दिया गया।

प्रकरण ४ – प्रभाग २ ब अन्तर्गत सुगत नगर पानी टंकी के पीछे ४९९९९१ रूपए की सीमेंट-कांक्रेट सड़क का निर्माणकार्य
कुल ठेकेदार – ६
तकनीकी मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ३
आर्थिक दृष्टि से मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ३
प्रथम न्यूनतम – कैलाश सूर्यवंशी (१९ % कम)
लेकिन ठेका दिया गया – मेसर्स हितेश कंस्ट्रक्शन (०.९९ % कम)
प्रशासन को नुकसान- ९०००४ रूपए
वजह- प्रथम न्यूनतम ठेकेदार कैलाश सूर्यवंशी ने समय पर डी.डी. और परफॉर्मेन्स सिक्योरिटी जमा नहीं कराया इसलिए दूसरे न्यूनतम ठेकेदार मेसर्स हितेश कंस्ट्रक्शन को वर्कऑर्डर दिया गया।

प्रकरण ५ – प्रभाग ३ ब अन्तर्गत सरोवराबाद में ४९९९९९५ रूपए की सीमेंट-कांक्रेट सड़क का निर्माणकार्य
कुल ठेकेदार – ९
तकनीकी मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ८
आर्थिक दृष्टि से मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ८
प्रथम न्यूनतम – स्वीटी कंस्ट्रक्शन (१७ % कम)
लेकिन ठेका दिया गया – मेसर्स हितेश कंस्ट्रक्शन (१२.१२ % कम)
प्रशासन को नुकसान- ३००००० रूपए
वजह- प्रथम न्यूनतम ठेकेदार स्वीटी कंस्ट्रक्शन को वर्कऑर्डर न देते हुए पुनः टेंडर आमंत्रण कर मेसर्स हितेश कंस्ट्रक्शन को वर्कऑर्डर दिया गया।

प्रकरण ६ – प्रभाग ३ ब अन्तर्गत बम्लेश्वरी नगर व धम्मानंद नगर में ४९९९९९२ रूपए की सीमेंट-कांक्रेट सड़क का निर्माणकार्य
कुल ठेकेदार – ८
तकनीकी मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ८
आर्थिक दृष्टि से मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ८
प्रथम न्यूनतम – स्वीटी कंस्ट्रक्शन (१८.५० % कम)
लेकिन ठेका दिया गया – मेसर्स बिंद्रा कंस्ट्रक्शन (१२.२५ % कम)
प्रशासन को नुकसान- ३१२४९९ रूपए
वजह- प्रथम न्यूनतम ठेकेदार स्वीटी कंस्ट्रक्शन को वर्कऑर्डर न देते हुए पुनः टेंडर आमंत्रण कर मेसर्स बिंद्रा कंस्ट्रक्शन को वर्कऑर्डर दिया गया।

प्रकरण ७ – प्रभाग ११ अन्तर्गत इंदौरा बुद्ध विहार के सामने में ४९९९८९९ रूपए की सीमेंट-कांक्रेट सड़क का निर्माणकार्य
कुल ठेकेदार – ७
तकनीकी मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ५
आर्थिक दृष्टि से मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ५
प्रथम न्यूनतम – मेसर्स प्रेमचंद्रचुमल व मेसर्स बिंद्रा कंस्ट्रक्शन
लेकिन ठेका दिया गया – मेसर्स हितेश कंस्ट्रक्शन (१४.३ % कम)
वजह- प्रथम न्यूनतम मेसर्स प्रेमचंद्रचुमल व मेसर्स बिंद्रा कंस्ट्रक्शन ने टेंडर के साथ एम-३५ प्रमाणपत्र नहीं जोड़ने के कारण इनकी निविदा रद्द कर मेसर्स हितेश कंस्ट्रक्शन को ठेका दिया गया।

प्रकरण ८ – प्रभाग ७ अन्तर्गत कामगार कॉलोनी,गजानन कॉलोनी,नेल्को सोसाइटी में ५१४७०९३ रूपए की निधि से विविध जगहों पर सीवर लाइन बिछाने का ठेका
कुल ठेकेदार – ७
तकनीकी मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ७
आर्थिक दृष्टि से मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ७
प्रथम न्यूनतम – दीप कंस्ट्रक्शन (९.७७ % कम)
लेकिन ठेका दिया गया – मेसर्स सी. विजय नायडू
वजह- प्रथम न्यूनतम ठेकेदार दीप कंस्ट्रक्शन को वर्कऑर्डर न देते हुए दूसरे न्यूनतम ठेकेदार सी. विजय नायडू को वर्कऑर्डर दिया गया।

