Published On : Tue, Nov 6th, 2018

कचरों से लबरेज शहर,स्मार्ट सिटी सूची में

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मनपा स्वास्थ्य विभाग और कनक की निष्क्रियता से शहर अस्वस्थ्य

नागपुर: नागपुर को स्मार्ट सिटी, स्वच्छ शहर का तमगा मिलने के बाद भी आज शहर से कचरे की समस्या खत्म नहीं हुई है. मनपा स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य समिति सभापति मनोज चापले की निष्क्रियता के कारण इस समस्या से नागरिकों को अब तक छुटकारा नहीं मिला है. ऐन दीपावली पर शहर के कई इलाकों में गंदगी और कचरे का राज है. इससे शहर के जागरुक नागरिक चिंतित हैं कि कब इस नारकीय जिंदगी से छुटकारा मिलेगा.

मनपा प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सालभर स्वच्छता को लेकर कागजों पर योजना बनाते है. उधर सम्बंधित समिति सभापति की नीति के कारण योजना को मूर्त रूप देने में काफी अड़चनें आ रही हैं. ऐसे में निष्क्रिय सभापति को सत्तापक्ष ने दोबारा अवसर देकर शहर की स्वच्छता के साथ खिलवाड़ किया है.

कागजों पर विभाग ने खुद की पीठ थपथपाने के लिए स्वच्छता एप्प तैयार किया है. १८ घंटे कचरा संकलन का दावा भले ही किया जा रहा लेकिन प्रत्यक्ष में विभाग और जोनल इकाईयां इससे निबटने में पूरी तरह निष्क्रिय हैं. जमादार से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक अस्वच्छता को हवा दे रहे हैं. शहर के नागरिक मासिक उगाही करने में लीन हैं. कई स्वच्छता कर्मी सिर्फ हस्ताक्षर कर अपने गंतव्य स्थल की ओर रोजाना रवाना हो जाते हैं. इससे शहर उनका क्षेत्र गंदगी से ओत-प्रोत और मनपा को आर्थिक नुकसान हो रहा है.

एप्प के मार्फ़त शिकायत करने वाले की समस्या का निराकरण करने के बजाय उसी से सम्बंधित परिसर की स्वच्छ तस्वीर को प्रस्तुत किया जा रहा है.

सत्तापक्ष के शहर में ११२ नगरसेवक, ८ विधायक और दिग्गज मंत्री हैं. अमूमन सभी के रहवासी क्षेत्र अस्वच्छता से पटे पड़े हैं.
शहर में कचरा उठाने का जिम्मा कनक रिसोर्स मैनेजमेंट के पास है, लेकिन वे असक्षम साबित हो रहे हैं. इनका पूरा ध्यान भारी-भरक्कम गिट्टी,मलबा आदि उठाने में केंद्रित है, क्यूंकि इनका भुगतान वजन पर आधारित है. इनकी ऊपरी कमाई से पदाधिकारियों को खुश कर कार्यकाल निपटा रहे हैं. कनक में अमूमन नगरसेवक,पदाधिकारियों की सिफारिश पर कर्मी रखे हुए हैं, जिनसे कड़ाई से काम लेने में कनक प्रबंधन कमजोर साबित हो रही. ऐसा ही आलम रहा तो स्मार्ट सिटी बनाने में हर क्षेत्र से पसीनें बहाने पड़ेंगे.

मनपा गार्डन में महिलाओं के लिए व्यवस्था का आभाव
मनपा के शहर में १०० गार्डन में से आधे में महिलाओं के लिए स्वच्छतागृह नहीं होने से इन गार्डन में आने वाली महिलाओं को दिक्कत का सामना करना पड़ता है. ऐसे में महिलाए इन गार्डनों में जाने से परहेज कर रही हैं. बीमार महिलाओं को सुबह- शाम घूमने के लिए बगीचे में जाना पड़ता है. ऐसे में शौचालय का होना लाजिमी है. लेकिन जहां नहीं है, वैसे बगीचे में महिलाएं जाने से कतरा रही हैं. गाँधी सागर स्थित पागे उद्यान में भा यहां तक शौचालय नहीं है. लक्ष्मी नगर ज़ोन अंतर्गत १० बगीचे में शौचालय नहीं है. सालाना करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी मनपा के बगीचों की हालात बाद से बदत्तर होते जा रही है.