उत्तर प्रदेश: योगी के मुख्यमंत्री बनते ही अवैध बूचड़खानों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है। योगी इफेक्ट और प्रशासन की सख्ती के बाद सिलसिलेवार तरीके से अवैध बूचड़खानों पर सील लगनी शुरू हो गई है और इसका असर मीट की कमी के रूप में देखने को मिल रहा है।
लखनऊ की करीब 110 साल पुरानी विश्वप्रसिद्ध टुंडे कबाबी की दुकान मीट की सप्लाई के चलते पहली बार बंद रही। साल 1905 में लखनऊ के अकबरी गेट इलाके में शुरू हुई इस दुकान में अब भी कबाब और पराठे मिलते हैं। एक कर्मचारी ने बताया कि बीफ के कबाब की जगह अब चिकन के कबाब परोसे जा रहे हैं। कर्मचारी ने कहा कि दुकान में इसके लिए पोस्टर भी लगा दिए गए हैं। कर्मचारी का कहना है कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो धंधा बंद भी करना पड़ सकता है।
बूचड़खानों पर कार्रवाई और बीफ बैन का असर न सिर्फ टुंडे कबाबी पर पड़ा है बल्कि इसका इफेक्ट ऐसी अन्य चीजों पर भी देखने को मिल रहा है जो बीफ से तैयार की जाती है। लखनऊ की कुछ मशहूर दुकानों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। बीफ की सप्लाई पूरी तरह से ठप होने के कारण यहां बुधवार को कुछ और भी दुकानें बंद रही।
गौरतलब है कि अपने चुनावी वादों में बीजेपी ने ऐसे बूचड़खानों को बंद करने का वादा किया था जो अवैध रूप से संचालित किये जा रहे हैं। शहर में अवैध बूचड़खानों पर प्रशासनिक सील बंदी के अभियान में पिछले दो दिन में तेजी देखने को मिली है। नगर निगम, पुलिस और प्रशासनिक अमला घूम-घूमकर अवैध दुकानें बंद करवा रहा है।