नागपुर: आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है और पार्टी इसके लिए अपने संगठन के विस्तार में लगी है। शनिवार 27 अगस्त 2016 को पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सुनील तटकरे ने विदर्भ के सभी 11 जिलों में पार्टी संगठन की स्थिति का जायजा लिया। अपने इस दौरे के दौरान तटकरे मीडिया से भी मुखातिब हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि पार्टी ने अगले वर्ष 11 महानगरपालिका और 27 जिला परिषद के चुनाव अपने बलबूते पर लड़ने का फैसला लिया है। आगामी चुनावो को देखते हुए पार्टी को मजबूत बनाने का काम इन दिनों शुरू है।
इन चुनावो में रांका मौजूद सरकार की नाकामियाबी और कार्यप्रणाली को मुद्दा बनाकर जनता के बीच जाएगी। राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए तटकरे ने कहा कि यह सरकार किसान विरोधी सरकार है। कई ऐसे निर्णय लिए गए जो किसान विरोधी है। मुख्यमंत्री और उनकी सरकार सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती है। जबकि जमीन पर क्या हो रहा है इस पर कोई ध्यान न तो सरकार और न ही मुख्यमंत्री दे रहे है। जलयुक्त शिवार योजना का ढ़ोल पीटा जा रहा है। जबकि पुरानी योजना को ही नया नाम दिया गया है। योजना का फायदा किसानों को तब होगा जब पानी के अलावा किसानों को बाकी सुविधाएं मुहैय्या कराई जाये। मुख्यमंत्री योजना लागू होने के बाद किसान आत्महत्या कम होने का दावा कर रहे है। पर वास्तव में ऐसा नहीं है। खरीफ़ हंगामे के लिए नियोजन की बैठक राज्य में एक ही स्थान पर बिठाकर की गई, यह अनोखा विक्रम है। सरकार आतंरिक सुरक्षा के नाम पर बेतुका कानून लाने की तैयारी कर रही है। सरकार के इस फैसले ने खुद ही बता दिया की राज्य की सुरक्षा व्यवस्था सुचारू नहीं है।
जैसे-जैसे समय बीत रहा है। जनता में सरकार के प्रति रोष बढ़ रहा है। केंद्र में नरेन्द्र मोदी के नाम की लहर का असर राज्य में भी दिखा। पर विधानसभा चुनाव के बाद परिस्थिति बदली है। स्थानीय निकाय चुनावो में राष्ट्रवादी पार्टी की वापसी हुई है। यह सरकार सत्ता में बैठ कर अपने फायदे के हिसाब से फैसले ले रही है। स्थानीय निकाय चुनावो में पुराने पैटर्न को बदलकर नया पैटर्न लाया। उसमे भाजपा को मुँह की खानी पड़ी। अब फिर आगामी महानगरपालिका चुनाव में प्रभाग पद्धति लायी गई है। पर इसका फायदा भाजपा को नहीं होगा।
अलग राज्य पर जनता के मत के साथ पार्टी
विदर्भ में पार्टी की स्तिथी पर बोलते हुए सुनील तटकरे ने माना की यहा पार्टी कमजोर है। अलग विदर्भ राज्य पर पार्टी की भूमिका रखते हुए उन्होंने कहा पार्टी विदर्भ की जनता के साथ है। जनता जो फैसला लेगी वह उसे मान्य करेगी। उन्होंने गोवा का उदहारण देते हुए बताया कि गोवा को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए बाकायदा चुनाव करा कर जनता की राय ली गई थी। ऐसा प्रयोग सरकार विदर्भ में भी कर सकती है। विदर्भ की जनता की जो भूमिका होगी वही उनकी पार्टी की भी भूमिका होगी। पर विदर्भ के ही कुछ नेता विदर्भ को लेकर सदन में हंगामा करते है। जबकि मुख्यमंत्री खुद कह चुके है कि वो महाराष्ट्र राज्य के मुख्यमंत्री है।
किसी ने नहीं किया विदर्भ के साथ भेदभाव, खुली बहस की दी चुनौती
विदर्भ के पिछड़ेपन के लिए पश्चिम महाराष्ट्र के नेताओं द्वारा भेदभाव किये जाने और जानबूझकर विदर्भ को पिछड़ा बनाने की बात से भी उन्होंने इनकार किया। तटकरे ने कहा वह इस मसले पर सार्वजनिक बहस के लिए भी तैयार है। विदर्भ के साथ कभी भेदभाव नहीं किया गया। राज्यपाल के निर्देशानुसार सिंचन फंड का वितरण किया गया, पर कई बार फंड खर्च ही नहीं हुआ। राज्य भर में सिंचन क्षेत्र बढ़ा है। उनके कार्यकाल में विदर्भ के सिंचन प्रकल्प की दुर्दशा के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराने वालो पर प्रहार करते हुए कहा कि बीते दो साल से इस मामले की जांच चल रही है, पर क्या हो रहा किसी को पता नहीं। उन्होंने सरकार से उनके खिलाफ शुरू जांच को सार्वजनिक किये जाने की मांग सरकार से की।