Published On : Tue, Sep 26th, 2017

डिम्ट्स जिम्मेदारी निभाने के बजाय भिड़ा रहा पदाधिकारियों को !

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NMC Nagpur
नागपुर: शहर बस सेवा नागपुर महानगरपालिका का एक महत्वपूर्ण उपक्रम है. अधिकांश सेवाएं वैसे तो घाटे में रहती है, जिसका नुकसान भरपाई अमूमन राज्य या केंद्र सरकार करती है. बस सेवा के संचलन करने वाली डिम्ट्स समूह दी गई जिम्मेदारी निर्वाह करने की बजाय मनपा पदाधिकारियों को भिड़ाने में ज्यादा रूची दिखा रहा. इससे परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली डगमगा सी गई है.

मनपा प्रशासन के मार्फ़त मनपा परिवहन विभाग ने डिम्ट्स को शहर बस का सफल संचलन व निगरानी करने का जिम्मा दिया गया है. डिम्ट्स के स्थानीय प्रतिनिधि मनपा परिवहन विभाग में न किसी की सुनते और न किसी को मानते हैं, फिर चाहे परिवहन सभापति ही क्यों न हो. परिवहन विभाग ने अब तक डिम्ट्स को दो दर्जन से अधिक पत्र दिए लेकिन आज तक उन्होंने उन पत्रों का संतोषजनक जवाब देने की जुर्रत नहीं की. पिछले दिनों ५० घंटे कर्मियों की वजह से हड़ताल हुई, आम जनता रूपी यात्रियों को नाना प्रकार के दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन डिम्ट्स के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा.

इतना ही नहीं डिम्ट्स की कार्यप्रणाली इतनी बद से बदत्तर हैं कि उन्होंने आज तक न तय बैंक गारंटी नहीं भरा. और तो और कार्यरत कर्मियों में से जिनके साथ समझौता हो चुका है, उन्हें कभी नहीं छेड़ते और निगरानी के साथ कार्रवाई के नाम पर समझौता न करने वाले या नए नवेले कर्मियों पर जरा सी भूल पर कार्रवाई कर परिवहन विभाग में अपना ‘सीआर ‘ अपडेट कर रहे हैं. इस हरकतों के कारण कर्मियों में असंतोष होने के साथ ही साथ परिवहन विभाग सफल संचलन करने में रोजाना नई-नई मुसीबतों का सामना कर रहा है.

डिम्ट्स की हरकतों के पीछे का राज तब खुला जब मनपा मुख्यालय के सूत्रों ने जानकारी दी कि डिम्ट्स न परिवहन विभाग और न ही मनपा प्रशासन के निर्देशों का पालन करता है, क्यूंकि मनपा के एक बड़े पदाधिकारी ने डिम्ट्स के प्रतिनिधि को वरदहस्त दे रखा है. इनके ही हस्तक्षेप के कारण बिना बैंक गैरेंटी भरे मनपा में बर्खास्त होने के बजाय टिका हुआ है. इस वजह से ही डिम्ट्स परिवहन विभाग के पदाधिकारी व कर्मियों की भी नहीं सुनता है. संभवतः इसी वजह से विगत दिनों आंदोलनकारी परिवहन सभापति का आश्वासन को मानने की बजाय अपने चहेते पदाधिकारी को समझौते की बैठक में लाने का जिद्द कर रहे थे,जब वे आए तो आंदोलनकारियों ने उनसे चर्चा के बजाय आंदोलन ख़त्म कर परिवहन शुरू करने के लिए गंतव्य स्थान की ओर निकल पड़े.

उल्लेखनीय यह है कि परिवहन सभापति बनाने -बनने को आतुर गुट के विपरित पार्टी नेताओं ने सभापति का चयन किया. इस निर्णय से क्षुब्ध सत्ताधारी नगरसेवक अप्रत्यक्ष रूप से आए दिन परिवहन विभाग पर अड़चन लाकर अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने में लीन हैं.