Published On : Sat, Dec 3rd, 2016

सरकार करे गोसीखुर्द परियोजना पीड़ितों का उचित पुनर्वास

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नागपुर: गोसीखुर्द बांध परियोजना शुरू हुए 33 साल बीतने के बाद भी अब तक परियोजना पीड़ितों का सही ढंग से विकास नहीं हो पाया है। पुनर्वासित गांवों में कई समस्याएं हैं जिन्हें दूर करना सरकार की जिम्मेदारी है। अधूरी व्यवस्था के कारण परियोजना पीड़ितों का सही पुनर्वास अब तक नहीं हो पाया है। इसके आभाव में पुनर्वासित गांवों की स्थिति दयनीय होती जा रही हैं। 5 दिसंबर से शीतसत्र के दौरान इन परियोजना पीड़ितों का सही पुनर्वास करने की मांग गोसीखुर्द प्रकल्पग्रस्त संघर्ष समिति की ओर से की गई है।

समिति संयोजक विलास भोंगाडे ने कहा कि परियोजना साकारने के लिए प्रकल्पग्रस्तों ने सरकार को बहुत साथ दिया। पीड़ितों ने अपने गांव त्याग पुनर्वासित गांवों में आ गए। लेकिन इन पुनर्वासित गांवों में मूलभूत सुविधाओं का नितांत आभाव है। यहां के रास्ते दुरुस्तन हीं, पीने के लिए पानी नहीं, बिजली उपलब्ध नहीं। ना केवल ये बल्कि कई अन्य सुविधाएं मसलन समाज मंदिर, शाला, ग्रामपंचालयत, इमारत मरम्मत आदि के कार्य बिलकुल नहीं किए जाते। अब भी भंडारा जिले के पांच व नागपुर जिले के 10 गांवों का पुनर्वास नहीं हो पाया है। जमीन अब तक अधिग्रहित नहीं हो पाई है। नए 68 पुनर्वासित गांवों में उपजीविकाओं के साधन तक उपलब्ध नहीं। डूब क्षेत्र में खेती और जमीन आ जाने से उसके दाम उस वक्त बहुत गिर गए थे इसलिए क्षतिपूर्ति दाम भी परियोजना पीड़ितों को कम मिले। इसके कारण पीड़ित जमीन और खेती का सौदा नहीं कर पा रहा है। मुआवजे का मिला पैसा केवल जिंदा रहने के लिए खान पान में ही जा रहा है। इसलिए पीड़ितों को जीवन जीने का अधिकार मिलना चाहिए। यह 18, 444 परिवारों के जीने मरने का प्रश्न है।

इसी तरह पुनर्वसनवाले घरों का सही विकास ना होने से क्षतिपूर्ति के रूप में मिले पैसे घरों की मरम्मत में पीड़ितों को खर्च करने पड़ रहे हैं। यही नहीं इन पुनर्वासित गांवों में अतिक्रमण की समस्याएं भी घर करने लगी है इन्हें हल करने के लिए सरकार की ओर से उपाय होते नहीं दिखाई दे रहे हैं। गोसीखुर्द परियोजना में मच्छलियों का शिकार करने के लिए वहां के मछुआरों को मछली पकड़ने के अधिकार का सवाल अब तक कायम है। सरकार द्वारा इन सारी समस्याओं को जल्द हल करने की उम्मीद समिति से जुड़े समीक्षा गणवीर, धर्मराज भूरे, गुलाब मेश्राम, दादा आगरे, सोमेश्वर भुरे, भास्कर भोंगाडे, सीताराम रेहपाडे, माणिकराव गेडाम, नीलकंठ देशमुख, लक्ष्मीकांत तागडे ने जताई है।