प्रकरण ९ – प्रभाग १६ ब अन्तर्गत साईंनगर में ४९९९०९ रूपए की सीमेंट-कांक्रेट सड़क का निर्माणकार्य
कुल ठेकेदार – ६
तकनीकी मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ३
आर्थिक दृष्टि से मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ३
प्रथम न्यूनतम – युवराज कंस्ट्रक्शन (३ % कम)
लेकिन ठेका दिया गया – सुधाकर कुंभलकर (२.४९ % कम)
प्रशासन को नुकसान- २५५० रूपए
वजह- प्रथम न्यूनतम ठेकेदार युवराज कंस्ट्रक्शन समय पर डी.डी. और परफॉर्मेन्स सिक्योरिटी नहीं देने के कारण मेसर्स सुधाकर कुंभलकर को वर्कऑर्डर दिया गया।

प्रकरण १० – प्रभाग १६ ब अन्तर्गत शांति नगर में ४७९९२३१ रूपए की सीमेंट-कांक्रेट सड़क का निर्माणकार्य
कुल ठेकेदार – ६
तकनीकी मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ६
आर्थिक दृष्टि से मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ५
प्रथम न्यूनतम – उल्लास इंटरप्राइजेज(१३.१० % कम)
लेकिन ठेका दिया गया – मेसर्स हितेश कंस्ट्रक्शन (१.२०% कम)
प्रशासन को नुकसान- ५७११०८ रूपए
वजह- प्रथम न्यूनतम ठेकेदार उल्लास कंस्ट्रक्शन की फाइनेंसियल बीड में खोट निकालकर बाहर कर मेसर्स हितेश कंस्ट्रक्शन को वर्कऑर्डर दिया गया।

प्रकरण ११ – प्रभाग ५ अ अन्तर्गत मानव नगर में १४४७५६९ रूपए की सीमेंट-कांक्रेट सड़क का निर्माण का ठेका
कुल ठेकेदार -४
तकनीकी मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ४
आर्थिक दृष्टि से मान्यता प्राप्त ठेकेदार – ३
प्रथम न्यूनतम -मेसर्स हितेश कंस्ट्रक्शन (१५.९ % कम)
लेकिन ठेका दिया गया – एस.के.गुरुबक्षाणी (०.९९९ % कम)
वजह- प्रथम न्यूनतम ठेकेदार हितेश कंस्ट्रक्शन को फाइनेंसियल बीड के लिए तैयार सूची में अंकित नहीं किया गया था.ऐसे में दूसरे न्यूनतम ठेकेदार गुरुबक्षाणी को वर्कऑर्डर देने के बजाय गैरकानूनी ढंग से मेसर्स हितेश कंस्ट्रक्शन को वर्कऑर्डर दिया गया।

ऊपर उल्लेखित तेरह के तेरह उदहारण नागपुर महानगर पालिका के जोन ७ और ९ से सम्बंधित हैं। आरोपकर्ता एल.के.सिंह के अनुसार अधिकारियों की शह पर नागपुर मनपा में पचास से ज्यादा धांधलियां हो चुकी हैं। ठेकेदार सिंह ने इन धांधलियों की शिकायत सितंबर २०१६ में महापौर से की फिर कुछ कार्रवाई नहीं होने पर मनपायुक्त को भ्रष्टाचार के इस खेल से परिचित कराया। तब मनपायुक्त ने कार्यकारी अभियंता संजय गायकवाड़ को भ्रष्टाचार के इन मामलों के जाँच के आदेश दिए, लेकिन मनपा के चुनाव सिर पर हैं और अब तक जाँच पूरी नहीं हो सकी।

मनपा के पल्ला झाड़ू रवैये से आहत ठेकेदार एल.के. सिंह ने जनवरी २०१७ के दूसरे सप्ताह में उच्च न्यायलय के वरिष्ठ वकील भानुदास कुलकर्णी के मार्फ़त मनपा प्रशासन को नोटिस भेजकर अपने द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचारों की शिकायत के निराकरण जल्द नहीं करने पर इस पूरे प्रकरण को जनहित याचिका के तौर पर अदालत के समक्ष उठाया जाएगा।

जनहित याचिका दायर हुई तो मनपा प्रशासन की हठधर्मिता की वजह से सत्ताधीश पार्टी भाजपा और उनके नेता नरेन्द्र मोदी के ‘भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन’ के दावे की पोल खुल जाएगी।

ठेकेदार एल.के.सिंह के अनुसार पूरे नागपुर शहर में जो सीमेंट सड़कें बनायी जा रही हैं उनका निर्माण आरएमसी पद्धति से करने की बजाय ‘मैन्युअली’ किया जा रहा है। विभाग के सभी अधिकारियों को इस धांधली की जानकारी है, लेकिन मजाल है कि किसी भी अधिकारी ने इस धांधली पर कोई कार्रवाई की हो।