Published On : Wed, Sep 13th, 2017

पुलिस-बीजेपी नगरसेवक विवाद में जीती राजनीति ?

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नागपुर : बीजेपी नगरसेवक दयाशंकर तिवारी के विवाद के बीच गुरुवार को गणेशपेठ थाने के पुलिस निरीक्षक एम चव्हाण का तबादला हो गया है। चव्हाण को थाने से एसबी ( विशेष शाखा ) भेजा गया है। पुलिस निरीक्षक के अचानक हुए इस तबादलें पर कई तरह की बातें शुरू हो गयी है। कयास लगाए जा रहे है कि राजनीतिक दबाव के चलते यह तबादला हुआ है? ट्रैफिक पुलिसकर्मी द्वारा एलएलबी के छात्र वैभव दीक्षित के साथ की गयी मारपीट के बाद तिवारी ने गणेशपेठ थाने में जाकर पुलिसिया कार्यवाही के ख़िलाफ़ अपनी आपत्ति जताई थी। छात्र के साथ मारपीट करने वाले ट्रैफिक सिपाही किशोर जाधव को लेकर तिवारी का थाने के अन्य कर्मचारियों के साथ विवाद हुआ था। इस विवाद के दौरान तिवारी ने एक पुलिसकर्मी को अपशब्द कहे थे। इस पूरी घटना को थाने के ही अन्य कर्मचारियों ने मोबाईल कैमरे में कैद कर लिया, जो बाद में वायरल हो गया था।

इस विवाद के बाद तिवारी और उनके समर्थकों पर आईपीसी की धारा 143,145,186,353 और 294 के तहत मामला दर्ज किया था। गिरफ़्तारी से बचने के लिए बुधवार को ही नगरसेवक दयाशंकर तिवारी ने जिला सत्र न्यायालय से अंतरिम ज़मानत ले ली थी। नगरसेवक से विवाद के बाद पुलिस निरीक्षक के इस तबादलें से,क्या यह राजनीतिक दबाव के चलते हुए ऐसा कहाँ जा रहा है ?

अपने कम समय में बतौर गणेशपेठ थाने के पुलिस निरीक्षक की जिम्मेदारी संभालते हुए चव्हाण ने जनता के बीच अपनी ख़ास छवि बनाई थी। पुलिस आयुक्त के निर्देशानुसार पब्लिक-पुलिस कम्युनिकेशन पर उन्होंने काम किया। ऐसे में उनके तबादलें पर ख़ुद बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने खेद जताया है। ऐसे कार्यकर्ताओं की माने तो विवाद के दिन अगर तिवारी और चव्हाण के बीच संवाद स्थापित हो जाता तो मामला यहाँ तक पहुँचता ही नहीं। कुछ पुलिसकर्मियों और तिवारी के बीच विवाद की वजह से उपयुक्त पुलिस निरीक्षक का तबादला हो गया। बहरहाल पुलिस विभाग की तरफ़ से तबादलें को रूटीन बताया गया है।