Published On : Sat, Dec 9th, 2017

६ करोड़ मासिक नुकसान पर दौड़ रही ‘आपली बस’

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Aapli Bus
नागपुर: मनपा द्वारा संचालित ‘आपली बस’ सेवा के तहत ३५६ बसें सेवारत हैं,जिन पर लगभग साढ़े १२ करोड़ का मासिक खर्च हो रहा है. इससे आय आधी हो रही है. लगभग ६ करोड़ का घाटा दर माह होने की जानकारी शनिवार को नागपुर पहुंचे डिम्ट्स के प्रकल्प प्रबंधक अमित हितकारी ने दी.

हितकारी ने आगे बताया कि पिछले दिसंबर से उन्होंने मनपा की जर्जर अवस्था बस सेवा को तत्काल एक ‘चैलेंज’ के रूप में स्वीकारा. लगभग एक वर्ष में ३५६ बसें नागपुर शहर में सेवारत हैं. प्रकल्प के हिसाब से ४८७ बसों का संचलन का ‘टार्गेट’ है, वैसे परिवहन सेवा के मद्देनज़र शहर की जनसंख्या के अनुसार प्रत्येक एक लाख नागरिकों पर ४० बसें होनी चाहिए.

नुकसान भरपाई के लिए सरकारी अनुदान की जरूरत
परिवहन सेवा जहां भी जारी है, कहीं भी मुनाफे में नहीं है. इसके लिए राज्य सरकारें अनुदान देकर शहर के नागरिकों को सेवाएं प्रदान कर रही हैं. नागपुर शहर में वर्तमान आर्थिक हालातों के हिसाब से बसें नहीं बढ़ाई गईं तो सालाना लगभग १०० करोड़ के अनुदान की जरूरत महसूस की जा रही है. यह अनुदान रोजाना लगभग डेढ़ लाख आम यात्रियों के हिसाब से कुछ भी नहीं है. जबकि जहां-जहां मेट्रो रेल शुरू है, वहां के मासिक नुकसान की तुलना में बस सेवा का नुकसान कम है.

अगले ३ माह बाद सिर्फ जरूरी मार्गों पर दौड़ेगी बसें
अनगिनत मांगों में से उपलब्ध बसों को दौड़ाया जा रहा है. इस चक्कर में लाभ के मार्गों पर सेवाएं देने में अड़चनें आ रही हैं. अगले ३ माह में मार्गों की समीक्षा के बाद जरूरी मार्गों पर बसें दौड़ाई जाएंगी, जिससे चौतरफा फायदा मिलने का उम्मीद है. अब तक पुराने १८३ ‘रूट परमिट’ पर हज़ार अधिक फेरियां हो रही हैं.

पुरानी बसों की जर्जर हालात
बस ऑपरेटर को मिली पुरानी ७९-७९-७९ बसों में से अधिकांश बसों की आज की हालत काफी दयनीय हैं.काफी निर्देशों के बाद भी उनमें ‘जीपीएस’ सिस्टम नहीं लगाए गए. बसों के लिए दिए गए निर्देशों का पालन नहीं हो रहा. इन मामलों में कार्रवाई के सख्त नियम की पूरी जानकारी होने के बाद भी कोई सुधार नहीं. इन गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने के लिए डिम्ट्स की तैनाती से हमेशा ऑपरेटर वर्गों में नाराजगी देखी जा सकती है.

समन्वय के आभाव पर टालमटोल जवाब
डिम्ट्स से पूछा गया कि परिवहन सेवा में सुधार, दिक्कतों आदि के लिए क्या मासिक संयुक्त बैठकें ली जाती हैं. तो वे इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए. सभी के मुद्दों पर अलग-अलग चर्चा करने की बात स्वीकारी गई. जबकि परिवहन विभाग, सभी ठेकेदारों, पदाधिकारियों की संयुक्त बैठकों में सेवा की उन्नति पर चर्चा, मंथन की जरूरत है.

डिम्ट्स से अड़चन हैं तो बंद कर दें…
डिम्ट्स अपनी जिम्मेदारियां भली-भांति निर्वाह कर रहा है. परिवहन सेवा को सुचारु करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, करारनुसार काम न करने वालों को आर्थिक दंड करने से नहीं चूकेंगे. बावजूद इसके प्रशासन को डिम्ट्स की कार्य प्रणाली पर खामियां दिखाई दीं तो बंद कर दीजिए, हम लौट जाएंगे.

परिवहन प्रबंधक पहुंचे डिम्ट्स प्रकल्प प्रबंधक से मिलने
ऐसा पहली बार हुआ कि ठेका देने वाली मनपा के परिवहन प्रबंधक शमिवार दोपहर डिम्ट्स के प्रकल्प प्रबंधक के आगमन पर उनसे समय लेकर मिलने पहुंचे. उनकी पीठ थपथपाई और कहा कि चिंता न करें आरोप-प्रत्यारोप की, जो सही लगे कीजिए. और सभी को काम से लगाइए, वर्ना हमें टेकओवर करना पड़ेगा. यह हमारा काम नहीं, अगर टेकओवर कर लिए तो हिलने नहीं देंगे. भले ही ‘अथॉरिटी’ की गलतियां हो या निधि का आभाव. इतना कहकर पुनः लौटकर आने की सूचना दी. डिम्ट्स की मांग पर रविवार साढ़े १२ बजे के बाद खुद को फ्री दर्शाये. जबकि ठेकेदार ठेकदार ही होता है, भले ही उसे अनगिनत नामों से जाना जाए. मनपा के ठेकेदार के दर पहुंच उसकी पीठ थपथपाना और उसे मनमानी करतूतों के लिए अंजाम देने के लिए प्रेरित करना निंदनीय है. इस मामले को प्रशासन, मनपायुक्त, महापौर, उपमहापौर, सत्तापक्ष नेता, परिवहन सभापति के साथ स्थाई समिति सभापति ने गंभीरता से लेना चाहिए.

नागपुर टुडे की खबरों से आपा खो बैठे प्रबंधक
नागपुर टुडे ने पिछले कुछ दिनों से परिवहन विभाग की खामियों का सबूत के साथ पर्दाफाश किया. इससे और कोई नहीं बल्कि राज्य परिवहन विभाग से ‘डेप्युटेशन’ पर मनपा में परिवहन प्रबंधक बने जगताप का मनपा में अहौदा आयुक्त स्तर का है. अपने विभाग के कारनामों के नियमित सार्वजानिक होने से वे काफी झल्ला गए. टुडे को मिले कागजातों को देनेवालों को ढूंढ रहे हैं. आज आपा खो दिए और नागपुर टुडे प्रतिनिधि से कहा कि परिवहन विभाग के दस्तावेजों को सार्वजानिक करने वाले को नहीं छोड़ेंगे. वे खुद को स्थानीय दर्शाते हुए कहते रहे कि किसी से नहीं डरते, जो भी होगा उसे उखाड़ फेंकेंगे. आगे से नागपुर टुडे किसी भी परिवहन विभाग से सम्बंधित मामले के लिए प्रबंधन से संपर्क न करें.