Published On : Tue, Oct 25th, 2016

नागपुर में सकल मराठा समाज ने क्रांति मूक मोर्चे के माध्यम से सरकार तक पहुँचाई अपनी माँग

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Maratha morcha nagpur

नागपुर: मंगलवार को नागपुर में सकल मराठा समाज का क्रांति मूक मोर्चा निकाला गया। उपराजधानी मुख्यमंत्री का शहर है इसलिए यहाँ निकाले जाने वाले मोर्चे पर सबकी नज़र भी थी। मोर्चे के आयोजकों का दावा था कि मोर्चे में एक लाख से ज्यादा लोग शामिल होंगे पर लाखों की संख्या का दावा हजार में सिमट गया। मोर्चे में शामिल होने वाले लोगो की संख्या को लेकर अलग-अलग दावे किये जा रहे है। पर जितनी भीड़ कस्तूरचंद पार्क में पहुँची वह दावे से बिल्कुल उलट थी। इस मोर्चे में कुनबी समाज ने भाग नहीं लिया दरअसल मोर्चे में भाग लेने को लेकर सकल मराठा समाज में आतंरिक मतभेद आज सामने आ ही गया। हालांकि मोर्चे में शामिल माँगो का समर्थन करने हुए अन्य समाज के लोगों ने भी आंदोलन में भाग लिया। शहर में आंदोलन में प्रमुख तौर पर भुमिका निभा रहे राजे मुधोजी भोंसले के अनुसार उनका आंदोलन कामियाब रहा। आंदोलन में संख्या ज्यादा मायने नहीं रखती जितने लोगो ने भी भाग लिया उन्होंने अपनी बात सरकार तक पहुँचाई। राजा के अनुसार राज्य भर में सकल मराठा समाज ने समाज के मूक आंदोलन में भाग लिया है। पर नागपुर और विदर्भ के कुछ भाग में में इस आंदोलन को राजनीतिक हस्तक्षेप हुआ। जानबूझकर मराठा-कुनबी के बीच भेद पैदा किया गया। बावजूद इसके हमारा आंदोलन सफल रहा सरकार से हमने जो माँग की है उस पर अमल करना ही होगा। अगर सरकार ने माँगो पर ध्यान नहीं दिया तो चुनाव में इसका खामियाजा उसे भुगतान पड़ेगा।

मराठा समाज कई प्रमुख मुद्दों के साथ राज्य भर में प्रदर्शन कर रहा है जिसमे कोपार्डी घटना के आरोपियों को सख्त सजा देना, ऐट्रोसिटी कानून में बदलाव और मराठा समाज को आरक्षण देने के साथ ही किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को जल्द लागू करना शामिल है। आज के अंदोलन के माध्यम से भी यही माँगे सरकार के समक्ष रखी गई। आंदोलनकारियों के अनुसार हम आरक्षण अपनी स्थिति को सुधारने के लिए चाहते है। हमारी माँग वर्तमान आरक्षण व्यवस्था की यथास्थिति को बनाये रखते हुए आरक्षण की माँग है।

शहर के रेशमबाग मैदान से निकला यह मोर्चा तिलकपुतला पहुँचा जहाँ शिवजी महाराज के पुतले का माल्यार्पण किया गया यहाँ से बढ़ते हुई मोर्चा संविधान चौक पहुँचा जहाँ डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के पुतले पर माल्यार्पण किया गया जिसके बाद मोर्चा अपने गंतव्य कस्तूरचंद पार्क मैदान पहुँचा। यहाँ से मोर्चे का नेतृत्व कर रही लड़कियां जिलाधिकारी कार्यालय गई और सरकार तक अपनी बात पहुँचने के लिए जिलाधिकारी सचिन कुर्वे को अपनी माँगो का निवेदन सौपा।

जिलाधिकारी को निवेदन सौपने के बाद कस्तूरचंद पार्क मैदान में इस मोर्चे का समापन हुआ। कुलमिलाकर सकल मराठा समाज ने अंदोलन को सफल बताया है। दावा किया जा रहा है कि इसमें करीब 50 हजार समाज बांधवों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। पर खास बात है इस मोर्चे में राज्य के अन्य भागों की तरह समाज के जनप्रतिनिधियो ने भाग नहीं लिया पर कुछ स्थानीय नेताओ ने जरूर सक्रिय भूमिका निभाई। चुकी यह आंदोलन मुख्यमंत्री के शहर में था इसलिए यहाँ निकलने वाले मोर्चे में शामिल संख्या पर सबकी नजर लगी हुई थी। पर आंदोलन में पड़ी फूट की वजह से ऐसा कहाँ जा सकता है की राज्य के अन्य भागों के मुकाबले नागपुर में भीड़ काफी कम रही। मोर्चे का तरीका राज्य के अन्य भाग के तरीके जैसा ही रहा।

इस आंदोलन के बाद शीतकालीन अधिवेशन के दौरान 14 दिसंबर को सकल मराठा समाज का एक और क्रांति मूक मोर्चा निकलने वाला है। अब उस पर सबकी नजर होगी। खास बात है इस आंदोलन को कुनबी-मराठा क्रांति मूक मोर्चा नाम दिया गया है। और इसमें शामिल होने की हामी कुनबी समाज ने भी दी है। नागपुर और विदर्भ में कुनबी समाज का प्रभुत्त्व है जिस दौरान सरकार नागपुर में होगी उसी दौरान विधिमंडल से चंद कदमो की दूरी पर मराठा-कुनबी फिर आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाएंगे।